बालाजी महाराज की आरती (Balaji Maharaj Ki Aarti)

Balaji Maharaj Ki Aarti

जय श्री बालाजी, महाराज, अनोखी तिहारी झांकी।
जय श्री घाटे वाले हनुमान, अनोखी तिहारी झांकी।। टेक।।
तिहारे सिर पै मुकुट बिराजे, कानों में कुण्डल साजै।
गले बिराजै अनुपम हार, अनोखी तिहारी झांकी।
तिहारे नैन सुरमा साजै, माथे पै तिलक विराजै।
मुख में नागर पान लगा है, अनोखी तिहारी झांकी।
तेरे हाथ में लड्डू साजै, दूजे में ध्वजा विराजै।।
बाबा या छवि की बलिहारी, अनोखी तिहारी झांकी।
तिहारे अंग में चोला साजै, ऊपर से बर्क विराजै।
बाबा रोम रोम में राम, अनोखी तिहारी झांकी।
जब लक्ष्मण मूर्छित पाये, तुम संजीवन बूटी लाये।
बाबा लीनो पहाड़ उठाय, अनोखी तिहारी झांकी।
जब रावण मार गिरायो, तब राज्य विभीषण पायो।
सीता लाये साथ लिवाय, अनोखी तिहारी झांकी।
दूर-दूर से यात्री आवें, तेरे चरणों में शीश नवावें ।
बाबा उनकी लज्जा राख, अनोखी तिहारी झांकी।
बाबा दुनियां करे पुकार, दुखिया खड़े हैं तेरे द्वार।
बाबा कर दे मेरा बेड़ा पार, अनोखी तिहारी झांकी ।
दुःखियों के दुःख तु दे टार, हो रहा है मंगलचार।
जै जै श्री बालाजी महाराज, अनोखी तिहारी झांकी।
मैं दुखिया तेरे दर आया, आकर अपना कष्ट सुनाया।
कर दो मेरा बेड़ा पार, अनोखी तिहारी झांकी।