कब और कहाँ मनाई जाती है जमाई षष्ठी (Jamai Sasthi) और अरण्य षष्ठी (Aranya Sashti) ? जानियें इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

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हिन्दू पंचांग के ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को उत्तर भारत में अरण्य षष्ठी (Aranya Sashti) और स्कन्द षष्ठी (Skanda Sashti) के नाम से जाना जाता है। बंगाल में इस दिन को जमाई षष्ठी (Jamai Sasthi) और उड़ीसा में शीतला षष्ठी (Sitala Sasthi) कहा जाता है। जानिये कब है ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि? और क्या होता है इस दिन…

Aranya Sashti/ Jamai Sasthi/ Sitala Sasthi
अरण्य षष्ठी/ जमाई षष्ठी/ शीतला षष्ठी

अरण्य षष्ठी (Aranya Sashti): उत्तर भारत में ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को अरण्य षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत वन देवता को समर्पित है। इसके अतिरिक्त इस दिन को स्कन्द षष्ठी भी कहा जाता है। इस दिन देवी षष्ठी और कार्तिकेय की पूजा भी की जाती है। यह दिन देवी षष्ठी और कार्तिकेय को भी समर्पित है। संतान प्राप्ति की कामना से स्त्रियाँ इस दिन व्रत रखती है और माँ षष्ठी और कार्तिकेय जी की पूजा करती है। इसके अतिरिक्त बहुत से लोग अरण्य षष्ठी के दिन वन देवता की पूजा करते है। यह पर्व मनुष्य और प्रकृति के बीच के प्रेम और सद्भाव को दिखाता है। वनों का हमारे जीवन में कितना महत्व है यह हम सभी जानते है।

Aranya Sashti Kab hai?
अरण्य षष्ठी

इस वर्ष अरण्य षष्ठी (Aranya Sashti) और जमाई षष्ठी (Jamai Sasthi) 12 जून 2024 बुधवार के दिन मनाई जायेगी। और ओडिसा में शीतला षष्ठी भी 12 जून 2024 बुधवार के दिन ही मनाई जायेगी।

How to worship Aranya Shashthi?
अरण्य षष्ठी की पूजा कैसे करें?

  • अरण्य षष्ठी (Aranya Sashti) के दिन जंगल में या कदम्ब के वृक्ष के नीचे पूजा की जाती हैं।
  • वृक्ष को जल चढायें। रोली – चावल चढ़ाकर उसकी पूजा करें। दीपक जलायें।
  • पेड के चारो ओर धागा (कलाया) बाँधें। उसकी आरती करें।
  • ऋग्वेद के अरण्य सूक्तम् का पाठ करें।
  • महिलाएं इस दिन उपवास रखती है और सिर्फ फलाहार करती है।

Shashthi Devi Puja Vidhi
षष्ठी देवी की पूजा विधि

  • देवी षष्ठी (Skanda Shashti) की पूजा करने वाली स्त्रियाँ षष्ठी देवी और कार्तिकेय जी की पूजा करती है। और प्रसाद में हाथ पंखे पर फलों का भोग निवेदन करती है।
  • प्रात:काल स्नानदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवन सूर्य को जल चढ़ायें।
  • पूजा स्थान पर पूर्वदिशा की ओर मुख करके देवी षष्ठी और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
  • दीपक जलायें । भोग लगाये।

Story related to Skanda Shashti
स्कन्द षष्ठी से जुड़ी कथा

स्कन्द षष्ठी से जुड़ी एक किंवदंती है जिसके अनुसार एक बार एक विवाहित महिला ने भोजन चुराया और खा लिया और पूछे जाने पर उसका आरोप एक बिल्ली पर लगा दिया। इस आरोप से आहत होकर उस बिल्ली के बदला लेने के लिये जब भी उस महिला के संतान होती वो बिल्ली उसे ले जाकर षष्ठी देवी के मन्दिर में उन्हे समर्पित करे देती। अपने बच्चों के जन्म के साथ ही उन्हे खो देने के दुख से वो स्त्री बहुत व्याकुल हो रही थी। जब उसने इस समस्या का कारण जानना चाहा तो उसे पता चला कि यह सब उस बिल्ली के द्वारा किया गया है, तो उसे अपनी भूल का अहसास हुआ और उसने षष्ठी देवी के मन्दिर जाकर उनसे प्रार्थना की और अपनी भूल के लिये क्षमा माँगी। उसका विलाप देखर और उसके भक्ति युक्त वचन सुनकर देवी षष्ठी ने उसे क्षमा कर दिया। अपनी संतान पुन: प्राप्ति के लिये स्कन्द षष्ठी की पूजा के विषय में बताया और साथ ही उसे कहा कि षष्ठी देवी के साथ बिल्ली की छवि बनाकर उसकी पूजा करें। उसने ऐसा ही किया जिसके परिणाम स्वरूप उसे उसकी संतान पुन: प्राप्त हुई।

Benefits of Shashthi Vrat
षष्ठी व्रत के लाभ

  • संतान सुख के प्राप्ति होती है। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिये संतान की आयु लम्बी होती है।
  • परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बढ़ता है।
  • दुखों का नाश होता है।
  • पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है।

How is jamai sasthi celebrated?
जमाई षष्ठी कैसे मनाते हैं?

ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन को बंगाल में जमाई षष्ठी (Jamai Sasthi) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ससुराल पक्ष के लोग अपने जमाई को अपने घर बुलाते है और उनका मान-सम्मान करते है। उन्हे तरह-तरह के पकवान खिलाये जाते है। फिर उन्हे उपहार दिये जाते है। ऐसा करने से जमाई और ससुराल पक्ष का रिश्ता मजबूत होता है और उनमे परस्पर एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव बढ़ता है।

How is sitala sasthi celebrated?
शीतला षष्ठी कैसे मनाते हैं?

ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी का दिन ओडिसा में शीतला षष्ठी (Sitala Sasthi) के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन वहाँ पर बड़ी धूम-धाम से भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह आयोजित किया जाता है। लोग इस दिन को बहुत उत्साह से मनाते है।