श्री राणी सती जी अष्टकम् (Rani Sati Ashtakam) रानी सती दादी को समर्पित है। रानी सती दादी सा के कई मन्दिर देश के विभिन्न हिस्सों में है और वहाँ पर…

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माँ चण्डिका को समर्पित श्री चण्डी-ध्वज स्तोत्रम् (Chandi Dhwaj Stotra) अत्यंत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। इसका नित्य पाठ करने से सकल मनोरथ की सिद्धि होती है और शत्रु पराजित होते…

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भगवान श्री कृष्ण को समर्पित दामोदर अष्टकम (Damodarastakam) अत्यंत ही लोकप्रिय स्तोत्र है। दामोदर अष्टकम (Damodar Astakam) में भगवान श्रीकृष्ण के सच्चिदानन्दस्वरूप की स्तुति की गई है। भगवान श्री कृष्ण…

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नन्दकुमार अष्टकम (Nandkumar Ashtakam) भगवान श्री कृष्ण का अत्यंत ही लोकप्रिय स्तोत्र है। नन्दकुमार अष्टकम में भगवान श्रीकृष्ण के मनमोहक रूप, गुण और लीलाओं का बहुत ही सुन्दर और सजीव…

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भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा रचित मधुराष्टकं (Madhurashtakam) बहुत प्रसिद्ध स्तोत्र है। मधुराष्टकं में भगवान श्रीकृष्ण के मोहक बालरूप का बहुत ही सुन्दर और मोहक…

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पाशुपतास्त्र स्तोत्र (Pashupatastra Stotra) की शक्ति और प्रभाव अतुलनीय है। जब किसी भी प्रयोग से लाभ ना हो रहा हो तो पाशुपतास्त्र स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को अवश्य…

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गोपाल कवच (Gopal Kavach) का उल्लेख नारद पंचरात्र मे मिलता है। इसे भगवान शिव ने देवी पार्वती को सुनाया था। गोपाल कवच एक दिव्य और परम अद्भुत कवच स्तोत्र है।…

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ब्रह्म संहिता के अनुसार गोपाल अक्षय कवच (Gopal Akshay Kavach) भगवान नारायण के द्वारा प्रकाशित किया गया था। उन्होने यह कवच देवराज इन्द्र आदि देवताओं को सुनाया था। फिर नारद…

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शास्त्रों में शनि देव क न्याय का देवता बताया गया है। शनि देव की कुदृष्टि पड़ते ही मनुष्य के जीवन में शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं।…

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नवग्रहों में भूमि पुत्र मंगल अत्यंत ही शक्तिशाली है। ऋण मोचन मंगल स्तोत्र (Rin Mochan Mangal Stotra) मंगल से ही संबन्धित है। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक अपने…

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ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र (Rinharta Ganesh Stotra) का नियमित पाठ करने से साधक को शीघ्र ऋण से मुक्ति मिलती है और दरिद्रता का नाश होता है। अपार धन-सम्पत्ति और वैभव की…

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ऋणमुक्ति गणेश स्तोत्र (Rin Mukti Ganesh Stotra) का नियमित पाठ करने से साधक के जीवन की समस्त विघ्न -बाधाएं दूर होती है और उसे हर प्रकार के ऋण से मुक्ति…

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नियमित रूप से ऋणमुक्ति सूक्त (Rin Mukti Sukta) पाठ करने से साधक को ऋण से मुक्ति मिल जाती है। अथर्ववेद के छठवें कांड के 117, 118 और 119 इन तीन…

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स्कंद पुराण में वर्णित अंगारक स्तोत्रम् (Angaraka Stotram) का विधि अनुसार प्रतिदिन पाठ करने से साधक को कर्ज और दुर्भाग्य मुक्ति मिल जाती है। जीवन में समृद्धि प्रदान करने वाला…

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बृहस्पति कवचम् (Brihaspati Kavacham) बृहस्पति देव का बहुत ही प्रभावशाली कवच स्तोत्र है। देवताओं के गुरू बृहस्पति देव की उपासना करके साधक ज्ञान, धन, यश, कीर्ति सब कुछ प्राप्त कर…

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गुरू बृहस्पति (Guru Brihaspati) को देवताओ का गुरू माना जाता है। नवग्रहों में भी गुरू ग्रह बहुत शक्तिशाली माना जाता है। देवगुरू बृहस्पति की कृपा पाने के लिये बृहस्पति के…

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सुदर्शन अष्टकम (Sudarshana Ashtakam) श्री हरि भगवान विष्णु के पाँच अत्यंत शक्तिशाली अस्त्रों में से एक अस्त्र सुदर्शन चक्र को समर्पित है। इसके आठ छ्न्दों से भगवान सुदर्शन की स्तुति…

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सुदर्शन सहस्रनाम स्तोत्रम् (Sudarshana Sahasranama Stotram) समस्त इच्छाओं को पूरा करने वाला बहुत ही दुर्लभ और दिव्य स्तोत्र है। इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने वाले विद्वान व्यक्ति…

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पञ्चायुध स्तोत्रम (Panchayudha Stotram) में भगवान श्री हरि विष्णु के पाँच आयुधों की स्तुति की गई है। इस स्तोत्र के द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति करने से जातक का कल्याण…

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दशावतार स्तोत्रम् (Dasavatara Stotram) की रचना वेदांताचार्य श्रीमद्वेंकटनाथ के द्वारा की गई है। यह एक बहुत ही दुर्लभ स्तोत्र है। इस स्तोत्र में भगवान विष्णु के द्स अवतारों की स्तुति…

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प्रभु श्री राम जी को समर्पित श्री राम भुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम् (Sri Rama Bhujanga Prayata Stotram) मे उनकी महिमा का गुणगान किया गया हैं। इसकी रचना श्री शंकराचार्य जी के…

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श्री राम आपदुद्धारक स्तोत्रम् (Sri Rama Apaduddharaka Stotram) समस्त विपत्तियों और आपदाओं को हरने वाला अत्यंत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। प्रभु श्री राम के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली स्तोत्रों में…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी संकटा महादशा (Sankata Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है।…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी उल्का महादशा (Ulka Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है।…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी सिद्धा महादशा (Siddha Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है।…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी धान्या महादशा (Dhanya Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है।…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी भद्रिका महादशा (Bhadrika Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है।…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी भ्रामरी महादशा (Bhramari Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है।…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी मंगला महादशा (Mangala Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है।…

