ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी। सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥ ॐ जय" जमदग्नी सुत नर-सिंह, मां रेणुका जाया। मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया॥ ॐ जय" कांधे सूत्र…
सम्पूर्ण आरतियोँ का संग्रह
प्रभु भक्ति (Prabhu bhakti) में आरती (Aarti) का विशेष महत्व होता है। कोई भी पूजा बिना आरती के समपूर्ण नही होती। आरती संकलन में बहुत से देवी-देवताओं की आरतियों का सन्ग्रह किया गया है। हमने ये प्रयास किया है की भक्तों को सभी आरतियाँ एक ही जगह पर उपलब्ध हो सकें।
It is collection of aarti’s of various hindu God & Goddess.
ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी। सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥ ॐ जय" जमदग्नी सुत नर-सिंह, मां रेणुका जाया। मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया॥ ॐ जय" कांधे सूत्र…
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता ।ब्रह्म सनातन देवी, शुभफल की दाता ॥ जय पार्वती माता अरिकुलपद्म विनासनी, जय सेवक त्राता ।जगजीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता ॥ जय पार्वती माता…
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती। तेरे भक्त जनों पर माता पीर पड़ी है भारी।।…
ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी। ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा शिव हरि शंकर रूद्री पालन्ती॥ ॐ जय" देवी नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पदचण्डी! सुर नर मुनि जन सेवत,…
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुख दाता ॥ जय ॥ सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर । रुज से रक्षा करके भव त्राता॥ जय॥ बटु पुत्री…
जाहरवीर की आरती जय जय जाहरवीर हरे जय जय गूगा वीर हरे धरती पर आ करके भक्तों के दख दर करे॥ जय-जय॥ जो कोई भक्ति करे प्रेम से हाँ जी…
जय गोरख देवा जय गोरख देवा। कर कृपा मम ऊपर नित्य करूं सेवा ॥ शीश जटा अति सुन्दर भाल चन्द्र सोहे। कानन कुण्डल झलकत निरखत मन मोहे॥ गल सेली विच…
आरती जगल किशोर की कीजै, राधे धन न्यौछावर कीजै॥ टेक॥ रवि शशि कोटि बदन की शोभा, ताहि निरखि मेरा मन लोभा। गौर श्याम मुख निरखत रीझै, प्रभु को स्वरूप नयन…
ॐ जय जय जय गिरिराज, स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥ ॐ जय॥ इन्द्रादिक सब सुर मिल तुम्हरौं ध्यान धरें। रिषि मुनिजन यश…
श्री गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। जय० ।। एक दन्त दयावन्त, चार…
ओ३म् जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।। चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता। शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।।।…
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता। आदि शक्ति तुम अलख, निरंजन जग पालन करती, दुःख, शोक, भय, क्लेश, कलह, दारिद्रय, दैन्य हरती। बह्मरूपिणी, प्रणत पालनी जगद्धात् अम्बे, भव…