Ram Navami 2024 – जानियें रामनवमी कब मनायी जायेगी? पढ़ियें राम नवमी की पूजा विधि

Ram Navami par Shri Ram Ki Puja aur Havan ki vidhi

Ram Navami
राम नवमी

शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल की नवमी तिथि को पुनर्वसु (पुष्य) नक्षत्र व कर्क लग्न में सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या नगर में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसलिये इस दिन को रामनवमी (Ram Navami) के नाम से पुकारा जाता है। श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। पूरे भारतवर्ष में रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। रामनवमी के दिन सरयू नदी पर स्नान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

Ram Navami Kab hai?
राम नवमी कब मनायी जायेगी?

इस वर्ष रामनवमी (Ram Navami) का पुण्य पर्व 17 अप्रैल, 2024 बुधवार के दिन मनाया जायेगा।

Ram Navami Ka Mahatva
रामनवमी का महत्व

धर्मशास्त्रों के अनुसार चैत्र नवरात्रि की नवमी के दिन भगवान श्रीराम ने धरती पर अवतार लिया। धरती पर से राक्षसों के प्रभाव को नष्ट करके धर्म और मर्यादा की स्थापना हेतु भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया। उन्होने समाज के समक्ष सत्य, धर्म और मर्यादा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। श्रीराम ने रावण का वध करके पृथ्वी को उसके संताप से मुक्ति दिलाई।

इस कलियुग में राम का नाम सभी बाधाओं को नष्ट करने वाला है। श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उनका चरित्र एक आदर्श चरित्र है। उन्होने अपने जीवन में गुरु सेवा, पितृ भक्ति, मातृ भक्ति, भ्रातृ-प्रेम, धर्म का आचरण, समानता (जाति-पाँति और छूआछूत का भेदभाव मिटाना), शरणागत रक्षा, सत्यनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा , आदि जैसे गुणों का पालन करके एक महान चरित्र का उदाहरण समाज के समक्ष रखा है। श्रीराम के जीवन से हमें शिक्षा लेनी चाहिये और उनके आदर्शो का पालन करना चाहिये।

ऐसा माना जाता है इस कलियुग में श्रीराम का नाम स्मरण करने से मनुष्य के सभी कष्टों का नाश होता है। रामनवमी (Ram Navami) के दिन व्रत एवं पूजन करने से साधक को भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।

  • साधक के जीवन की समस्याओं का निदान होता है।
  • सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की शक्ति प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ण होती है।
  • धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • परिवार में सुख-शांति आती है।
  • शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
  • सुगमता के कार्य सिद्ध होते है, कार्यों में आने वाली बाधाएँ समाप्त होती है।
  • मनुष्य जीवन के सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है।

Rama Navami Ki Puja Kaise Kare?
रामनवमी पर श्रीराम की पूजा कैसे करें?

रामनवमी (Ram Navami) के दिन उपवास रखें और फलाहार करें। यदि सम्भव ना हो तो एक समय भोजन कर लें। भगवान श्रीराम की विधि-विधान और पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ पूजा अर्चना करें। पूजन की विधि इस प्रकार है –

  • रामनवमी (Ram Navami) के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर उसपर भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण जी की मूर्तियाँ स्थापित करें। यदि मूर्ति ना हो तो रामदरबार की तस्वीर स्थापित करें।
  • एक मुठ्ठी चावल रखकर उस पर एक कलश स्थापित करें।
  • दीपक प्रज्वलित करें।
  • सर्वप्रथम भगवान गणेश का ध्यान करें और उनकी मूर्ति पर जल के छींटे लगाकर रोली-मोली और चावल चढ़ायें। पुष्प अर्पित करे।
  • इस मंत्र का जाप करते हुये भगवान राम की पूजा करें।

श्री रामचन्द्राय नमः। पादौ पूजयामि।
ओम श्री जानकीवल्लभं। ओम श्री रामचन्द्राय नमः।
सर्वांगगाणि पूजयामि।

  • तत्पश्चात भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुये उनकी मूर्ति का पंचामृत से अभिषेक करें। जल, रोली, मोली और चावल चढ़ायें। फल-पुष्प चढ़ायें।
  • इसके बाद भगवान श्रीराम के आगे एक मुट्ठी भरकर चावल चढायें।
  • भगवान को भोग अर्पित करें। दक्षिणा चढ़ायें।
  • फिर भगवान श्रीराम चालीसा या रामरक्षास्त्रोतम का पाठ करें। भगवान राम की आरती करें।
  • तत्पश्चात्‌ ‘ओम नमो भगवते रामचन्द्राय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • पूजा पूर्ण होने के बाद अपनी श्रद्धानुसार दान-पुण्य भी अभी अवश्य करें।
  • रामनवमी का व्रत सूर्योदय से आरम्भ होकर अगले दिन सूर्योदय तक रहता है। इसलिये अगले दिन सूर्योदय के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
  • रात्रि में भजन – कीर्तन का आयोजन करें और श्रीराम का ध्यान करें।
  • रामनवमी के दिन हवन किये जाने का विशेष महत्व है साथ ही इस दिन अखण्ड रामायण पाठ करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक रामायण पाठ करने की भी परम्परा है।

Rama Navami Havan (Homa) Kaise Kare?
रामनवमी पर हवन कैसे करें?

रामनवमी (Ram Navami) के दिन विशेष हवन किये जाने का विधान है। इस हवन के लिये किसी योग्य पंडित को बुलाये।
राम नवमी की हवन सामग्री: अश्वगंधा, कपूर, तिल, जौ, चावल, गाय की घी, लौंग, इलायची, शक्कर, पंचमेवा, शक्कर, जटाधारी नारियल, नारियल गोला, गंगा जल, कलावा, आम की लकड़ी, आम का पल्लव, नवग्रह की लकड़ी, मुलैठी की जड़, चंदन की लकड़ी, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, गूलर की छाल।

राम नवमी (Ram Navami) हवन करने की विधि इस प्रकार है –

  • हवन के लिये हवन कुंड का निर्माण करें।
  • सभी देवी-देवताओं का आवाहन करें।
  • आम की लकड़ी हवन कुंड में डालकर कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें।
  • अग्नि प्रज्जवलित होने के बाद हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति डाले।
  • हवनकुंड में कम से कम 108 आहुति होनी चाहिए।
  • हवन समाप्त होने पर भगवान श्रीराम और देवी सीता की आरती करें और उन्हे भोग निवेदन करें। रामनवमी के दिन अंतिम नवरात्रि भी होता है इसलिये इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। हवन समाप्ति के पश्चात कन्या पूजन करें।

रामनवमी (Ram Navami) के दिन पूरे देशभर में भगवान श्रीराम के मंदिरों मे विभिन्नआयोजन किये जाते है। उनका अभिषेक किया जाता है, मंदिरों को सँजाया जाता है। सुन्दर – सुंदर झाकियाँ सजाई जाती है। भगवान श्रीराम की जन्मस्थान अयोध्या मे दूर-दूर से राम भक्त आते है, साधू-सन्यासी आते है। यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है। भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव को सभी राम भक्त पूरे हर्ष उल्लास के साथ मनाते है।

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