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ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी दशाओं में से एक है योगिनी पिंगला दशा (Yogini Pingala Dasha)। इन अष्ट योगिनियों (Ashta Yogini) को नवग्रहों की माता…

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श्री राम सहस्रनाम (Rama Sahasranama) का अर्थ है भगवान श्री राम के 1000 नाम। श्री राम सहस्रनाम स्तोत्रम (Rama Sahasranama) प्रभु श्री राम की सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली स्तुतियों में…

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महाकाल सहस्रनामावलिः (Mahakal Sahasranamavali) अर्थात भगवान महाकाल (Lord Mahakal) के एक हजार नाम। यह भगवान महाकाल का बहुत ही दुर्लभ स्तोत्र है। इसमें भगवान महाकाल से सबसे उत्कृष्ट नामों के…

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शिव सहस्रनामावलिः (Shiva Sahasranamavali) अर्थात भगवान शिव के एक हजार नाम (1000 Names Of Lord Shiva)। इसके द्वारा देवाधिदेव भगवान शिव की स्तुति करने से भोलेनाथ बहुत ही जल्दी प्रसन्न…

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स्कन्दपुराणान्तर्गता शिव सहस्रनामावलिः (Shiva Sahasranamavali From Skanda Purana) अर्थात स्कन्द पुराण के अंतर्गत लिखें भगवान शिव के एक हजार नाम (1000 Names Of Lord Shiva)। यह देवाधिदेव भगवान शिव का…

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श्री शिवसहस्रनामस्तोत्रम् (Shiva Sahasranama Stotram) में भगवान शिव के एक हजार नामों के द्वरा उनकी महिमा का गुणगान किया गया है। इस स्तोत्र का उल्लेख श्रीमद् महाभारत के अनुशासन पर्व…

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भार्गव ऋषि द्वारा रचित श्री लक्ष्मी हृदयम स्तोत्रम् (Lakshmi Hrudayam Stotram) बहुत ही चमत्कारिक स्तोत्र है। इसका पाठ करने का एक विशेष नियम है। इस स्तोत्र का विधि अनुसार पाठ…

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श्री नारायण हृदयम् स्तोत्रम् (Narayana Hrudaya Stotram) एक सिद्ध और गुप्त स्तोत्र है। इसके विषय में अधिक लोग नही जानते। इसका पाठ श्री लक्ष्मी हृदयम् स्तोत्रम् (Lakshmi Hrudayam Stotram) के…

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भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करने के लिये विभिन्न स्तोत्रों, स्तुतियों और अष्टकम् पाठों की रचना की गई है। विभिन्न शास्त्रों में उनका उल्लेख मिलता है। अष्टकम् स्तोत्र…

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विष्णुतीर्थ जी द्वारा रचित कृष्णाष्टकम् भगवान (Krishnashtakam By Vishnutirtha) श्री कृष्ण का बहुत प्रसिद्ध अष्टकम पाठ माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण से संबंधित व्रत-त्योहार जैसे श्री कृष्ण जन्माष्टमी आदि…

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भगवान कृष्ण के सबसे प्रसिद्ध अष्टकम पाठ में से एक है श्री कृष्णाष्टकम् - वासुदेव सुतम देवम (Krishnashtakam Vasudeva Sutam Devam) । भगवान श्री कृष्ण से संबंधित व्रत-त्योहार जैसे श्री…

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आदि शंकराचार्य द्वारा रचित श्री कृष्णाष्टकम् - भजे व्रजैक मण्डनम् (Krishnashtakam Bhaje Vrajaik Maṇḍanam) कृष्ण भक्तों में बहुत ही प्रसिद्ध है। इस अष्टकम् का नियमित रूप से पाठ करने से…

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श्री कृष्ण स्तोत्रम् सरस्वतीकृतम् (Krishna stotra by Saraswati) का पाठ करने से साधक को धन, बुद्धि, सम्मान और विद्या की प्राप्ति होती है। इस अत्यंत प्रभावशाली और दुर्लभ स्तोत्र की…

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ब्रह्मा जी कृत श्री कृष्ण स्तुति (Shri Krishna Stuti) का पाठ करके साधक बिना यज्ञ-अनुष्ठान और जप के भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।…

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अनन्त स्तवः (Ananta Stava) का पाठ करने से भगवान अनंत प्रसन्न होते है। भगवान अनंत भगवान विष्णु का रूप है। अनन्त स्तवः की रचना सुभद्रा के द्वारा की गई है।…

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श्री कृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र (Shri Krishna Kripa Kataksh Stotra) का पाठ भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करने का बहुत ही सरल उपाय है। जन्माष्टमी के दिन इस स्तोत्र का…

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श्री कृष्ण स्तोत्रम् (Shri Krishna Stotram) का पाठ करके साधक बिना जप, बिना सेवा और बिना पूजा के भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है।…

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पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों को आसानी से देवकृपा प्राप्त हो इसलिये देवऋषि नारद ने श्री कृष्ण स्तोत्रं (Krishna Stotram) की रचना करी। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति अनुपम फलदायिनी…

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भगवान शंकर द्वारा रचित नवरत्नमालिका स्तोत्रम् (Navaratna Malika Stotram) में देवी के अद्वितीय रूप का अनुपम वर्णन किया गया है। इसके द्वारा देवी का ध्यान करने से देवी शीघ्र प्रसन्न…

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श्री शंकराचार्य द्वारा रचित अच्युताष्टकम् (Achyutashtakam) में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों के नाम, रूप और लीलाओं का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है। इसके आठ श्लोकों में भगवान…

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माँ भगवती की स्तुति करना भक्तों के लिये सदा ही कल्याणकारी होता है। माँ अपने भक्तों पर सदा ही अपनी कृपा बरसाती है। भगवती स्तुतिः (Bhagwati Stuti) का पाठ करने…

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सिद्धकुञ्जिका स्तोत्रम् (Siddha Kunjika Stotram) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। यह बहुत ही दुर्लभ, शक्तिशाली और गुप्त स्तोत्र है। इसका पाठ करने से दुर्गा सप्तशती के पाठ का शुभफल…

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देव्यपराधक्षमापन स्तोत्रम् (Devyaparadha Kshamapana Stotram) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। इसका पाठ करके साधक माँ दुर्गा से अपने समस्त अपराधों को क्षमा करने के लिये प्रार्थना करता है। इस…

