Hariyali Teej 2023: जानियें कब है हरियाली तीज? साथ ही पढ़ें तीज के मंत्र, विशेष परंपरायें, नियम और व्रतकथा

Hariyali teej

हरियाली तीज (Hariyali Teej) के व्रत एवं पूजन से मनपसंद जीवनसाथी प्राप्त होता और उसकी लम्बी आयु होती है। हरियाली तीज को मधुश्रवा तीज, श्रावणी तीज, छोटी तीज और लघु तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज की विशेष परम्परायें, इसके व्रत एवं पूजन की सम्पूर्ण विधि, व्रत कथा और अन्य सभी जानकारी के लिये अवश्य पढ़ें।

Hariyali Teej
हरियाली तीज

श्रावण मास (सावन माह) की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरियाली तीज मनायी जाती है। इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं। सावन के महीने में चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। सब लोग प्रसन्न चित्त होकर प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते है। सावन मास भगवान शिव की भक्ति के लिये श्रेष्ठ है।

हरियाली तीज का त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैंं, इस दिन उनका पुनर्मिलन हुआ था। उनके पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में इस त्यौहार को मनाया जाता हैंं। हरियाली तीज का त्यौहार सौंदर्य, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक हैंं। इस दिन सुहागन स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती हैंं वहीं कुंवारी कन्याएँ अपने लिये मनपसंद जीवनसाथी की कामना करती हैंं। इस दिन महिलायें खूब मौज-मस्ती करती हैंं, श्रुंगार करती हैं, गीत गाती हैंं, झूला झूलती हैंं, स्वादिष्ट पकवान बनाती हैंं।

Hariyali Teej Kab Hai?
हरियाली तीज कब हैं?

हिंदु कैलेण्ड़र के श्रावण (सावन) मास की शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज (Hariyali Teej) या श्रावणी तीज (Shravani Teej) कहा जाता हैंं। इस वर्ष हरियाली तीज 19 अगस्त’ 2023 शनिवार को मनायी जायेगी। और सिंजारा 18 अगस्त’ 2023 शुक्रवार के दिन दिया जायेगा।

Special Traditions on Hariyali Teej
हरियाली तीज पर होने वाली विशेष परंपरायें

नवविवाहिता स्त्री के विवाह के बाद पहले सावन में उसे उसके ससुराल से मायके बुलाया जाता हैंं। नवविवाहिताओं के लिये इस त्यौहार का विशेष महत्व होता हैंं।

1. हरियाली तीज से एक दिन पूर्व यानी द्वितिया तिथि को नवविवाहिता/ विवाहिता को ससुराल पक्ष की ओर से सिंजारा दिया जाता है। उसमें श्रृंगार का सामान, मेहंदी, चूड़ी, वस्त्र, आभूषण, फल और मिठाई दी जाती हैंं।

2. हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। विवाहित महिलाएं और अविवाहित युवतियां सब अपने हाथों और पैरों पर सुन्दर-सुंदर मेहंदी मंढ़वाती हैं। और साथ ही पैरों में आलता भी लगाती है। इसे की सुहाग की निशानी माना जाता हैंं।

3. सुहागिन स्त्रियां हरियाली तीज पर अपनी सास को सुहागी देती हैं और उनके चरणस्पर्श करके उनसे आशीर्वाद लेती है। यदि किसी स्त्री की सास न हो तो वो सुहागी अपनी जेठानी या किसी अपने से बड़ी महिला को दे सकती हैंं।

4. हरियाली तीज पर स्त्रियाँ सुंदर श्रृंगार करके और नए कपड़े पहनकर माता पार्वती की पूजा करती हैं।

5. हरियाली तीज पर महिलाओं व युवतियों के झूले झूलने का भी बहुत महत्व है। महिलायें और लड़कियाँ झूला झूलती है, गीत गाती है, नाचती हैं।

