अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खण्पर वाली, तेरे ही गुन गायें भारती
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।
माता तेरे भक्त जनों पर भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर दूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी।
सौ सौ सिंहों से बलशाली अष्ट भुजाओं वाली।
दुखियों के दुःख को निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।
मां बेटे का इस जग में है बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता।
सब पर करुणा दरसाने वाली अमृत बरसाने वाली।
दुखियों के दुख को निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना।
हम तो मांगते तेरे मन का एक छोटा सा कोना।
सबकी बिगड़ी बनाने वाली लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।