Shardiya Navratri Ghatasthapana: जानियें शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना का मुहूर्त और विधि…

Shardiya Navratri Ghatasthapana; Navratri Ghatsthapana

विशेष मुहूर्त में शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के प्रथम दिन पर घटस्थापना (Ghatasthapana) की जाती है। जानियें शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना (Shardiya Navratri Ghatasthapana) अर्थात कलश (Kalash Sthapana) स्थापना करने का शुभ मुहूर्त, सामग्री और सम्पूर्ण विधि। साथ ही पढ़ियें माँ दुर्गा की पूजा के मंत्र…

Shardiya Navratri Ghatasthapana (Kalash Sthapana)
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना (कलश स्थापना)

शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन पर घटस्थापना (Shardiya Navratri Ghatasthapana) किये जाने का विधान हैं। माँ दुर्गा के भक्त नौ दिनों तक माता की आराधना करते हैं। घटस्थापना नवरात्रि के प्रथम दिन पर विशेष मुहूर्त में की जाती हैं। इसके बाद नौ दिनों तक माता की पूजा की जाती हैं। और विसर्जन के दिन पर देवी विसर्जन किया जाता हैं। नवरात्रि के नौ दिन में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती हैं। कन्याओं का पूजन किया जाता हैं। इन दिनों में माता की भक्ति, उनकी उपासना, उनका ध्यान करने से जातक को विशेष फल प्राप्त होते हैं। शक्ति, धन, ऐश्वर्य, संतान, आरोग्य, ग्रहों की अनुकूलता, शत्रु पर विजय आदि सभी मनोकामनाओं की पूर्ति माँ दुर्गा के आशीर्वाद से सम्भव हैं। माँ अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं।

Shardiya Navratri Ghatasthapana Kab hai?
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना कब है?

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि घटस्थापना (Shardiya Navratri Ghatasthapana) 3 अक्टूबर, 2024 (गुरूवार) के दिन की जायेगी।

शुभ मुहूर्त (जयपुर,राजस्थान) : प्रात: 6:20 से 7:26 तक एवं प्रात: 11:52 से 12:39 तक अभिजित मुहूर्त हैं। इस मुहूर्त में घटस्थापना श्रेष्ठ मानी जाती हैं।

Ghatasthapana Ka Saman
घटस्थापना करने के लिए कौन-सी सामग्री चाहिये?

● जौ
● मिट्टी का एक कूण्ड़ा (मिट्टी का बर्तन जो ऊपर चौड़ा होता हैं।)
● साफ मिट्टी
● कलश
● सुपारी
● नारियल (जटा वाला)
● अक्षत
● लाल कपड़ा
● फूलमाला
● मिठाई (भोग के लिये)
● साबुत पान का पत्ता
● रोली
● मोली
● हल्दी

Ghatasthapana Karne Ki Vidhi
घटस्थापना करने की विधि

1. शारदीय नवरात्रि घटस्थापना (Shardiya Navratri Ghatasthapana) से एक दिन पूर्व पूजास्थान पर जहाँ घटस्थापना (Ghatasthapana) करनी हो उस स्थान को स्वच्छ करके सफेद रंग से पोत लें।

2. प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

3. चावल को पीसकर उसमें हल्दी मिलाकर शुभ मुहूर्त में अपने घटस्थापना (Shardiya Navratri Ghatasthapana) के स्थान की दीवार पर स्वास्तिक, चक्र और त्रिशूल बनायें। अपने दाहिने हाथ से नौ थापे लगायें। फिर हल्दी और चावल के लेप से नौ बिंदी लगाये।

4. पूजास्थान पर मिट्टी के कूण्ड़े को रखकर उस पर हल्दी और चावल के लेप से नौ बिंदी लगाये उसके बाद उसमें साफ मिट्टी रखकर उसमें जौ ड़ालें।