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दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला (Durga Dwatrinsha Naamamala) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला में देवी दुर्गा के 32 नामों के द्वारा उनकी स्तुति की गई है। इसका पाठ करने से माँ दुर्गा…

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श्री दुर्गा मानस पूजा (Shri Durga Manasa Puja) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। श्री दुर्गा मानस पूजा में देवी को श्रेष्ठम् वस्तुएँ अर्पित करते हुए माँ भगवती की उपासना…

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क्षमा-प्रार्थना (Kshama Prarthana) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। देवी की स्तुति और आराधना मॆं हुई गलतियों और त्रुटियों के लिये देवी माँ से क्षमा माँगने के लिये करें क्षमा-प्रार्थना…

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मूर्तिरहस्यम् (Murti Rahasyam) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। इसमें देवी के विभिन्न रूप और उनके ध्यान से प्राप्त होने वाले शुभफलों का उल्लेख किया गया है। देवी के मंत्रों…

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वैकृतिकं रहस्यम् (Vaikrutika Rahasya) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) के सभी तेरह अध्यायों का पाठ पूर्ण होने पर ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तम्, फिर तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम् (Tantroktam Devi…

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प्राधानिकं रहस्यम् (Pradhanikam Rahasyam) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) के सभी तेरह अध्यायों का पाठ पूर्ण होने पर ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तम्, फिर तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम् और इसके…

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तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम् (Tantroktam Devi Suktam) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) के सभी तेरह अध्यायों का पाठ पूर्ण होने पर ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तम् के पश्चात् तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्…

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ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तम् (Rigvedoktam Devi Suktam) दुर्गा सप्तशती का ही भाग है। देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) के सभी तेरह अध्यायों का पाठ पूर्ण होने पर उपसंहारः (Upasamhara) में पहले नवार्ण जप…

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देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) के सभी तेरह अध्यायों का पाठ पूर्ण होने पर उपसंहारः (Upasamhara) करें। इसमें पहले नवार्ण जप करके फिर ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तम् का पाठ किये जाने का विधान…

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देवी महात्म्य के त्रयोदश अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 13) में पढ़ें राजा सुरथ और वैश्य को देवी के द्वारा क्या वरदान प्राप्त हुये? माँ अम्बिका के द्वारा असुर दल के…

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देवी महात्म्य के द्वादश अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 12) में देवी चरित्रों के पाठ के महात्म्य का वर्णन मिलता है। माँ अम्बिका के द्वारा असुर दल के संहार के पश्चात्…

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देवी महात्म्य के एकादश अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 11) में देवताओं के द्वारा देवी की स्तुति और देवी के द्वारा देवताओं को वरदान दिये जाने का वर्णन मिलता है। जब…

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बटुक भैरव को भगवान शिव का रूप माना जाता है। बटुक भैरव की आराधना से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है। बटुक भैरव स्तोत्र…

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देवी महात्म्य के दशम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 10) में शुम्भ के वध का वर्णन मिलता है। जब शुम्भ के द्वारा भेजें गये उसके महापराक्रमी भाई निशुम्भ का माँ अम्बिका…

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देवी महात्म्य के नवम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 9) में निशुम्भ के वध का वर्णन किया गया है। जब शुम्भ के द्वारा भेजें गये अतिपराक्रमी असुर रक्तबीज को माँ अम्बिका…

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देवी महात्म्य के अष्टम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 8) में रक्तबीज के वध का वर्णन किया गया है। जब शुम्भ के द्वारा भेजें गये चण्ड और मुण्ड को माँ अम्बिका…

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देवी महात्म्य के सप्तम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 7) में चण्ड और मुण्ड के वध का वर्णन किया गया है। जब शुम्भ के द्वारा भेजें धूम्रलोचन को माँ अम्बिका ने…

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देवी महात्म्य के षष्टम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 6) में धूम्रलोचन-वध का वर्णन किया गया। जब शुम्भ के द्वारा भेजें दूत निराश होकर वापस लौट गये तो क्रोध में आकर…

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देवी महात्म्य के पञ्चम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 5) में शुम्भ के द्वारा भेजें दूत और देवी दुर्गा के बीच हुये संवाद का वर्णन है। जब चण्ड-मुण्ड के मुख से…

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जब माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया तब इन्द्रादि सभी देवताओं ने देवी दुर्गा की स्तुति की थी। देवी महात्म्य के चतुर्थ अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 4) में…

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देवी महात्म्य के तृतीय अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 3) में देवी के द्वारा महिषासुर और उसके सेनापतियों के वध का वर्णन किया गया है। ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचित दुर्गा सप्तशती…

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देवी महात्म्य के द्वितीय अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 2) में देवताओं के तेज से देवी के प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना के वध का वर्णन किया गया है। ऋषि मार्कण्डेय…

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दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 1) में मधु - कैटभ वध के प्रसंग का वर्णन है। राजा सुरथ और समाधि को मेधा ऋषि ने भगवती की महिमा…

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सप्तशती न्यास (Saptashati Nyasah) नवार्ण विधि के बाद किया जाता है। यह न्यास दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय से पूर्व किया जाने वाला अन्तिम अनुष्ठान है। इस न्यास के अनुष्ठान…

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वनों का महत्व बताया गया है ऋग्वेद के इस अरण्य सूक्तम् (Aranya Suktam) में। यह सूक्तम वन देवता को समर्पित है, इसमें वनों की सुन्दरता और मनुष्यों के जीवन में…

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चण्डी पाठ (दुर्गा सप्तशती) के मूल पाठ से पहले किये जाने वाले छ: स्तोत्रों के पश्चात् नवार्ण विधि का पाठ किया जाता है। नवार्ण विधि (Navarna Vidhi) में विनियोग, न्यास…

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देवी अथर्वशीर्षम् (Devi Atharvashirsh) का पाठ पापों का नाश करने वाला और मुश्किलों से पार लगाने वाला है। चण्डी पाठ (दुर्गा सप्तशती) के मूल पाठ से पहले किये जाने वाले…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) पाठ का क्रम इस प्रकार से है पहले देवी कवच (Devi Kavach), फिर अर्गला स्तोत्रम् (Argala Stotram), उसके बाद कीलकम् स्तोत्र (keelakam stotram), फिर वेदोक्तम् रात्रि…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) पाठ के क्रम में सर्वप्रथम देवी कवच (Devi Kavach), फिर अर्गला स्तोत्रम् (Argala Stotram), उसके बाद कीलकम् स्तोत्र (keelakam stotram) का पाठ किया जाता है। कीलकम्…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के पाठ में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्रम् और उसके पश्चात् कीलकम् (Keelakam Stotram) का पाठ किया जाता है। कीलकम् के पश्चात वेदोक्तम् रात्रि सूक्तम्…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) को देवी महात्म्य और चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है। इसकी रचना ऋषि मार्कंडेय द्वारा की…

