पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक हैं। धर्म ग्रंथों मे इन्हे भगवान शिव की अर्धांगिनी कहा गया है। माँ धूमावती को अलक्ष्मी के नाम से पूजा जाता है और यह सातवीं महाविद्या हैं। इनका पूजन करने से दुख, दरिद्रता और रोगों का नाश होता है। जानिये कब है धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti) ?, इस दिन कैसे करें माँ धूमावती की पूजा? साथ ही पढ़िये धूमावती जयंती का महत्व और माँ धूमावती की कहानी…
Dhumavati Jayanti
धूमावती जयंती
हिन्दू पंचांग के ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti) मनाते है। धूमावती जयंती के दिन माँ धूमावती की पूजा किये जाने का विधान है। इस दिन विधि-विधान के साथ माँ धूमावती का पूजन करने से साधक रोग, दुख और दरिद्रता से मुक्त हो जाता है। गृहस्थ जीवन का पालन करने वाले साधक अपने पापों एवं लोभ से मुक्ति पाने के लिये माँ धूमावती की पूजा करते हैं। इस पूजा के लिये यह भी कहा जाता है कि मुख्यत: यह पूजा समाज में अकेले रहने वाली जैसे विधवा और अविवाहित स्त्रियाँ करती है। गृहस्थ जीवन का पालन करने वालो के अतिरिक्त तंत्र साधना करने वालों के लिये भी धूमावती जयंती बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।
When is Dhumavati Jayanti in 2024?
धूमावती जयंती 2024 में कब है?
इस वर्ष धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti) तारीख 14 जून, 2024 शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
How to worship on Dhumavati Jayanti?
धूमावती जयंती पर पूजा कैसे करें?
शास्त्रों के अनुसार गृहस्थ जीवन का पालन करने वाले जातक को धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti) के दिन मां धूमावती अर्थात अलक्ष्मी की पूजा करनी चाहियें। यह पूजा घर में नही की जाती। यह पूजा घर से दूर ही की जाती है। पूजा की विधि इस प्रकार है-
- सूर्योदय से पूर्व ही स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पूजा के नियत किये स्थान पर पहुँच जाये।
- देवी धूमावती का ध्यान करके उन्हे आक के फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करें।
- फिर गंगाजल और दूर्वा अर्पित करें। उसके बाद माँ को घी, केसर और चंदन चढ़ायें।
- तत्पश्चात् देवी को नारियल, सफेद तिल, जौ, सुपारी, शहद और पाँच मेवे मिलाकर अर्पित करें।
- कपूर से आरती करें।
धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti) पर हवन की विधि :
रुद्राक्ष की माला पर इस मंत्र का 108 बार जाप करते हुयें राई में नमक मिलाकर हवन में 108 बार आहुति देने से शत्रुओं का नाश होता है।
मंत्र: “ ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा” मंत्र का जान करें. मंत्र का जाप करने के लिए का ही उपयोग करना चाहिए.
कर्ज से मुक्ति और गरीबी दूर करने के लिये धूमावती जयंती के दिन मां धूमावती का पूजन करते समय नीम की पत्तियों और घी से हवन करना चाहिये। ऐसा करने से जातक कर्ज से मुक्त हो जाता है और धन की कमी दूर होती है। हवन करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिये।
मंत्र -: “ ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा”
देवी धूमावती को काले कपड़े में लिपटकर काले तिल चढ़ाने से साधक को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Maa Dhumavati Ka Swaroop
माँ धूमावती का स्वरूप
माँ धूमावती 10 महाविद्याओं में से सातवीं महाविद्या है। किंतु इनका स्वरूप अन्य महाविद्याओं से विपरीत एक अस्वस्थ, वृद्ध और पीली विधवा स्त्री जो कि श्मशान भूमि में घोड़े रहित रथ पर सवार हो ऐसा चित्रित किया गया है। जिसके कपड़े गंदे और फटे है और बाल भी गंदे हो रखे है। उन्होने कोई भी आभूषण नहीं पहन रखा। उन्होने अपने दोनो काँपते हुये हाथों में एक सूप की टोकरी ले रखी है और वो दूसरों को ज्ञान प्रदान करती हैं।
Benefits of worshiping Maa Dhumavati
माँ धूमावती की उपासना के लाभ
- देवी धूमावती की उपासना करने से साधक को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
- पापी पाप से मुक्त हो जाता है।
- रोगी मनुष्य निरोगी हो जाता है। दुखों का नाश होता है।
- संकटों का निवारण होता है। हताशा और मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
- धन सम्बन्धी समस्याओं का निवारण होता है।
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माँ धूमावती से जुड़ी पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक समय देवी पार्वती को बहुत तीव्र भूखी लगी। भूख को सहन ना कर पाने की स्थिति में उन्होने अपनी भूख को शांत करने हेतु भगवान शिव को निगल लिया। फिर भगवान शिव के द्वारा अनुरोध करने के पश्चात् देवी पार्वती ने उन्हे वापस बाहर निकाल दिया। इस घटना के पश्चात् भगवान शिव ने क्रोध में आकर उन्हे अस्वीकार कर दिया और भगवान शिव के श्राप के प्रभाव से उनका रूप एक विधवा स्त्री का हो गया।
नोट: गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है।