फुलेरा दूज (Phulera Dooj) के अबूझ मुहूर्त में करें कोई भी शुभ कार्य। फुलेरा दूज के शुभ अवसर पर कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है। जानिये फुलेरा दूज कब हैं?, फुलेरा दूज का क्या महत्व हैं? और साथ ही जानिये फुलेरा दूज की पूजा कैसे करें?
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Phulera Dooj
फुलेरा दूज
हिंदू पंचांग के फाल्गुन माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया को फुलेरा दूज (Phulera Dooj) के नाम से जाना जाता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है, क्योकि इस दिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य किया जा सकता हैं। इस दिन को बहुत ही उत्तम और शुभ माना जाता है और इस दिन जो भी मांगलिक कार्य किया जाता है, उसपर किसी भी प्रकार का कोई दोष या अशुभ प्रभाव नही पड़ता। इस कारण से लोग इस दिन मांगलिक कार्यो का आयोजन करते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा किये जाने का विधान है। इस दिन विशेषकर ब्रज क्षेत्र के मंदिरों में विशेष झांकी सजाई जाती हैं।
Phulera Dooj Kab Hai?
फुलेरा दूज कब है?
इस वर्ष फुलेरा दोज (Phulera Dooj) 12 मार्च, 2024 मंगलवार के दिन रहेगी।
Why Do We Celebrate Phulera Dooj?
फुलेरा दूज क्यों मनाते हैं
फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष की दूज को फुलेरा दूज (Phulera Dooj) कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन बहुत ही शुभ और उत्तम माना जाता है। ऐसा माना जाता है जब श्री कृष्ण ने द्वापर युग में अवतार लिया था और ब्रज में लीलाएँ की थी, उस समय वो इस दिन फूलों की होली खेलते थे। इसलिए इस दिन को फुलेरा दूज कहा जाने लगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त होता हैं अर्थात इस दिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य बिना किसी ज्योतिष से कोई मुहूर्त निकलवाये किया जा सकता और उसमें कोई दोष या अशुभ प्रभाव भी नही पड़ता।
इस दिन विवाह, मुण्ड़न, गृहप्रवेश, उपनयन संस्कार आदि जैसे मांगलिक कार्य करना शुभ माना जाता हैं। उत्तर भारत में इस दिन बहुत से विवाह आयोजन किये जाते है। इस दिन कोई वाहन या सम्पत्ति खरीदना भी बहुत अच्छा माना जाता है। इस दिन को इतना शुभ माना जाता है कि लोग विशेषकर इस दिन अपने मांगलिक कार्यो का आयोजन पसंद करते है।
How to worship on Phulera Dooj?
फुलेरा दूज पर पूजा कैसे करें?
फुलेरा दूज (Phulera Dooj) के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा किये जाने का विधान है। इस दिन की पूजा में बहुत ज्यादा चीजें नही होती।
- फुलेरा दूज (Phulera Dooj) के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजास्थान पर एक मंड़प तैयार करें और उसमें श्री कृष्ण की मूर्ति लगाये। मंड़प को फूलों से सजाकर सुंदर बनायें।
- फिर श्री कृष्ण की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें, फिर उसका श्रृन्गार करें। प्रतिमा को रंगीन वस्त्र पहनाये और फूलों से सजायें।
- श्री कृष्ण की प्रतिमा की कमर में रंगीन वस्त्र में फूल रखकर बांधे। क्योकि इस दिन श्री कृष्ण ब्रज में फूलों से होली खेलते थे।
- श्री कृष्ण की प्रतिमा पर फूल चढ़ायें और फिर उनको भोग लगायें।
- धूप-दीप जलाकर आरती करें।