मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर भगवान सूर्य की पूजा से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी। जानियें मकर संक्रांति कब हैं?, मकर संक्रांति का क्या महत्व हैं?, मकर संक्रांति का इतिहास और साथ ही पढ़िये मकर संक्रांति पर क्या करें और क्या ना करें?
Makar Sankranti
मकर संक्रांति
हिंदु धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन को बहुत पुण्य फल देने वाला माना जाता हैं। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव को भगवान सूर्य का पुत्र माना जाता है, इसलिये ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव के घर जाते हैं। इस दिन को उत्तरायण (Uttarayan) भी कहा जाता है क्योकि इस दिन सूर्य देव उत्तरायण में प्रवेश करते हैं।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से मौसम में भी बदलाव आने लगता हैं। हिंदु मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने, गरीबों को दान देने और अपने पूर्वजों के निमित्त दानादि करने से बहुत पुण्यफल मिलता हैं। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती हैं। भगवान सूर्य की शुभता पाने के लिये इस दिन पूर्ण श्रद्धा भक्ति और विधि-विधान के साथ सूर्य देव का पूजन करना चाहिये। ऐसा करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं।
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Makar Sankranti Kab Hai?
मकर संक्राति कब हैं?
हिन्दु पंचांग के अनुसार इस वर्ष सूर्य देव 15 जनवरी, 2024 सोमवार को प्रात: काल 08:42 पर धनु राशी से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगें। इसलिये इस वर्ष भी 15 जनवरी, 2024 सोमवार को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व मनाया जायेगा।
पुण्यकाल का मुहूर्त :- 07:15 AM से 5:46 PM तक
महापुण्यकाल का मुहूर्त :- 07:15 AM से 09:00 AM तक
Significance of Makar Sankranti
मकर संक्रांति का महत्व
हिंदु धर्म में आस्था रखने वाले लोगो के लिये मकर संक्राति (Makar Sankranti) के दिन का विशेष महत्व हैं।
- इस दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते है जो कि उनके पुत्र शनिदेव की राशि हैं।
- इस दिन से ऋतु परिवर्तन की शुरूआत होती हैं।
- दक्षिण भारत में इस दिन पोंगल का त्यौहार मनाया जाता हैं।
- इस दिन से सूर्य देव का उत्तरायण होता है, इसलिये इसे उत्तरायण पर्व (Uttarayan Parv) भी कहा जाता हैं।
- इस दिन दानादि का विशेष महत्व बताया गया हैं। इस दिन गंगा स्नान या पवित्र तीर्थ स्थानों पर स्नान करने से विशेष पुण्य अर्जित होता हैं।
- इस दिन अपने पूर्वजों के नाम से तीर्थ स्थानों पर तर्पण करने से उनकी आत्मा को शान्ति मिलती हैं।
- मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन खिचडी, तिल के लड्डू, मिठाई, गर्म वस्त्र आदि का दान किया जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किये गये दान का पुण्य कई गुणा अधिक होता हैं।
- पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता हैं। देश के कई स्थानों पर इस दिन से फसल की कटाई का आरम्भ किया जाता हैं।
- राजस्थान, गुजरात, आदि में इस दिन पतंगबाजी का आयोजन किया जाता हैं। लोग पतंगबाजी का मजा लेते हैं।
- सूर्य देव और शनि देव की शुभता पाने के लिये इस दिन विशेष पूजन की जाती हैं, जिससे जातक को दोनों ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती हैं।
Stories About Makar Sankranti
मकर संक्रांति से जुड़ी कथायें
मकर संक्रांति से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगीरथ के पीछे-पीछे गंगा जी हिमालय से निकलकर कपिल मुनि के आश्रम में राजा सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान करके समुद्र में जाकर मिल जाती हैं। इसलिये मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया हैं।
अन्य धार्मिक कथा में ऐसा वर्णित है कि इस दिन गंगा स्नान करने का इतना अधिक महत्व है कि इसके लिये स्वर्ग से देवता धरती पर उतरते हैं।
महाभारत की कथा के अनुसार गंगापुत्र भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण (Uttarayan) के दिन ही अपने प्राणों का त्याग किया था। ऐसा माना जाता है कि सूर्य के उत्तरायण (Uttarayan) के समय मृत्यु को प्राप्त होने से मनुष्य जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता हैं।
