माँ महागौरी (Maa Mahagauri) की उपासना से सौभाग्य और सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है। जानियें कब करें माँ महागौरी की उपासना (Maa Mahagauri Ki Upasana)? और कैसा है माँ महागौरी का स्वरूप (Maa Mahagauri Ka Swaroop)? साथ ही पढ़ियें माँ महागौरी की पूजा का महत्व, माँ महागौरी की कथा (Maa Mahagauri Ki Katha), माँ दुर्गा के 32 नाम और माँ महागौरी के मंत्र (Maa Mahagauri Ke Mantra)…
Navratri Ke Eighth Day Kare Maa Mahagauri Ki Upasana
नवरात्रि के आठवें दिन करें माँ महागौरी की उपासना
देवी आदिशक्ति का आठवाँ स्वरूप हैं देवी महागौरी (Maa Mahagauri)। नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा किये जाने का विधान हैं। जो भी मनुष्य सच्चे हृदय से माता की भक्ति करता है, उस पर देवी भगवती की कृपा अवश्य होती हैं। उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है और वो निर्मल हो जाता हैं। माता का यह स्वरूप बहुत ही सुंदर और सौम्य हैं।
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Maa Mahagauri Ka Swaroop
माँ महागौरी का स्वरूप
- माँ महागौरी(Maa Mahagauri) की कांति श्वेत चांदनी के समान हैं। उनका रंग बहुत गोरा हैं।
- माता महागौरी (Maa Mahagauri) की चार भुजाएँ हैं। उनका दाहिनी तरह का एक हाथ अभय मुद्रा में है और दूसरे हाथ में उन्होने त्रिशूल धारण किया हुआ हैं। माता ने बायीं तरफ के एक हाथ में ड़मरू धारण किया हुआ है और उनका दूसरा हाथ वर मुद्रा में हैं।
- माँ महागौरी की सवारी वृषभ हैं।
Maa Mahagauri Ki Katha
माँ महागौरी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती निराहार रहकर और निर्जल रहकर वर्षों तक पहाड़ों में बिना धूप, ठण्ड़ और वर्षा की परवाह किये निरंतर तपस्या में लीन रही।
इतने वर्षों तक कठोर तपस्या में लीन रहने के कारण धूप-धूल-मिट्टी से उनका रंग काला पड़ गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने उन्हे पत्नी रूप में स्वीकार करने का वचन दिया। फिर शिव जी ने देवी पार्वती को पवित्र गंगाजल से स्नान कराया। गंगा के पवित्र जल से स्नान करने के बाद देवी पार्वती अत्यंत गोरी हो गई। इसलिये उन्हे महागौरी (Mahagauri) के नाम से भी जाना जाता हैं।
Maa Mahagauri Ki Puja Ka Mahatva
माँ महागौरी की पूजा का महत्व
माँ महागौरी (Maa Mahagauri) अपने भक्तों से बहुत प्रेम करती हैं। जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ सच्चे हृदय से माँ महागौरी की उपासना करता हैं, देवी उसके सभी पापों को नष्ट करके उसे निर्मल बना देती हैं। माँ की उपासना से
- जातक को सद्बुद्धि प्राप्त होती हैं।
- विवाह में आ रही अड़चने समाप्त होती हैं। शीघ्र ही मनचाहे जीवन साथी की कामना पूर्ण होती हैं।
- जीवन में सुख-समृद्धि आती हैं।
- पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वाह में आसानी होती हैं।
- शत्रुओं का नाश होता हैं।
- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार माँ महागौरी की उपासना से जातक को राहु ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
विशेष : माँ दुर्गा के 32 नाम
लाभ : मां दुर्गा (Maa Durga) के इन 32 नामों का पाठ करने से जातक के सौभाग्य में वृद्धि होती हैं, सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और उसके शत्रुओं का नाश होता हैं। माँ दुर्गा के ये नाम बहुत ही चमत्कारिक प्रभाव देते हैं। इनका पाठ करने से बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
देवी दुर्गा के 32 नाम इस प्रकार हैं-
1. | दुर्गा | 2. | दुर्गार्तिशमनी | 3. | दुर्गाद्विनिवारिणी | 4. | दुर्गमच्छेदनी |
5. | दुर्गसाधिनी | 6. | दुर्गनाशिनी | 7. | दुर्गतोद्धारिणी | 8. | दुर्गनिहन्त्री |
9. | दुर्गमापहा | 10. | दुर्गमज्ञानदा | 11. | दुर्गदैत्यलोकदवानला | 12. | दुर्गमा |
13. | दुर्गमालोका | 14 | दुर्गमात्मस्वरुपिणी | 15. | दुर्गमार्गप्रदा | 16. | दुर्गमविद्या |
17. | दुर्गमाश्रिता | 18. | दुर्गमज्ञानसंस्थाना | 19. | दुर्गमध्यानभासिनी | 20. | दुर्गमोहा |
21. | दुर्गमगा | 22. | दुर्गमार्थस्वरुपिणी | 23. | दुर्गमासुरसंहंत्रि | 24. | दुर्गमायुधधारिणी |
25. | दुर्गमांगी | 26. | दुर्गमता | 27. | दुर्गम्या | 28. | दुर्गमेश्वरी |
29. | दुर्गभीमा | 30. | दुर्गभामा | 31. | दुर्गभा | 32. | दुर्गदारिणी |
Maa Mahagauri Ke Mantra
माँ महागौरी के मंत्र
मंत्र – ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
माँ महागौरी प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
महागौरी स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महागौरी ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
महागौरी स्त्रोत
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
महागौरी कवच मंत्र
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
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