Hariyali Teej Ki Puja Vidhi
हरियाली तीज की पूजा विधि

पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था, उसी के उपलक्ष्य में हरियाली तीज मनायी जाती है। सुहागनों के लिए हरियाली तीज के व्रत का बड़ा महत्व है। सुहागन महिलाएँ और अविवाहित लड़कियाँ इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

1. हरियाली तीज का व्रत करने वाली स्त्री को इस दिन सिर से स्नान (बाल धोकर) करना चाहिये।

2. हरियाली तीज पर घर की अच्छे से सफाई करके उसे तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उसपर मिट्टी से भगवान शिव, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा बनायें।

3. प्रतिमा बनाने के उपरांत देवी-देवताओं का आह्वान करें फिर सबकी षोडशोपचार पूजन करें।

4. हरियाली तीज की कथा और महात्म्य का पाठ करें या सुनें।

5. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।

6. पूजन के बाद जागरण और कीर्तन करें।

7. हरियाली तीज का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। जो भी स्त्री इस व्रत को करने का संकल्प करे उसे सुबह से निर्जल व्रत करना चाहिये। और पारण के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करना चाहिये।

8. एक बार हरियाली तीज का व्रत आरम्भ करने के बाद हमेशा यह व्रत करना चाहिये। यदि किसी कारणवश यह व्रत छोड़ना पड़े तो इसका उद्यापन करके ही इस व्रत को छोड़े।

9. भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजन करने के बाद ही इस व्रत का पारण करना चाहिये। हरियाली तीज के इस व्रत का पारण प्रदोष काल में ही किया जाता है। जब दिन और रात का समय मिलता है उस समय को प्रदोष काल कहते है।

हरियाली तीज का व्रत करने वाली महिलाओं को यह बातें कभी नही करनी चाहिये

1. पति को कभी धोखा न दें। ऐसा करने वाली स्त्री पाप की भागी होती हैं।

2. अपने पति और परिवार के सदस्यों से कभी असत्य न बोले और ना ही उनके साथ दुर्व्यवहार करें। सदा सच बोलें और उनके साथ अच्छा व्यवहार करें।

3. परनिंदा से हमेशा बचें। ऐसा करने से आप अपने अर्जित पुण्यों का नाश करती हैं।

Hariyali Teej Ka Mahatva
हरियाली तीज का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज का विशेष महत्व है। हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था और उसी के उपलक्ष्य में यह त्यौहार मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिये माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। 107 जन्म की कड़ी तपस्या के बाद, 108वें जन्म में माता पार्वती का भगवान शिव से पुनर्मिलन हुआ था।

जिस दिन भगवान शिव ने माँ पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था उस दिन श्रावण माह की शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि यानी हरियाली तीज थी। इसलिये इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती ने सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन कहा है।

हरियाली तीज का व्रत करने से सुहागन स्त्रियाँ को सौभाग्य की प्राप्ति होती है, घर में धन की वृद्धि होती है, परिवार में सुख और समृद्धि आती हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई कुंवारी लड़की हरियाली तीज का व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति से रखती है तो उसे भगवान शिव और माँ पार्वती के आशीर्वाद से उसका मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।

यदि किसी कन्या का विवाह न हो पा रहा हो, उसमें कोई अड़चन आ रही हो या उसकी जन्मकुण्ड़ली में कोई ग्रह बाधक हो तो उसे भी हरियाली तीज का यह व्रत करना चाहिये। इस व्रत के प्रभाव से उस कन्या के विवाह में आने वाली बाधाएँ समाप्त हो जायेंगी और विवाह के योग शीघ्र ही बनने लग जाएंगे। भगवान शिव और माँ पार्वती की कृपा से शीघ्र ही उस कन्या का विवाह हो जाएगा। हरियाली तीज के दिन सुहागन स्त्रियाँ भगवान शिव और मां गौरी की विशेष पूजा करती हैं।