ज्योतिष शास्त्र की गणनाओं के अनुसार समय के साथ मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के पर्व का समय भी बदलता रहा हैं। मकर संक्रांति से जुडी कथाओं और तथ्यों के आधार पर यह पता चलता है, महाभारत काल में दिसंबर के महीने में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता था।
इतिहास में उल्लिखित तथ्यों से यह जानकारी मिलती है कि सम्राट हर्षवर्धन के राज्यकाल में छठवीं शताब्दी में दिनांक 24 दिसंबर के दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया था। वहीं मुगल शहंशाह अकबर के काल में मकर संक्रांति 10 जनवरी के दिन मनायी गयी थी। और छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में मकर संक्रांति का पर्व 11 जनवरी को मनाया गया था।
Makar Sankranti Par Puja Ki Vidhi
मकर संक्रांति पर पूजा की विधि
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन भगवान सूर्य की पूजा किये जाने का विधान हैं।
- मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन गंगास्नान का विशेष महत्व होता हैं। यदि गंगा स्नान नही कर सकते हो तो स्नान करने के जल में गंगाजल और तिल मिलाकर स्नान करें।
- फिर सूर्योदय के समय एक ताम्बे के कलश में जल भरकर उसमें कुमकुम, अक्षत, लाल पुष्प और तिल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्ध्य देते समय सूर्यदेव के इस मंत्र का जाप करें-
- ॐ घृणिं सूर्याय नम:।
- फिर श्रीमदभगवत् गीता का पाठ करें।
- खिचड़ी, गर्म कपड़े, कम्बल, अनाज, गुड, तिल, घी आदि वस्तुओं का दान करें।
- इसदिन भोजन में खिचडी बनायें और भगवान को भोग लगायें।
- योग्य पण्डित को अपने पितरों के निमित्त इस दिन कच्ची खिचड़ी, फल और मिठाई का दान करें। दक्षिणा भी दें।
- सुहागिन स्त्रियाँ अपनी सास को बायना मिनस कर दें। उसमें मिठाई, सुहाग का सामान, दक्षिणा आदि रखें।
- सुहागिन स्त्रियाँ 14 चीजें मिनस कर 14 सुहागिन स्त्रियों को दें।
- इस दिन एक ही समय भोजन करें।
Makar Sankranti Par Kya kare?
मकर संक्रांति पर यह काम अवश्य करें
- मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व ही उठकर स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त हो जाना चाहियें। ऐसा करने से जातक को कभी धन की कमी नही होती और वो निरोगी रहता हैं।
- मकर संक्रांति के दिन स्नान के जल में तिल डालकर स्नान करने से जातक को महान पुण्य के साथ आरोग्य और रूप-सौंदर्य की प्राप्ति होती हैं।
- इस दिन तीर्थ स्थान, पवित्र नदी या सरोवर पर स्नान करके मंदिर में दर्शन करने चाहिये।
- इस दिन स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर विधि-विधान के साथ भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिये और उन्हे अर्ध्य देना चाहिये। ऐसा करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते है और जातक का भाग्योदय होता हैं।
- मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी, अनाज, कंबल, गर्म कपडे, घी, और तिल आदि का दान करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन निर्धनों को भोजन कराने से कभी अन्न-धन की कमी नही होती।
- मकर संक्रांति पर तिल स्नान से आरोग्य की प्राप्ति होती है, तिल का भोजन करने से धन-समृद्धि प्राप्त होती है और तिल के उबटन और तिल के तेल से मालिश करने से मनुष्य के पापों का नाश होता हैं।
- इस दिन यथाशक्ति गेहूं एवं गुड़ को लाल कपडे में बांधकर जरूरतमंद ब्राह्मण को दान देने से जातक की मनोकामना पूर्ण होती है।
- जन्मकुण्ड़ली में यदि सूर्य शुभ अवस्था में ना हो तो मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन तांबे का सिक्का बहते हुये जल में प्रवाहित करने से जातक को सूर्य के दोष से मुक्ति मिल जाती है और उसे सूर्य की शुभता प्राप्त होती हैं।
- इस दिन गुड़ और कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करने से शुभफल की प्राप्ति होती हैं।
- इस दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी खाने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं।
- मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्ध्य देने के बाद जल में तिल डालकर अपने पितरों का स्मरण करते हुये उनका तर्पण करने व जल देने से पितरों को शांति मिलती हैं।
- तिल से हवन करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती हैं।
- निर्धन मनुष्य को लोहे के पात्र में तिल रखकर दान करने से शनि ग्रह की पीडा कम होती हैं और शनि देव प्रसन्न होते हैं।
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