सावन के सोमवार (Sawan Ke Somvar): पढ़ियें सावन के सोमवार के व्रत की विधि और व्रतकथा। जानियें सावन कब से है?

sawan ke somvar

हिंदु कैलेण्ड़र में पांचवा महीना श्रावण का महीना है। धार्मिक रूप से सावन मास का विशेष महत्व है। यह महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मास में भगवान शिव की उपासना बड़े हर्ष और उल्लास के साथ की जाती है। इस वर्ष अधिक मास का समायोजन सावन मास में होने से इस बार दो सावन होंगे। जिसके कारण इस बार सावन के 8 सोमवार होंगे। जानियेंं सावन के सोमवार (Sawan Ke Somvar) के व्रत का महत्व, व्रत की विधि, व्रत कथा और साथ ही पढ़ियेंं शिव जी की पूजा के नियम…

Sawan Ke Somvar Ke Vrat
सावन के सोमवार के व्रत

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये सावन के सोमवार (Sawan Ke Somvar) के व्रत किये जाते है, सावन के मंगलवार के व्रत (मंगलागौरी व्रत) किये जाते है, पूरे सावन के व्रत भी किये जाते है, भक्त कांवड़ यात्रा करते है और गंगा, यमुना और अन्य प्रसिद्ध नदी या सरोवर से जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करते है।

इसी मास से सोलह सोमवार के व्रत आरम्भ करना शुभ माना जाता है। सावन महीने से ही चातुर्मास का आरम्भ होता है।

Sawan Kab Se Hai?
सावन कब से है?

इस वर्ष सावन मास का आरम्भ 4 जुलाई 2023 मंगलवार से होगा। अधिक मास का समायोजन सावन मास में होने से इस बार दो सावन होंगे। इस बार सावन 59 दिन का होगा। सावन मास 31 अगस्त 2023 गुरूवार के दिन समाप्त होगा।

Significance of Sawan
सावन का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावण मास का सम्बंध समुद्र मंथन से भी है। अमृत पाने के लिये देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर का मंथन किया था। उस समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे जिसमें माता लक्ष्मी, ऐरावत, उच्चेश्रवा, अप्सराएँ, कामधेनू, कौसतुभ मणी, चंद्रमा, पारिजात, धनवंतरि, सारंग धनुष आदि प्रमुख है। अमुत प्राप्ति के लिये किये गये इस समुद्र मंथन से हलाहल विष भी निकला था।

संसार की भलाई और रक्षा के लिये उस विष को भगवान शिव ने पिया और उसे अपने गले में रोक लिया। जिससे उनका गला नीला पड़ गय। इसीलिये उन्हे नीलकण्ठ के नाम से भी जाना जाता है। उस विष के प्रभाव से भगवान शिव का ताप बढ़ने लगा तो सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के माँ गंगा से सहायता मांगी और भगवान शंकर पर जल चढ़ाना शुरू कर दिया था। तभी से भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा की शुरूआत हुई है।

Sawan Ke Somvar Ke Vrat Ki Vidhi
सावन के सोमवार के व्रत की विधि

श्रावण मास (सावन) के सभी सोमवार का व्रत (Sawan Ke Somvar) किया जाता है। सावन के महीने से ही सोलह सोमवार के व्रत आरम्भ करना शुभ माना जाता है। सावन के सोमवार के व्रत में शिव, पार्वती, गणेश तथा नन्दी की पूजा की जाती है।

  • सोमवार के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व जगें और नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान शिव के मंदिर में जाकर पीतल या कांस्य के लौटे या गंगासागर से शिवलिंग पर दूध चढ़ायें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ायें। भगवान शिव को बेलपत्र अतिप्रिय है। आप चाहे तो पंचामृत से भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकते है।
  • शिवलिंग पर चंदन से तिलक करें। फूल माला अर्पित करें। ऋतुफल अर्पित करे। पंचमेवा का भोग लगायें।
  • अपने घर के पूजास्थल को साफ-सुथरा करके वहाँ एक वेदी की स्थापना करें। वहाँ भगवान शिव और माँ पार्वती की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। और साथ ही एक कलश में जल भरकर रखें।
  • इसके बाद पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से भगवान शिव शंकर के व्रत का संकल्प करें।
  • तिल के तेल का दीपक और धूप जलाएं, पुष्पमाला अर्पित करें, मौली, चन्दन, रोली, चावल से भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा करें।
  • भगवान को भोग अर्पित करें।
  • सोलह सोमवार की कथा सुने और आरती करें। इसके बाद प्रसाद बाँट दें।
  • संध्या के समय दिन में एक ही बार भोजन करें। और दिन भर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते रहें।

नोट :- जो लोग पूरे सावन माह के व्रत करते है उन्हे प्रतिदिन सोलह सोमवार की कथा सुननी चाहिये और प्रतिदिन शिवजी की पूजा करनी चाहिये।

Sawan Ke Somvar Ki Vrat Katha
सावन के सोमवार की व्रत कथा

एक समय मृत्युलोक में भ्रमण करने की इच्छा से महादेव जी माता पार्वती जी के साथ धरती पर आये। वहाँ से
घूमते- घूमते वे विदर्भ देश के अमरावती नामक अत्यंत सुंदर नगर में पहुँचे। अमरावती नगर सब प्रकार के सुखों से परिपूर्ण था। …click here for complete story (आगेे की कथा के लिये क्लिक करें)

Sawan Mein Shiv Puja Ke Niyam
सावन माह में शिव आराधना में क्या नही करना चाहिये?

शास्त्रों के अनुसार श्रावण माह में शिव आराधना करने वालों को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिये और यह गलतियाँ भूल से भी नही करनी चाहिये।

  • श्रावण माह में व्रत करने वाले व्यक्ति को दूध नही पीना चाहिए, क्योकि दूध से सावन में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। सावन के व्रत करने वाले के लिये दूध का सेवन वर्जित है।
  • श्रावण माह में व्रत करने वाले व्यक्ति को बैंगन नही खाना चाहिए।
  • भगवान शिव की पूजा में तुलसी और केतकी के फूलों का प्रयोग वर्जित हैं।
  • शिवलिंग पर हल्दी नही लगानी चाहिए। इसके अतिरिक्त नारियल का पानी भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता।
  • जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक के लिये कांस्य और पीतल के बर्तन का ही प्रयोग करें।

Sawan Ke Somvar
सावन के सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत):

इस वर्ष अधिक मास का समायोजन श्रावण मास में होने के कारण इस वर्ष दो सावन होंगे। जिसके कारण इस बार सावन में 8 सोमवार (Sawan Ke Somvar) होंगे।

10 जुलाई – पहला सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)
17 जुलाई – दूसरा सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)
24 जुलाई – तीसरा सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)
31 जुलाई – चौथा सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)
7 अगस्त – पांचवां सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)
14 अगस्त – छठा सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)
21 अगस्त – सातवाँ सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)
28 अगस्त – आठवाँ सावन का सोमवार (श्रावण वन सोमवार व्रत)