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हिन्दू मान्यता के अनुसार वाराही देवी सप्त मातृकाओं में से एक हैं। इन्हे देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। जानियें कैसा है वाराही देवी का स्वरूप? साथ ही पढ़ियें…

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हनुमान चालीसा की ही भाँति गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान बाहुक (Hanuman bahuk) भी बहुत ही चमत्कारिक है। इसका पाठ करने से साधक के सभी दु:ख, भय, दरिद्रता, रोग, दोष…

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श्री कालभैरवाष्टकं (Sri Kalabhairava Ashtakam) एक बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। इसके वाचन से हमारे शरीर का आज्ञा चक्र जागृत होता है जिससे जातक को वर्तमान समय की सम्पूर्ण जागरूकता…

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स्वर्णाकर्षण भैरव स्तोत्रम् (swarnakarshana bhairava stotram) का नित्य पाठ करने से दुख - दरिद्रता का नाश होता है और सुख एवं धन की प्राप्ति होती है। जानिये स्वर्णाकर्षण भैरव स्तोत्रम्…

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बगला प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् एक दिव्य कवच स्तोत्र है। इस कवच से रक्षित जातक का कोई भी अहित नही कर सकता। इस प्रत्यङ्गिरा देवि कवचम् का पाठ सभी शत्रुओं पर…

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प्रात:काल या संध्या के समय स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके शुद्ध अंत:करण से अष्ट भैरव ध्यान स्तोत्रम् (Ashta Bhairava Dhyana Stotram) का पाठ करें। विशेषकर रविवार…

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता षष्ठी देवी (छठ माता) की उपासना करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। श्री षष्ठी देवी स्तोत्रम् (Shashti Devi Stotra) का पाठ करने से…

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श्री शान्तादुर्गा देवि दुर्गा का शांत स्वरूप बताया गया है। श्री शान्तादुर्गा देवि प्रणति स्तोत्रम् (Shri Shantadurga Devi Pranati Stotram) का नित्य पाठ करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के पाठ के क्रम से सबसे पहले देवी कवच का पाठ किया जाता है। फिर इसके बाद अर्गला स्तोत्रम (Argala Stotram) का पाठ किया जाता है।…

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देवी महिम्न स्तोत्रं (Devi Mahimna Stotram) में देवी माँ की अपार महिमा का वर्णन किया गया है। इस सृष्टि का पालन करने वाली और देवताओं के द्वारा पूजी जाने वाली…

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श्री महाकाल भैरव स्तोत्रम् (Sri Maha Kala Bhairava Stotram) बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। इसके वाचन से हमारे शरीर के चक्र जागृत होते है और अप्रत्याशित लाभ होते है। हर…

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काशी का कोतवाल कहा जाता है श्री काल भैरव को। यह भगवान शंकर का ही स्वरूप है। काल भैरव के 108 नामों का जाप करने से समस्त बाधाओं का नाश…

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महाकाल स्तोत्र के नित्य पाठन अथवा श्रवण करने से साधक में नवीन ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली है। इसका प्रभाव बहुत ही जल्दी…

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श्री नारायण कवच रोग, दोष, भय और सभी विपत्तियों से रक्षा करने वाला और मनोकामना पूर्ण करने वाला है। यह हर जगह विजयी कराने वाला बहुत ही दुर्लभ और चमत्कारिक…

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भगवान विष्णु का मत्स्य रूप अपने भक्तों को उनके जीवन की समस्त समस्याओं, दुखों, पापों और कष्टों से निकालने वाला है। जानियें श्रीमत्स्याष्टोत्तरशतनामावलि का नित्य पाठ करने का महत्व… Significance…

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अपने भक्तों की रक्षा करने के लिये भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। मनुष्य को जीवन की सभी समस्याओं, दुखों, पापों और कष्टों से निकालने वाला है भगवान विष्णु…

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सभी स्थानों पर विजयी कराने वाला, शत्रु का नाश करने वाला, बल, बुद्धि और धन को बढाने वाला है यह श्रीआञ्जनेयसहस्रनामस्तोत्रं। इसे हनुमत्सहस्रनामस्तोत्रं के नाम से भी जाना जाता है।…

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Hanuman Tandav Stotraहनुमान-ताण्डव-स्तोत्र चमत्कारिक प्रभाव वाले शिव ताण्डव स्तोत्र की ही भांति हनुमान-ताण्डव-स्तोत्र भी बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। इस कलियुग में हनुमान जी की आराधना करने से साधक को…

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इस कलियुग में हनुमान जी की पूजा बहुत ही शुभ फल देने वाली है। श्री मारुति कवच (Shri Maruti Kavach) एक बहुत ही दुर्लभ और चमत्कारिक स्तोत्र है। इसके पठन…

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शास्त्रों में वर्णित संतान गोपाल स्तोत्र का नित्यप्रतिदिन पाठ करने से उत्तम पुत्र की प्राप्ति होती है। Santan Gopal Stotraसंतान गोपाल स्तोत्र धर्म ग्रंथों में संतान गोपाल स्तोत्र को बहुत…

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Vishwanathashtakam Stotram Ka Mahatvaविश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रम्‌ का महत्व भगवान काशी विश्वनाथ के परमभक्त शास्त्री श्री शिवदत्त मिश्र जी ने विश्वनाथाष्टकम् स्तोत्रम्‌ की रचना की थी। इस स्तोत्र में भगवान काशी विश्वनाथ…

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Vishwanathashtakam Ka Mahatvaविश्वनाथाष्टकम् का महत्व महर्षि व्यास ने विश्वनाथाष्टकम् की रचना की थी। इस स्तोत्र में भगवान काशी विश्वनाथ की महिमा का गुणगान किया गया है। महर्षि व्यास द्वारा रचित…

