मनोवांछित फल पाने के लिये करें महानवमी (Maha Navami) पर नव दुर्गा की पूजा-अर्चना (Nav Durga Puja) और हवन। जानियें कब है दुर्गा नवमी (Durga Navami)? साथ ही पढ़ियें महानवमी पर कन्या पूजन (Maha Navami Kanya Pujan) की विधि और हवन-पूजन की विधि एवं महत्व (Maha Navami Havan Vidhi & Significance)…
Maha Navami
महा नवमी
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन महा नवमी (Maha Navami) का उत्सव मनाया जाता हैं। इसे दुर्गा नवमी (Durga Navami) के नाम से भी पुकारा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महिषासुर नाम के दैत्य का संहार करके माँ दुर्गा ने संसार को उसके अत्याचारों के मुक्ति दिलाई थी। महा नवमी पर माँ दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी के स्वरूप में पूजा जाता हैं। इस दिन ज्योत, हवन, दुर्गा पूजन, कन्या पूजन किये जाने की परम्परा हैं। बहुत से भक्त इस दिन माता की ज्योत करते हैं और नौ कन्या और लौकड़ा जिमाते हैं। इस दिन माता का हवन भी किया जाता हैं।
इस दिन बलि चढ़ाने की परम्परा भी हैं। किंतु पशु हिंसा को बंद करने के चलते बलि प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया गया हैं। और बहुत से हिंदु धर्म के अनुयायी बलि प्रथा को उचित नही मानते। इन सब के चलते अब प्रतीक रूप में कद्दू, केले, गन्ने आदि फल-सब्जियों की बलि चढ़ाई जाती हैं। उदाहरणार्थ वैल्लूर मठ (पश्चिम बंगाल) में महानवमी पर प्रतीक रूप में कद्दू और गन्ने की बलि चढ़ाई जाती है।
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Maha Navami Kab Hai?
महा नवमी कब हैं?
इस वर्ष महा नवमी (Maha Navami) का उत्सव 11 अक्टूबर, 2024 शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा।
Durga Navami Par Kanya Pujan Ki Vidhi
दुर्गानवमी पर कन्या पूजन की विधि
बहुत से परिवारों में कन्या पूजन (कुमारी पूजन) नवमी तिथि के दिन किये जाने की परम्परा हैं।
इसमें 2 वर्ष से 12 वर्ष तक की उम्र की नौ कन्याओं को देवी के नौ रूप मानकर पूजा जाता हैं। और 9 कन्याओं के साथ एक लौकड़े को भी पूजा जाता हैं।
इस दिन माँ दुर्गा के भोग के लिये हलवा, चने, खीर, पूड़ी, आदि बनायी जाती हैं। माँ की ज्योत जगाकर विधि-विधान से माँ दुर्गा की पूजा की जाती हैं। कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा दी जाती हैं।
- महानवमी (Maha Navami) के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान पर जहाँ पर आपने घटस्थापना (यदि की हो तो) की वहाँ पर एक चौकी लगायें। उस पर लाल कपड़ा बिछायें।
- चौकी पर माँ की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। और साथ में गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर भी रखें।
- चौक बनायें। चौक पर दीपक जलायें।
- फिर गणेश जी को और माता जी को जल के छीटें लगायें, रोली-चावल से तिलक करें, मोली चढ़ायें। माँ को चुनरी चढ़ायें।
- फूल माला चढ़ायें। फल अर्पित करें। हलवा, चने, खीर, पूरी आदि का भोग माँ को अर्पित करें।
- माँ दुर्गा को पान सुपारी भेंट करें।
- उसमें दक्षिणा अवश्य रखें।
- दीपक और कपूर जलाकर माँ दुर्गा की आरती करें।
- फिर नौ कन्याओं और एक लौकड़े के पैर धोये, मोली बांधे, तिलक करें और उन्हे भोजन करायें।
- भोजन कराने के बाद उन्हे दक्षिणा और उपहार देंकर प्रसन्न करें।
- फिर उनके चरण छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- तत्पश्चात् ब्राह्मण को भोजन करायें और उसे दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।
- दोपहर के समय दुर्गा सप्तशती के मंत्रो का पाठ करते हुये हवन करें।
- हवन समाप्त करने के बाद स्वयं भोजन करें।
Maha Navami Havan
महानवमी हवन
महानवमी (Maha Navami) पर पूजन के बाद हवन करने का बहुत महत्व हैं। दुर्गा नवमी (Durga Navami) की पूजा के उपरांत दोपहर के समय हवन का आयोजन करें। इस हवन में दुर्गा सप्तशती के 700 मंत्रों का जाप करते हुये आहुति दी जाती हैं। नवमी के हवन को चंड़ी होम (Chandi Homa) के नाम से भी जाना जाता हैं।
Maha Navami Par Havan-Pujan Ka Mahatva
महानवमी पर हवन-पूजन का महत्व
महानवमी (Maha Navami) के पावन दिन पर माँ दुर्गा की पूजा (Durga Puja) और उनका हवन करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। माँ दुर्गा की कृपा से साधक के सभी कष्टों और पापों का नाश हो जाता हैं।
- जातक को आरोग्य की प्राप्ति होती हैं।
- माँ शक्ति की कृपा से उसके परिवार में शांति रहती हैं।
- शत्रु पराजित होता हैं। सभी प्रकार के भय से जातक मुक्त हो जाता हैं।
- सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं।
- धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती हैं।
- साधक की मनोकामना सिद्ध होती हैं। मनोवांछित प्रयोजन सिद्ध होता हैं।
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