5. शुद्ध जल से भरा कलश रखें।

6. कलश और मिट्टी के कूण्ड़े पर मोली बांधे। नारियल पर मोली बाँधकर उसे कलश पर रखें।

7. माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखें।

8. मिट्टी का बड़ा दीपक उसमें घी भरकर रूई की बत्ती लगायें।

9. दीपक प्रज्वलित करें।

10. फिर दूसरे कलश में शुद्ध जल लेकर उससे जल के छींटे लगायें।

11. मिट्टी के कूण्ड़े में जल ड़ालें।

12. माँ दुर्गा की और कूण्ड़े की रोली-चावल से पूजा करें। मोली चढ़ायें।

13. फूल माला चढ़ायें। फल अर्पित करें।

14. पान-सुपारी चढ़ायें। साथ ही भोग (मिठाई) और दक्षिणा रखें।

15. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। अगर समयाभाव के कारण दुर्गा सप्तशती का पाठ नही कर सकते हो तो सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करें और दुर्गा चालीसा पढ़ें।

16. कपूर और दीपक से माँ दुर्गा की आरती करें।

17. तत्पश्चात्‌ कन्या के पैर धोकर, मोली बाँधकर और उसके तिलक लगाकर उसे प्रसाद और दक्षिणा देंकर, उसके चरणस्पर्श करें।

प्रतिदिन सुबह-शाम माता के आगे दीपक जलायें। भोग लगायें। सुबह के समय मिट्टी के कूण्ड़े में जल चढ़ायें।

महाअष्टमी या महानवमी (आपके यहाँ जो भी पूजते हो‌ उस दिन) पर नौ कन्या और एक लड़के को जिमायें।

Maa Durga Ki Puja Ka Sankalp Mantra
माँ दुर्गा की पूजा का संकल्प मंत्र

माँ दुर्गा के भक्त जो नवरात्रि पर पूरे 9 दिनों तक व्रत रखते हो, वो इस संकल्प मंत्र के साथ माँ की पूजा का संकल्प करें।

संकल्प मंत्र : –

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।

मंत्र का उच्चारण करते हुये इन बातों का ध्यान रखें।

1. मंत्र का उच्चारण शुद्ध हो।

2. मंत्र में जहाँ अमुक शब्द का प्रयोग किया गया हैं, वहाँ पर अमुक के स्थान पर वो शब्द आता हैं, जिसके विषय में आगे कहा गया हैं। (1) “अमुकनामसम्वत्सरे” – यहाँ अमुक के स्थान पर संवत्सर के नाम का उच्चारण करना हैं। इसके लिये पंचाग की सहायता लें। जैसे प्रमादी संवत्सर है, तो इसका उच्चारण प्रमादीनामसम्वत्सरे होगा। (2) “अमुकवासरे” – यहाँ अमुक के स्थान पर उस दिन का नाम बोलना होगा। (3) ”अमुकगोत्रः” – यहाँ अमुक के स्थान पर आपका गोत्र बोलें। (5) “अमुकनामाहं” – यहाँ अमुक के स्थान पर अपना नाम बोले।

‘एतासु नवतिथिषु’ – यहाँ पर व्रत के दिन की तिथि का नाम आयेगा। जैसे प्रथमा, द्वितीया आदि।

उदाहरणार्थ – अगर अष्टमी तिथि के व्रत का संकल्प करना हो तो मंत्र इस प्रकार होगा।

संकल्प मंत्र –

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे,
अमुकनामसम्वत्सरे आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि अष्टम्यां तिथौ
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन्
अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।

अगर आप षोडशोपचार पूजा का संकल्प करना चाहते हो, तो इस मंत्र का पाठ करके षोडशोपचार पूजा का संकल्प करें –

षोडशोपचार पूजा का संकल्प मंत्र :-

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे नवरात्रपर्वणि अखिलपापक्षयपूर्वकश्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः षोडशोपचार-पूजनं विधास्ये।