बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) को सत्य विनायक पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा और पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है। जानियें बुद्ध पूर्णिमा कब है?, बुद्ध पूर्णिमा व्रत की क्या विधि है? और बुद्ध पूर्णिमा व्रत का क्या महत्व होता है?
Baisakh Purnima / Pipal Purnima / Buddha Purnima
वैशाख पूर्णिमा / पीपल पूर्णिमा / बुद्ध पूर्णिमा
वैशाख पूर्णिमा (Baisakh Purnima) व्रत का बड़ा ही महत्व है। इस पूर्णिमा को सत्य विनायक पूर्णिमा (Satya Vinayak Purnima), बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) और पीपल पूर्णिमा (Pipal Purnima) भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन का व्रत करने से महान पुण्य प्राप्त होता है। पीपल पूर्णिमा के दिन स्त्रियों द्वारा व्रत रखकर पीपल के वृक्ष की पूजन का भी विधान है। हिंदु मान्यता के अनुसार पीपल के वृक्ष मे देवताओं का वास होता हैं। ऐसा माना जाता है कि वैशाख पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु का तेइसवां अवतार महात्मा बुद्ध के रूप में हुआ था। इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इस दिन को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
Buddha Purnima (Pipal Purnima) Kab Hai?
बुद्ध पूर्णिमा (पीपल पूर्णिमा) कब है?
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का व्रत एवं पूजन 23 मई, 2024 गुरूवार के दिन किया जायेगा।
Baisakh Purnima Vrat Ki Vidhi
वैशाख पूर्णिमा व्रत की विधि
वैशाख पूर्णिमा (Baisakh Purnima) व्रत की पूजा विधि अन्य पूर्णिमा व्रत के सामान ही है लेकिन इस दिन किये जाने वाले कुछ धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं
• वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए।
• स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
• उसके पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
• इस दिन धर्मराज की पूजा का भी विधान है। इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है।
• इस दिन सत्तू, मिठाई, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
• जरुरतमंद व्यक्तियों और ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पापों का नाश होता है।
• वैशाख पूर्णिमा के दिन तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण जरूर करें।
• वैशाख पूर्णिमा के दिन व्रत के दौरान एक ही समय भोजन करें।
Baisakh Purnima (Buddha Purnima) Vrat Ka Mahatva
वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) व्रत का महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन धर्मराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा जब द्वारिका उनके पास मिलने गये थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत का विधान बताया। और इसी व्रत के पुण्य प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता दूर हो गई थी। और वो बहुत ही धनवान जो गया था।