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Benefits of Eka Sloki Bhagavatamएकश्लोकी भागवतम् के लाभ नित्य प्रतिदिन प्रात:काल एवं संध्यापूजन के समय एकश्लोकी भागवतम् का वाचन करने से मनुष्य को श्रीमद्‌भागवत का सम्पूर्ण पाठ सुनने के समान…

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Yamunashtakam Stotra (First)यमुनाष्टकम् स्तोत्र – प्रथम पौरणिक कथाओं के अनुसार यमुना जी भगवान सूर्य की पुत्री है और मृत्यु के देवता यमराज एवं शनि देव की बहन हैं। यमुना जी…

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श्री सरस्वती कवचम् का पाठ करने की विधिShri Sarasvati Kavacham Ka Path Karne Ki Vidhi प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के…

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Shri Shakambhari Panchakamश्री शाकम्भरीपञ्चकम् श्रीवल्लभसोदरी श्रितजनश्चिद्दायिनी श्रीमतीश्रीकण्ठार्धशरीरगा श्रुतिलसन्माणिक्यताटङ्कका ।श्रीचक्रान्तरवासिनी श्रुतिशिरः सिद्धान्तमार्गप्रियाश्रीवाणी गिरिजात्मिका भगवती शाकम्भरी पातु माम् ॥१॥ शान्ता शारदचन्द्रसुन्दरमुखी शाल्यन्नभोज्यप्रियाशाकैः पालितविष्टपा शतदृशा शाकोल्लसद्विग्रहा ।श्यामाङ्गी शरणागतार्तिशमनी शक्रादिभिः शंसिताशङ्कर्यष्टफलप्रदा भगवती शाकम्भरी पातु…

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Shri Shakambhari Ashtakamश्री शाकम्भर्यष्टकम् शक्तिः शाम्भवविश्वरूपमहिमा माङ्गल्यमुक्तामणि-र्घण्टा शूलमसिं लिपिं च दधतीं दक्षैश्चतुर्भिः करैः ।वामैर्बाहुभिरर्घ्यशेषभरितं पात्रं च शीर्षं तथाचक्रं खेटकमन्धकारिदयिता त्रैलोक्यमाता शिवा ॥१॥ देवी दिव्यसरोजपादयुगले मञ्जुक्वणन्नूपुरासिंहारूढकलेवरा भगवती व्याघ्राम्बरावेष्टिता ।वैडूर्यादिमहार्घरत्नविलसन्नक्षत्रमालोज्ज्वलावाग्देवी विषमेक्षणा शशिमुखी…

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माता सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता हैं। इसलिये माता सीता के 108 नामों का पाठ करने से जातक को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती हैं। परिवार…

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माँ जानकी की स्तुति से दुख-दारिद्रय और पापों का नाश होता हैं । स्कन्द पुराण में वर्णित जानकी स्तुति का पाठ बहुत ही शुभ फल देने वाला है। नित्य प्रतिदिन…

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Shri Bhairava Tandava Stotramश्री भैरव ताण्डव स्तोत्रम् श्री भैरव ताण्डव स्तोत्रम् एक बहुत ही दुर्लभ और अमोघ स्तोत्र हैं। इसके नित्य पाठ करने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं। भैरव,…

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Shri Bhairava Sarvaphalaprada Stotraश्री भैरव सर्वफलप्रद स्तोत्रम् श्री भैरव सर्वफलप्रद स्तोत्रम् के लाभ श्री भैरव सर्वफलप्रद स्तोत्रम् का पाठ करते हुये यज्ञ अग्नि में हवन सामग्री की आहूति देने से…

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कालभैरव सहस्रनाम स्तोत्रम् (Kalabhairava Sahasranama Stotram) का पाठ करने से साधक को भगवान कालभैरव की कृपा प्राप्त होती हैं। कालभैरव भगवान शिव का ही स्वरूप हैं। इनकी साधना से जातक…

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Matsya Stotramमत्स्यस्तोत्रम् मत्स्यस्तोत्रम् का नित्य पाठ करने से साधक विपरीत परिस्थितियों में से सकुशल निकल आता हैं। उसकी इच्छापूर्ति के मार्ग की सभी बाधायें स्वत: समाप्त हो जाती हैं। ॥…

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Matsya Stutiमत्स्य स्तुतिः ॥ मत्स्यस्तुतिः ॥ मग्ने मेरौ पतति तपने तोयबिन्दाविवेन्दौअन्तर्लीने जलधिसलिले व्याकुले देवलोके ।मात्स्यं रूपं मुखपुटतटाकृष्टनिर्मुक्तवार्धिश्रीकान्तस्य स्थलजलगतं वेत्यलक्ष्यं पुनातु ॥ वियत्पुच्छातुच्छोच्छलितजलगर्भं निधिरपांअपान्नाथः पाथः पृथुललवदुस्थो वियदभूत् ।निधिर्भासामौर्वो दिनपतिरभूदौर्वदहनःचलत्काये यस्मिन्स जयति…

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Shri Narayan Stotramश्री नारायण स्तोत्रम्‌ नारायण स्तोत्र भगवान विष्णु को अतिप्रिय है और इसके प्रतिदिन पाठ के द्वारा साधक भगवान विष्णु को बड़ी सरलता से प्रसन्न कर सकता हैं। श्री…

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लक्ष्मीसूक्तम्‌ का पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से साधक को धन-समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है। Benefits Of Chanting Shri Lakshmi Suktamश्री…

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धनतेरस पर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करने से कभी धन की कमी नही होती। Benefits Of Dhanvantri Stotraधन्वंतरि स्तोत्र के लाभ हिंदु मान्यता के अनुसार धनतेरस की पूजा करने से…

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आर्थिक तंगी से हमेशा के लिये छुटकारा पाने के लिये करें कनकधारा स्त्रोत्र का पाठ Benefits Of Chanting Shri Kanakadhara Stotraश्री कनकधारा स्त्रोत्र का पाठ करने के लाभ माँ लक्ष्मी…

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वराह स्तोत्र के लाभBenefits of Varaha Stotra वराह स्तोत्र का नित्य पाठ करने से साधक के जीवन के समस्त कष्टों का निवारण हो जाता हैं।शत्रु पीड़ा का शमन होता हैं।दुष्ट…

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श्री वराह कवचम् का महत्व (लाभ)Shri Varaha Kavacham श्रीवराहकवचम् का नित्य पाठ करने से जातक भयमुक्त हो जाता हैं। भूतबाधा, प्रेतबाधा का नाश हो जाता हैं।शत्रु कोई हानि नही पहुँचा…

