ओ३म् जय श्री कृष्ण हरे प्रभु जय श्री कृष्ण हरे।
भगतन के दुःख टारे पल में दूर करे ! जय श्री कृष्ण हरे।।
परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी,
जै रस रास बिहारी जै गिरधारी। ओम जय०
कर कंचन कटि कंचन श्रुति कुण्डल बाला,
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला। ओम जय०
दीन सुदामा तारे, दरिद्र दुःख टारे,
जग के फन्द छुड़ाये भव सागर तारे। ओम जय०
ॐ हिरण्यकश्यप संहारे नर हरि रूप धरे,
पाहन से प्रभु प्रकटे जन के बीच पड़े। ओम जय०
केशी केश विदारे नलकूबर तारे,
दामोदर छवि सुन्दर भगतन रखवारे। ओम जय०
काला नाग नथैया नटवर छवि सोहे,
फन फन करत ही नागन मन मोहे। ओम जय०
राज्य विभाषण थापे सीता शोक हरे,
द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे। ओम जय०