Som Pradosh Vrat Katha: जानियें कब है सोम प्रदोष? साथ ही पढ़ियें सोम प्रदोष व्रत कथा

som pradosh vrat katha

प्रदोष का व्रत (Pradosh Vrat) भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है। त्रयोदशी तिथि को ही प्रदोष कहते है। माह में दो बार प्रदोष व्रत आता है। जब प्रदोष तिथि सोमवार के दिन होती है उसे सोम प्रदोष कहते है। जानियें इस वर्ष किस तारीख को सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) किया जायेगा। साथ ही पढ़ियें सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Pradosh Vrat Katha)…

Som Pradosh Vrat Kab Hai?
सोम प्रदोष व्रत कब है?

वर्ष 2023 में सोम प्रदोष व्रत 3 अप्रैल, 17 अप्रैल और 28 अगस्त को किया जायेगा।

Som Pradosh Vrat Katha In Hindi
सोम प्रदोष व्रत कथा

पूर्वसमय की बात है जब एक ब्राह्मणी अपने पति की मृत्यु के बाद निराश्रित होकर भिक्षा माँगने लगी। वह सुबह होते ही अपने बेटे को साथ लेकर बाहर निकल जाती और सायं काल पर घर वापस आती। उस ब्राह्मणी को एक ऋषि ने प्रदोष के व्रत के विषय मे बताया। उसे सुनकर वह हर प्रदोष का व्रत (Pradosh Vrat) करती थी।

एकबार उसको विदर्भ देश का एक राजकुमार मिला जिसके पिता का शत्रुओं ने वध करके उसको उसके राज्य से निष्कासित कर दिया था। इस कारण वह इधर उधर भटक रहा था। वहा ब्राह्मणी उसे अपने साथ घर ले गई और अपने पुत्र के साथ उसका पालन-पोषण करने लगी। एक दिन उन दोनों बालको ने वन में गन्धर्व कन्याओं को देखा। ब्राह्मणी का पुत्र तो अपने घर आ गया किन्तु राजकुमार अंशुमति नाम की गंधर्व कन्या से बातें करने लगा था।

दूसरे दिन वह राजकुमार फिर वन में गया। वहाँ पर अंशुमति अपने माता-पिता के साथ थी। अंशुमति के माता- पिता ने राजकुमार से पूछा कि क्या तुम विदर्भ देश के राजकुमार धर्मगुप्त हो, राजकुमार ने कहा – हाँ। तब उन्होने उसे बताया की हम श्री शंकरजी की आज्ञानुसार अपनी पुत्री अंशुमति का विवाह तुम्हारे साथ करना चाहते हैं। राजकुमार से प्रसन्नतापूर्वक हाँ कर दिया।

फिर राजकुमार का विवाह अंशुमति के साथ हो गया। उसके बाद राजकुमार ने गंधर्वराज की सेना की सहायता से विदर्भ देश पर आक्रमण करके उसपे अधिकार कर लिया। और वह वहाँ का राजा बना गय। राजा बनने के पश्चात उसने ब्राह्मणी के
पुत्र को अपना मंत्री बना लिया। यह सब उस ब्राह्मणी के प्रदोष के व्रत का पुण्य फल था। जिससे उस राजकुमार और उसके पुत्र का जीवन सफल हो गया। उसी समय से इस संसार में यह प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) प्रतिष्ठित हुआ।