भैरव जी की आरती (Bhairav Ji Ki Aarti)

Bhairav ji ki aarti

सुनो जी भैरव लाड़िले, कर जोड़ कर विनती करूँ ।
कृपा तुम्हारी चाहिए, मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।
मैं चरण छूता आपके, अर्जी मेरी सुन लीजिये ।
मैं हूँ मति का मन्द, मेरी कुछ मदद तो कीजिये।
महिमा तुम्हारी बहुत, कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ ॥ सुनो जी भैरव
करते सवारी स्वान की, चारों दिशा में राज्य है ।
जितने भूत और प्रेत, सबके आप ही सरताज हैं।
हथियार हैं जो आपके, उसका क्या वर्णन करूँ ॥ सुनो जी भैरव
माता जी के सामने तुम, नृत्य भी करते सदा।
गा गा के गुण अनुवाद से, उनको रिझाते हो सदा।
एक सांकली है आपकी, तारीफ उसकी क्या करूँ ॥ सुनो जी भैरव
बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेंहदीपुर सरनाम है।
आते जगत के यात्री, बजरंग का स्थान है ।
श्री प्रेतराज सरकार के, मैं शीश चरणों में धरूँ ॥ सुनो जी भैरव
निशदिन तुम्हारे खेल से, माताजी खुश रहें ।
सिर पर तुम्हारे हाथ रख कर, आशीर्वाद देती रहें।
कर जोड़ कर विनती करूँ, अरु शीश चरणों में धसूँ ॥ सुनो जी भैरव