अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) या आखातीज के दिन नर-नारायण, भगवान परशुराम और हयग्रीव के अवतार हुए थे। जानियें अक्षय तृतीया या आखातीज कब है?, अक्षय तृतीया व्रत की विधि, अक्षय तृतीया की व्रतकथा और अक्षय तृतीया का माहात्म्य।
Akshaya Tritiya Vrat (Akhateej)
अक्षय तृतीया व्रत (आखातीज)
वैसाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) या आखातीज (Akhateej) कहा जाता है। हिंदु धर्म में अक्षय तृतीया के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य के लिये यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है। लोग इस दिन विवाह आदि शुभ कार्य करते है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत-पूजन, यज्ञ-हवन एवं दान-पुण्य करने से जो पुण्य मिलता है उसका क्षय नही होता। इसालिये इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पूजन एवं व्रत किया जाता है। यह भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी का जन्मदिन भी है।
Akshaya Tritiya Vrat Kab Hai?
अक्षय तृतीया या आखातीज कब है?
इस वर्ष अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) या आखातीज (Akhateej) का त्यौहार 10 मई, 2024 शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा।
Akhateej Vrat Ki Vidhi
आखातीज व्रत की विधि
- आखातीज (Akhateej) का व्रत करने वाले जातक को सुबह स्नानादि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करने चाहिये।
- लक्ष्मीजी और भगवान विष्णु जी को गंगाजल से शुद्ध करके पीले फूलों की माला या पीले फूल अर्पित करें।
- धूप-अगरबत्ती, दीपक जला कर पीले आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिये। अंत में विष्णु जी की आरती करें।
- भगवान को चंदन लगाये फिर मिश्री और भीगे हुए चनों का भोग लगाये।
- भगवान को तुलसी-दल और नैवेद्य अर्पित कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर श्रद्धानुसार दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
- इस दिन गरीबों को भोजन कराना चाहिये और घड़ा, पंखा, चावल, चीनी, घी, नमक, दाल, दक्षिणा इत्यादि श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दान करना चाहिये। इससे अत्यंत पुण्य-फल प्राप्त होता है।
- इस दिन प्रातःकाल बिना नमक की मूँग और चावल की खिचडी बनाई जाती है।
- इस दिन ना पापड़ सेंका जाता और ना ही पक्की रसोई बनाई जाती है।
यदि पूरे दिन का व्रत रखना संभव न हो तो एक बार पीला मीठा हलवा, केला, पीले मीठे चावल खा सकते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन नर-नारायण, भगवान परशुराम और हयग्रीव के अवतार हुए थे। इसलिए हिंदु मान्यता के अनुसार लोग नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव जी के लिए जौं या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी, मिश्री और भीगी चने की दाल भोग में अर्पित करते हैं।
इस दिन सभी को भगवान का भजन करते हुए सद्चिंतन करना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन किया गया कोई भी काम निष्फल नहीं जाता। इस दिन दिए हुए दान और किये हुए स्नान, यज्ञ, जप आदि सभी कर्मों का फल अनन्त और अक्षय (जिसका क्षय या नाश न हो) होता है। इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया के व्रत से भगवान लक्ष्मीनारायण प्रसन्न होते हैं।
Akshaya Tritiya Vrat Katha
अक्षय तृतीया व्रतकथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का महत्व जानने की इच्छा व्यक्त की। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको बताया कि यह बहुत ही पुण्यमयी और शुभ तिथि है। इस दिन दोपहर से पहले स्नान, जप, तप, होम (यज्ञ), स्वाध्याय, पितृ-तर्पण, और दान आदि करने वाला मनुष्य अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
कथा: प्राचीन समय में एक महोदय नामक का वैश्य कुशावती नगरी में निवास करता था। सौभाग्यवश महोदय वैश्य को एक पंडित के द्वारा अक्षय तृतीया के व्रत की जानकारी प्राप्त हुई। उसने भक्ति-भाव से विधि-विधान के साथ नियमपूर्वक इस व्रत को रखा। व्रत के प्रभाव से वह वैश्य कुशावती का महाप्रतापी शक्तिशाली राजा हो गया। उसका राजकोष स्वर्ण मुद्राओं, हीरे-जवाहरातों से भरा रहता था। राजा स्वभाव से बहुत दानी था। वह उदार मन से खुले हाथ से दान करता था। एक बार राजा के वैभव और सुख-शांतिपूर्ण जीवन से प्रभावित होकर व्यक्तियों ने राजा से उसकी समृद्धि का कारण पूछा। राजा ने उन्हे स्पष्ट रुप से अपने अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) व्रत की कथा सुना दी और यह कहा कि सब कुछ अक्षय तृतीया के व्रत के प्रभाव से प्राप्त हुआ है। राजा से यह सब सुनकर उन लोगों ने और वहाँ की प्रजा ने विधि-विधान के साथ अक्षय तृतीया का व्रत रखना प्रारम्भ कर दिया। अक्षय तृतीया व्रत के प्रभाव से सभी नगर-निवासी, धन-धान्य से पूर्ण होकर वैभवशाली और सुखी हो गए। हे प्रभु! जैसे आपने उस वैश्य को वैभव और राज्य दिया वैसे ही अपने सब भक्तों को धन और सुख देना। सब पर अपनी कृपा बनाए रखना। ऐसी हमारी आपसे प्रार्थना है।
Significance Of Akshay Tritiya
अक्षय तृतीया माहात्म्य
- अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का दिन साल के सबसे शुभ माने जाने वाले दिनों मे से एक है। इस दिन अधिकांश शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
- इस दिन गंगा स्नान करने का भी बड़ा भारी माहात्म्य कहा गया है। जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह निश्चय ही अपने समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
- इस दिन पितृ श्राद्ध करने का विधान भी है। जौं, गेहूँ, चने, सत्तू, दही-चावल, दूध से बने पदार्थ आदि सामग्री का दान अपने पितरों (पूर्वजों) के नाम से करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
- इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर अपने पितरों के नाम से श्राद्ध व तर्पण करना बहुत शुभ माना गया है।
- इस दिन सोना ख़रीदना शुभ होता है।
- इसी तिथि पर परशुराम व हयग्रीव का अवतार हुआ था।
- त्रेतायुग का प्रांरभ भी इसी तिथि को हुआ था।
- इस दिन श्री बद्रीनाथ जी के पट खुलते हैं।
- वृंदावन के बाँके बिहारी जी के मंदिर में केवल अक्षय तृतीया के दिन ही बिहारीजी के चरण के दर्शन होते हैं।
किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए यह स्वयंसिद्ध दिन माना जाता है। यह त्यौहार बड़ा पवित्र और महान फल देने वाला है।