Batuk Bhairav Jayanti 2023 : जानियें कब और कैसे करें बटुक भैरव जयंती की पूजा?

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बटुक भैरव जयंती (Batuk Bhairav Jayanti) के दिन भगवान बटुक भैरव की पूजा की जाती है। बटुक भैरव भगवान शिव के अवतार माने जाते है। यह भगवान शिव का बाल रूप है जो बहुत ही सौम्य है। दूसरा रूप है काल भैरव जो भगवान का रौद्र रूप है। जानिये कब है बटुक भैरव जयंती (Batuk Bhairav Jayanti) ?, कैसा स्वरूप है भगवान बटुक भैरव का?, कैसे करें बटुक भैरव जयंती के दिन बटुक भैरव की पूजा? और साथ ही पढ़ियें भगवान बटुक भैरव की उत्पत्ति की कहानी…

Batuk Bhairav
बटुक भैरव

बटुक भैरव को भगवान महादेव के अवतार के रूप में जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि के दिन भगवान शिव बटुक भैरव रूप में प्रकट हुये थे। भगवान शिव का भैरव स्वरूप अधिकतर तंत्र साधन से जोड़ा जाता है। जातक तंत्र सिद्धि और भौतिक लाभ पाने के लिए इनकी साधना करते है जिससे उन्हें प्रसन्न करके मनोवान्छित फल प्राप्त कर सकें। भगवान भैरव के दो स्वरूप है, एक है बटुक भैरव जो की भगवान शिव का बाल रूप हैं। और दूसरा रूप महा काल अर्थात काल भैरव है जो भी भगवान शिव का रौद्र और विकराल रूप है।

How is the form of Lord Shri Batuk Bhairav?
कैसा है भगवान श्री बटुक भैरव का स्वरूप?

कुछ साधक भगवान के बटुक भैरव रूप को शुद्ध आत्मा का प्रतिनिधित्व करने वाला उसका प्रतीकात्मक रूप मानते हैं। बटुक भैरव भगवन शिव का बाल रूप है जो अतिकोमल है और जिसका रंग गोरा है। इसलिये इन्हे गोरा भैरव के नाम से भी जाना जाता हैं।

  • बालक रुपी भगवान बटुक भैरव की देह की कान्ति स्फटिक की तरह चमकदार है।
  • केश घुंघराले और चमकता हुआ मुख।
  • कमर और पैरों में किंकिणी, नूपुर आदि नव मणियों के अलंकार सज्ज्ति हैं।
  • उनके तीन नेत्र है। भव्य और उज्जवल मुख है।
  • सदा प्रसन्न-चित्त दिखते है।
  • उन्होने हाथों में शूल और दण्ड धारण किए हुए हैं।

When is Batuk Bhairav Jayanti?
कब है बटुक भैरव जयंती?

इस वर्ष बटुक भैरव जयंती 30 मई 2023, मंगलवार के दिन मनाई जायेगी।

How to worship Batuk Bhairav?
कैसे करें बटुक भैरव की पूजा?

बटुक भैरव जयंती के दिन भगवान बटुक भैरव की पूजा किये जाने का विधान है। इस साधक को भगवान बटुक भैरव के मन्दिर जाकर उनकी पूजा करनी चाहिये। पूजा की विधि इस प्रकार है –

  • प्रात:काल नित्यक्रिया से निवृत्त होकर गंगा नदी में स्नान करें यदि गंगा स्नान सम्भव ना होतो स्नान के जल में गंगा जल डालकर स्नान करें। फिर स्वच्छ सफ़ेद वस्त्र धारण करें। स्नान के बाद व्रत का संकल्प करें।
  • भगवान बटुक भैरव के मंदिर जाकर पूजा करें। यदि ऐसा सम्भव ना हो तो शिवालय जाकर भी पूजा कर सकते है।
  • भगवान बटुक भैरव देव को सफ़ेद फूल और केला अर्पित करे। लड्डू और पंचामृत चढ़ाएं। यह सब चढ़ाते हुये इस मंत्र का जाप करते रहें। मंत्र – “ॐ बटुक भैरवाय नमः”।
  • फिर बटुक भैरव स्तोत्र (श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली ) का पाठ करें।
  • आरती करें।
  • गरीबों को प्रसाद बाँटें।
  • इसके बाद बाहर आकर कुत्ते को दूध अवश्य पिलायें। साथ ही पुआ या हलवा भी खिलायें।

बटुक भैरव जयंती की रात्रि से बटुक-भैरव की विशेष साधना की जाती है। इस विशेष साधना को किसी विशेष मनोरथ की सिद्धि के लिये किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार की साधना है और इसके कुछ विशेष नियम भी होते है। इस साधना को बिना गुरु की आज्ञा और दीक्षा के ना करें। अधिक जानकारी के लिये क्लिक करें।

Significance of Batuk Bhairav Jayanti
बटुक भैरव जयंती का महत्व

बटुक भैरव जयंती के दिन उत्तर भारत में बहुत से बटुक भैरव मंदिरों विशेष पूजा और अनुष्ठानों किये जाते है। तंत्रवाद में विश्वास करने वाले तांत्रिकों द्वारा भगवान शिव के रूप बटुक भैरव और काल भैरव की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान बटुक भैरव की विधि अनुसार पूजा करने से

  • राहु – केतु शांत होते है।
  • ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते है।
  • नकारात्मक और दुष्ट शक्तियों से सुरक्षा होती है।
  • शत्रु का भय नही रहता।
  • भगवान बटुक भैरव अपने भक्तों की सदा ही रक्षा करते है।
  • दुख – दरिद्रता का नाश होता है।
  • संकट दूर होता है।
  • भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • धन – समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • आयु में वृद्धि होती है। अकाल मृत्यु का नाश होता है।
  • आरोग्य की प्राप्ति होती है।
  • मरणोपरांत मोक्ष की प्रप्ति होती है।

The story of the origin of Batuk Bhairav
बटुक भैरव की उत्पत्ति की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार अति प्राचीन काल में आपद नाम का एक राक्षस था। उसने कठिन तपस्या के द्वारा यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे कोई भी देवी-देवता नही मार सकेगा। उसकी मृत्यु सिर्फ पाँच वर्ष की आयु वाला कोई बालक ही कर सकेगा। यह वर पाने के बाद आपद निरंकुश हो गया और तीनों लोकों में उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया। देवी – देवता और मनुष्य सभी उसके अत्याचार से परेशान हो गये थे। आपद के द्वारा प्रताडित देवी – देवताओं ने जाकर भगवान शिव से प्रार्थना करी कि वो उनकी आपद से रक्षा करें। तब भगवान शिव जी ने पांच वर्ष के बालक रूप में बटुक भैरव को प्रकट किया। इस प्रकार से बटुक भैरव की उत्पत्ति हुई। इसके बाद भगवान बटुक भैरव ने आपद नामक राक्षस का वध करा। उसके बाद से ऐसा कहा जाता है कि इस कलियुग में यदि आपके उपर कोई मुसीबत आये तो बटुक भैरव का ध्यान करें।