॥ दोहा ॥ जय जय श्री महालक्ष्मी कर पात तब ध्यान। सिद्ध काज मम कीजिए निज शिशु सेवक जान॥ ॥ चौपाई ॥ नमो महा लक्ष्मी जय माता, तेरो नाम जगत…
Sampoorn chalisa sanklan.
It is collection of chalisa’s of all lords.
चालीसा संकलन
सम्पूर्ण चालीसा का संग्रह
॥ दोहा ॥ जय जय श्री महालक्ष्मी कर पात तब ध्यान। सिद्ध काज मम कीजिए निज शिशु सेवक जान॥ ॥ चौपाई ॥ नमो महा लक्ष्मी जय माता, तेरो नाम जगत…
॥ दोहा ॥ शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम। उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम॥ सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार। महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार॥ ॥…
॥ दोहा ॥ बन्दौं वीणा पाणि को, देह आय मोहिं ज्ञान। पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥ मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास। ताते आयों…
॥दोहा॥ जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू, चतुरानन सुखमूल। करहु कृपा निज दास पै, रहहु सदा अनुकूल॥ तुम सृजक ब्रह्माण्ड के, अज विधि घाता नाम। विश्वविधाता कीजिये, जन पै कृपा ललाम॥ ॥चौपाई॥…
॥दोहा॥ श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान। बालाजी चालीसा लिखे दास स्नेही कल्याण। विश्व विदित वर दानी संकट हरण हनुमान। मैंहदीपुर में प्रगट भये बालाजी भगवान। ॥चौपाई॥ जय…
॥ दोहा ॥ जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब। देह दर्श जगदम्ब अब, करो न मातु विलम्ब॥ जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द। काली चालीसा रचत एक सिद्धि…
॥दोहा॥ विश्वनाथ को सुमिर मन, धर गणेश का ध्यान। भैरव चालीसा रचूं, कृपा करहु भगवान॥ बटुकनाथ भैरव भजं, श्री काली के लाल। छीतरमल पर कर कृपा, काशी के कुतवाल॥ ॥चौपाई॥…
बगलामुखी चालीसा का नित्य पाठ करने से माँ बगलामुखी की कृपा प्राप्त होती है। इस चालीसा का पाठ सभी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला और हर मनोकामना को पूर्ण करने…
॥ दोहा ॥ जय गिरी तनये दक्षजे शंभु प्रिये गुणखानि। गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि॥ ॥ चौपाई ॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे। षड्मुख…
॥ दोहा ॥ हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद, चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ। सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी, हे पितरेश्वर दया राखियो करियो…
॥ दोहा ॥ गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाय। प्रेतराज जी का लिखू, चालीसा हरषाय॥ जय जय भूताधिप प्रबल, हरण सकल दुःख भार। वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार॥…
॥ दोहा ॥ श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि। सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि॥ बुद्धिहीन जन जानिये, अवगुणों का भण्डार। बरणों परशुराम सुयश, निज मति के…