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Aparajita Stotram Ka Mahatvaअपराजिता स्तोत्र का महत्व पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम ने युद्ध में रावण पर विजय पाने की कामना से युद्ध से पूर्व अपराजिता अनुष्ठान किया था।…

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हरि स्तुतिHari Stuti हरि स्तुति (Hari Stuti) का पाठ नित्य करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और साधक को उनकी कृपा प्राप्त होती हैं। गुरूवार, एकादशी और पूर्णिमा के…

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॥ श्री नीलकंठ स्तोत्रम् ॥॥ Shri Neelkanth Stotram ॥ नीलकंठ स्तोत्रम्‌ को नीलकंठ अघोरास्त्र स्तोत्रम्‌ (Nilkanth Aghorastra Stotram) के नाम से भी जाना जाता हैं। श्री नीलकंठ स्तोत्रम्‌ का महात्म्य…

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राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से साधक को राधा रानी की कृपा प्राप्त होती हैं। उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है और उसकी समस्त मनोकामनायें…

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गोपाल सहस्त्रनाम (Gopal Sahastranaam) का महात्म्य अद्भुत एवं अद्वितीय है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के हजार नामों से उनकी स्तुति की गई हैं। इसका विधि पूर्वक पाठ करने से जातक को…

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श्री लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्‌ का पाठ करने की विधि प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर अपने घर के पूजास्थान पर माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति को लगायें। फिर…

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यह अमोघ शिव कवच का पाठ बहुत ही शुभ और लाभकारी हैं। इस अमोघ शिव कवच का नित्य पाठ करने से साधक के जीवन की सभी समस्याएँ समाप्त हो जाती…

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शास्त्रों के अनुसार सर्प सूक्त स्तोत्र का पाठ करने से साधक की जन्मकुंडली के कालसर्प दोष एवं पितृ दोष का शमन होता हैंं। यदि कोई मनुष्य राहू और केतु से…

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श्री पुरुष सूक्तम् (Purusha Suktam) ऋग्वेद से लिया गया है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली पाठ है। इसके प्रतिदिन पाठ से साधक मेंं आध्यात्मिक…

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मंगला गौरी स्तोत्रं का नित्य पाठ करने से साधक को मनवांछित फल प्राप्त होता है। माँ अपने भक्त की सदैव हर मुशकिल से रक्षा करती हैं। सावन में मंगला गौरी…

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माँ दुर्गा का अत्यंत ही दुर्लभ और फलदायी स्तोत्र है श्री दुर्गा सहस्त्रनाम स्तोत्रम्। इसके नित्य पाठ से मनुष्य को अपार धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। भूत-पिशाच की पीड़ा दूर…

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मनचाही नौकरी/ सरकारी नौकरी दिलाने वाला, जल्दी फल प्रदान करने वाला है सूर्याष्टकम् का पाठ । ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि योग्यता होने के बावजूद भी मनचाही…

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धन- समृद्धि, शक्ति, सफलता, विजय, सौभाग्य, आरोग्य, दीर्धायु और रूप-सौन्दर्य प्रदान करने वाला है यह महालक्ष्मी स्तुति का जप… महालक्ष्मी स्तुति द्वारा माँ लक्ष्मी के विभिन्न रूपों की स्तुति की…

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सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ साधक को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करने वाला, रोग, शत्रु और भय का नाश करने वाला, ह्रदय में सकारात्मका भरने वाला, सभी विपदाओं से सुरक्षा प्रदान…

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जन्म कुण्ड़ली के सभी ग्रहों को शांत एवं सशक्त बनाने वाला, सुख-शांति, यश-ऐश्वर्य और धन-सम्पदा प्रदान करने वाला है ये विष्णुसहस्रनाम (Vishnu Sahasranam) का पाठ… Five Divine Weapons of Lord…

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रावण ने शिव-ताण्डव-स्तोत्रम् (shiv-tandav storam) की रचना की थी और इसको पढ़ कर महादेव को प्रसन्न कर लिया था । जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् |डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयचकार चण्ड्ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||…

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॥ आवाहन ॥ ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यंच । हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ॥ ॐ जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम । तपोऽरि सर्वपापघ्मं सूर्यमावाह्याम्यहम ॥ ॐ विश्वानिदेव…

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योगरत्नावली में दिये दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के पाठ के क्रम के अनुसार सर्वप्रथम देवी कवच फिर अर्गला स्तोत्र (Argala Stotram) और फिर इसके बाद कीलक स्तोत्र का पाठ किया…

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जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे । जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे ॥१॥ जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे । जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे ॥२॥ जय महिषविमर्दिनि शुलकरे जय…

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न तातो न माता न बन्धुर्न दाता न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता । न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥१॥ भवाब्धावपारे महादुःखभीरु पपात…

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मौनव्याख्या प्रकटित परब्रह्मतत्त्वं युवानं वर्षिष्ठांते वसद् ऋषिगणौः आवृतं ब्रह्मनिष्ठैः । आचार्येन्द्रं करकलित चिन्मुद्रमानंदमूर्तिं स्वात्मारामं मुदितवदनं दक्षिणामूर्तिमीडे ॥ विश्वं दर्पणदृश्यमाननगरीतुल्यं निजान्तर्गतं पश्यन्नात्मनि मायया बहिरिवोद्भूतं यथा निद्रया । यः साक्षात्कुरुते प्रबोधसमये स्वात्मानमेवाद्वयं…

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देवी सूक्तम (Devi Suktam) एक बहुत ही दिव्य स्तोत्र है। यह दुर्गा सप्तशती का ही एक अंश है। देवी सूक्त के पाठ का प्रभाव विस्मित कर देने वाला है। जानिये…

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ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।। त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि। त्वमेव केवलं धर्तासि।। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।। त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्। ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।। अव त्वं मां।। अव…

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श्रीशुक उवाच एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो ह्रदि । जजाप परमं जाप्यं प्राक्जन्मन्यनुशिक्षितम् ॥ गजेन्द्र उवाच ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम् । पुरुषायादिबीजाय परेशायाभीधीमहि ॥ यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य…

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ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः, ॐ एतत् ते वदनं सौम्यं लोचनत्रय भूषितम् । पातु नः सर्वभूतेभ्यः कात्यायनि नमोस्तुऽते, मः न च्चे वि यै डा मुं चा क्लीं ह्रीं…