Hariyali Teej Ki Vrat Katha
हरियाली तीज की व्रतकथा

हिंदु धर्म की एक पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन भगवान शिव माता पार्वती को अपने और उनके मिलन के विषय में बता रहे थे। वो बोले, हे पार्वती! तुमने मुझे अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 107 बार जन्म लिया, परंतु तुम मुझे पति रूप में प्राप्त नही कर सकी।

उसके बाद तुमने फिर 108वीं बार जन्म लिया और पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री बनकर जन्मी। मुझे अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तुमने हिमालय की पहाड़ियों में कठोर तपस्या करी। तुमने उस घोर तपस्या में अन्न और जल का भी त्याग कर दिया था। तुम सिर्फ सूखी पत्तियाँ खाकर समय बिता रही थी।

तुम लगातार कठोर तप किये जा रही थी वो भी बिना किसी कष्ट की परवाह किए। पर्वतराज हिमालय तुम्हारी ऐसी हालत देखकर बहुत क्रोधित भी थे और दुखी भी। लेकिन तुम किसी की परवाह किये बगैर एक गुफा में मेरी आराधना करती रही। श्रावण मास की शुक्लपक्ष की तृतीया को तुमने एक शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करी उससे प्रसन्न होकर मैने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करी और तुम्हे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकर करने का वरदान दिया।

तत्पश्चात तुमने अपने पिता पर्वतराज हिमालय को अपनी इच्छा और वरदान के विषय में बताया, कि मैं इतने वर्षों से भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिये यह कठोर तपस्या कर रही थी और अब भगवान शिव मेरी तपस्या से प्रसन्न हो गये है और उन्होने मुझे पत्नी रूप में स्वीकर कर लिया है। आप विधिपूर्वक उनसे मेरा विवाह करा दिजिये।

उसके बाद पर्वतराज हिमालय ने तुम्हारी इच्छा को स्वीकार करके तुम्हारा विवाह मेरे साथ करा दिया था। भगवान शिव जी ने माता पार्वती से कहा कि, हे पार्वती! तुमने जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को जो शिवलिंग बनाकर आराधना और व्रत किया था, उसी का यह परिणाम है की हमारा विवाह संभव हो पाया।

भगवान शिवजी ने माँ पार्वती जी को बातया कि यह इस व्रत का महात्म्य है कि जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा भक्ति से करेगी, उसे मैं मनवांछित फल प्रदान करता हूँ। मेरे आशीर्वाद से इस व्रत को करने वाली स्त्री का सुहाग अचल रहेगा।

Recite these mantras in the worship of Hariyali Teej
हरियाली तीज की पूजा में इन मंत्रों का पाठ करें

1. गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया। मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।

2. श्री भगवते साम्ब शिवाय नमः

3. देवि देवि उमे गौरी त्राहि माम करुणा निधे, ममापराधा छन्तव्य भुक्ति मुक्ति प्रदा भव।

हरियाली तीज के दिन दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन इन वस्तुओं का दान करना चाहिये

1. हरियाली तीज के दिन किसी निर्धन स्त्री को श्रृंगार को वस्तुएं दान में देने से आपके पति के जीवन की समस्त परेशानियां समाप्त हो जाएगी।

2. यदि शनिवार के दिन हरियाली तीज पड़े तो काले वस्त्रों का दान करना चाहिये इससे आपको शनि की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती हैं।

3. गौरी पूजन के बाद हरियाली तीज के दिन संध्या के समय शनि मंदिर में जाकर सरसों का तेल दान जरूर करें।

4.हरियाली तीज के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

5. हरियाली तीज के दिन किसी गरीब व्यक्ति को भोजन अवश्य दान करें।

हरियाली तीज के दिन ये उपाय करने से मिलेगा मनपसंद जीवनसाथी, पति का प्यार, पति का साथ, पति का उत्तम स्वास्थ्य और आयेगी वैवाहिक जीवन में मधुरता। अभी क्लिक करें। (Click here)