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गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१॥ अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् । तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥२॥ अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशालाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे…

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अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरुपं सनातनम् । गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तकम् ॥ १ ॥ भक्तध्यानाय सेवायै नानारुपधरं वरम् । शुक्लरक्तपीतश्यामं युगानुक्रमणेन च ॥ २ ॥ शुक्लतेजःस्वरुपं च सत्ये सत्यस्वरुपिणम् । त्रेतायां कुङ्कुमाकारं…

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कल्पानोकहपुष्पजालविलसन्नीलालकां मातृकां कान्तां कञ्जदलेक्षणां कलिमलप्रध्वंसिनीं कालिकाम् ।काञ्चीनूपुरहारदामसुभगां काञ्चीपुरीनायिकांकामाक्षीं करिकुम्भसन्निभकुचां वन्दे महेशप्रियाम् ॥१॥काशाभांशुकभासुरां प्रविलसत्कोशातकीसन्निभां चन्द्रार्कानललोचनां सुरुचिरालङ्कारभूषोज्ज्वलाम् । ब्रह्मश्रीपतिवासवादिमुनिभिः संसेविताङ्घ्रिद्वयां कामाक्षीं गजराजमन्दगमनां वन्दे महेशप्रियाम् ॥२॥ ऐं क्लीं सौरिति यां वदन्ति मुनयस्तत्त्वार्थरूपां परांवाचाम्…

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योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनंदनः । स्कंदः कुमारः सेनानीः स्वामी शंकरसंभवः ॥१॥ गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः । तारकारिरुमापुत्रः क्रौंचारिश्च षडाननः ॥२॥ शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः । सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः ॥३॥ शरजन्मा गणाधीश पूर्वजो…

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श्री गणेशाय नमः नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते । शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ १ ॥ नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी । सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ २…

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अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते…

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ॐ नमो वायुपुत्राय भीमरूपाय धीमते ।नमस्ते रामदूताय कामरूपाय श्रीमते ।। १ ।।मोहशोकविनाशाय सीताशोकविनाशिने ।भग्नाशोकवनायास्तु दग्धलङ्काय वाग्मिने ।। २ ।।गतिनिर्जितवाताय लक्ष्मण प्राणदाय च ।वनौकसां वरिष्ठाय वशिने वनवासिने ।। ३ ।।तत्त्वज्ञान सुधासिन्धुनिमग्नाय…

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जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् । तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् ॥ १ ॥ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् । नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् ॥ २ ॥ धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् । कुमारं शक्तिहस्तं…

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अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्। नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्॥ इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा। सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्॥ मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा। तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि॥ नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा। द्यावापृथिवोव्योश्च…

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रेफो हि कोटी जन्माघं कर्मभोगं शुभाशुभम् । आकारो गर्भवासं च मृत्युं च रोगमुत्सृजेत् ॥ धकार आयुषो हानिमाकारो भवबन्धनम् । श्रवणस्मरणोक्तिभ्यः प्रणश्यति न संशयः ॥ रेफ़ो हि निश्चलां भक्तिं दास्यं कृष्णपदाम्बुजे…

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अस्य श्रीराहुस्तोत्रस्य वामदेव ऋषिः । गायत्री छन्दः । राहुर्देवता । राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥ राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः । अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥१॥ रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः । ग्रहराजः सुधापायी…

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श्री गणेशाय नमः अस्य श्रीरामरक्षास्तोञ मंञस्य । बुधकौशिकऋषिः । अनुष्टुप छन्दः । सीता शक्तिः । श्रीमध्दनुमान् कीलकम् । श्रीरामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः । अथ ध्यानम् । ध्यायेदाजानबाहुं धृतशरधनुषं बध्दपद्मासनस्थं । पीतं…

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काहे विलम्ब करो अंजनी-सुत । संकट बेगि में होहु सहाई ।। नहिं जप जोग न ध्यान करो । तुम्हरे पद पंकज में सिर नाई ।। खेलत खात अचेत फिरौं ।…

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प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् भक्तावासं स्मरेनित्यम आयुष्कामार्थ सिध्दये ॥१॥ प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् तृतीयं कृष्णपिङगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥२॥ लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धुम्रवर्णं तथाषष्टम…

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धन्य धन्य भोलानाथ बाँट दिये तीनों लोक पल भर में । ऐसा दीन दयाल मेरे शम्भू भरो खजाना पल भर में ॥ प्रथम वेद तो ब्रह्मा को दे दिया बने…

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॥ ॐ नमः शिवाय ॥ महिम्नः पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः । अथाऽवाच्यः सर्वः स्वमतिपरिणामावधि गृणन् ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवादः परिकरः ॥ १॥ अतीतः पंथानं तव च महिमा…

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श्री गणेशाय नमः । अनिर्वाच्यं रूपं स्तवन-निकरो यत्र गलित- स्तथा वक्ष्ये स्तोत्रं प्रथमपुरुषस्याऽत्र महतः । यतो जातं विश्वं स्थितमपि सदा यत्र विलयः स कीदृग्गीर्वाणः सुनिगमनुतः श्रीगणपतिः ॥१॥ गणेशं गाणेशाः शिवमिति…

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। ॐ नमः शिवाय । अस्य श्रीशिवरक्षा-स्तोत्र-मन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः, श्रीसदाशिवो देवता, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीसदाशिव-प्रीत्यर्थे शिवरक्षा-स्तोत्र-जपे विनियोगः ॥ चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् । अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम् ॥ गौरी-विनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्…

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नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥१॥ मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय । मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥२॥ शिवाय गौरीवदनाब्जबालसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय । श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय…

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प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् । खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥१॥ प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम् । विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोभिरामं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥२॥ प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम् । नामादिभेदरहितं षड्भावशून्यं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥३॥

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ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥१॥ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः । नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥२॥ महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम्…

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Shree Suktamश्रीसूक्तम् ॐ हिरण्यवर्णाम हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥१॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्॥२॥ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्। श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवी जुषताम्॥३॥ कांसोस्मितां…

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याज्ञवल्क्य उवाच कृपां कुरु जगन्मातर्मामेवं हततेजसम् । गुरुशापात्स्मृतिभ्रष्टं विद्दाहीनं च दुःखितम् ॥ १ ॥ ज्ञानं देहि स्मृतिं विद्दां शक्तिं शिष्यप्रबोधिनीम् । ग्रंथकर्तृत्वशक्तिं च सुशिष्यं सुप्रतिष्ठितम् ॥ २ ॥ प्रतिभां सतसभायां…

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॥ ॐ श्री देव्यै नमः ॥ ॥ अथ चंडीपाठः ॥ या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता। नमस्तस्यै ९४ नमस्तस्यै १५ नमस्तस्यै नमो नमः ॥५-१६॥ या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते । नमस्तस्यै ९७…

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ऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी । दया करके ब्रह्माजी बोले तभी ॥ के जो गुप्त मंत्र है संसार में । हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में ॥ हर इक का…

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विष्णु उवाच गणेशमेकदन्तं च हेरम्बं विघ्ननायकम् । लम्बोदरं शूर्पकर्णं गजवक्त्रं गुहाग्रजम् ॥ नामाष्टार्थ च पुत्रस्य श्रुणु मातर्हरप्रिये । स्तोत्राणां सारभूतं च सर्वविघ्नहरं परम् ॥ १ ॥ ज्ञानार्थवाचको गश्च णश्च निर्वाणवाचकः…

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बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो…

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फणिवर उठवीला, वेग अद्भुत केला । त्रिभुवन जन लोकीं, कीर्तिचा घोष केला ॥ रघुपति उपकारें, दाटले थोर भारें । परम धिर उदारें, रक्षिलें सौख्यकारें ॥ १ ॥ सबळ दळ मिळालें,…

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नमो भैरवदेवाय नित्यायानंद मूर्तये । विधिशास्त्रांत मार्गाय वेदशास्त्रार्थ दर्शिने ॥ १ ॥ दिगंबराय कालाय नम: खट्वांग धारिणे ॥ विभूतिविल सद्भाल नेत्रायार्धेंदुमोलिने ॥ २ ॥ कुमारप्रभवे तुभ्यं बटुकाय महात्मने । नमोsचिंत्य…

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भगवति भवरोगात् पीडितं दुष्कृतोत्यात् । सुतदुहितृकलत्र उपद्रवेणानुयातम् ॥ विलसदमृतदृष्ट्या वीक्ष विभ्रान्तचित्तम् । सकलभुवनमातस्त्राहि माम् ॐ नमस्ते ॥ १ ॥ माहेश्र्वरीमाश्रितकल्पवल्ली । महंभवोच्छेदकरीं भवानीम् ॥ क्षुधार्तजायातनयाद्दुपेत स्त्वान्नपूर्णे शरणं प्रपद्दे ॥ २…

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अङ्गं हरे: पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङगनेव मुकुलाभरणं तमालम् । अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥ १ ॥ मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः…

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त्वं देवी जगतां माता विष्णुमाया सनातनी । कृष्णप्राणाधिदेवी च कृष्णप्राणाधिका शुभा ॥ १ ॥ कृष्णप्रेममयी शक्तिः कृष्णसौभाग्यरुपिणी । कृष्णभक्तिप्रदे राधे नमस्ते मङगलप्रदे ॥ २ ॥ अद्य मे सफलं जन्म जीवनं…

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नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥ निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌ । करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार…

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ॐ आदि अनादि अनंत, अखण्ड अभेद सुवेद बतावै। अलख अगोचर रूप महेश को, जोगी जतीमुनि ध्यान न पावें॥ आगम-निरास-पुराने सबै, इतिहास सदा जिनके गुन गावें। बड़भागी नरनारिसोई जो, सांबसदाशिव कौ…

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श्रीविष्णुरुवाच ईश त्वां स्तोतुमिच्छामि ब्रह्मज्योतिः सनातनम् । निरुपितुमशक्तोsहमनुरुपमनीहकम् ॥ १ ॥ प्रवरं सर्वदेवानां सिद्धानां योगिनां गुरुम् । सर्वस्वरुपं सर्वेशं ज्ञानराशिस्वरुपिणम् ॥ २ ॥ अव्यक्तमक्षरं नित्यं सत्यमात्मस्वरुपिणम् । वायुतुल्यातिनिर्लिप्तं चाक्षतं सर्वसाक्षिणम्…

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नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च । नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥ नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च । नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥ नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:। नमो…

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शनि बीज मन्त्र - ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥ शनैश्चराय शान्ताय सर्वाभीष्टप्रदायिने । शरण्याय वरेण्याय सर्वेशाय नमो नमः ॥ १॥ सौम्याय सुरवन्द्याय सुरलोकविहारिणे । सुखासनोपविष्टाय सुन्दराय नमो…

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विनियोग अस्य श्रीशनैश्चर कवच स्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द: शनैश्चरो देवता, श्रीं शक्ति: शूं कीलकम्, शनैश्चर प्रीत्यर्थे पाठे विनियोग: । नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान् । चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा…

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श्री गणेशाय नमः विनियोगः ॐ अस्य श्रीशनैश्चरवज्रपञ्जर कवचस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्री शनैश्चर देवता, श्रीशनैश्चर प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥ ऋष्यादि न्यासः श्रीकश्यप ऋषयेनमः शिरसि । अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे…

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विनियोगः ॐ अस्य श्री महाकाल शनि मृत्युञ्जय स्तोत्र मन्त्रस्य पिप्लाद ऋषिरनुष्टुप्छन्दो महाकाल शनिर्देवता शं बीजं मायसी शक्तिः काल पुरुषायेति कीलकं मम अकाल अपमृत्यु निवारणार्थे पाठे विनियोगः। श्री गणेशाय नमः ॐ…

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॥ दोहा ॥ निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥…

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जो व्यक्ति अकारण ही जेल में बंद हो, किसी के द्वारा फंसाया गया हो, जमानत नहीं हो रही हो । उसे विधि अनुसार योग्य पण्डितों के द्वारा बन्दीमोचन स्तोत्रम् का…

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श्रीनृसिंह ऋणमोचन स्तोत्र का पाठ करने से ऋण के बोझ से तो मुक्ति मिल ही जाती है। इसका पाठ करने से अवरुद्ध सभी प्रकार के धन की प्राप्ति भी आसान…

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श्रीराम स्तुति का नित्य प्रतिदिन पाठ करने से साधक को प्रभु श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है और साथ ही उस पर हनुमान जी महाराज भी प्रसन्न होते है। यह…

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