Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान कैसे करें? जानिये सम्पूर्ण पूजा विधि

Gupt Navratri

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में माता की पूजा से मिलेगी सिद्धि और होगी हर मनोंकामना पूर्ण। जानियें गुप्त नवरात्रि को आख़िर गुप्त क्यों कहा जाता है?, क्यों मनाते हैं गुप्त नवरात्रि?, गुप्त नवरात्रि में किन देवियों की पूजा की जाती हैं?, कैसे करें गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा ?, पढ़ें गुप्त नवरात्रि की कथा और साथ ही यह भी जानियें की गुप्त नवरात्रि और प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में क्या अंतर है? पायें गुप्त नवरात्रि से जुडें अपने सभी सवालों के जवाब…

Gupt Navratri Kab Hai?
गुप्त नवरात्रि कब से शुरू हैं?

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का अनुष्ठान साधक विशेष प्रकार की सिद्धि पाने और मनोकामना पूर्ति हेतु करते हैं। गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार आते हैं।

इस वर्ष गुप्त नवरात्रि एक बार माघ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी 10 फरवरी 2024, शनिवार से आरम्भ हो रहें हैं और नवरात्रौत्थापन (समापन) 19 फरवरी 2024, सोमवार को होगा।

दूसरी बार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी 6 जुलाई 2024, शनिवार से आरम्भ हो रहें हैं और नवरात्रौत्थापन (समापन) 16 जुलाई 2024, मंगलवार को होगा।

Gupt Navratri Ko Gupt Kyon Kehte Hai?
गुप्त नवरात्रि को आख़िर गुप्त क्यों कहा जाता है?

यह बात बहुत कम लोग जानते है कि इन नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) क्यों कहा जाता है? इसके पीछे क्या कारण है? गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त तांत्रिक सिद्धियाँ पाने और अपनी इच्छापूर्ण करने के लिये साधना करते है। और उनको गुप्त ही रखते है। ऐसी मान्यता है कि साधक गुप्त नवरात्रि की साधना को जितना गुप्त रखता है और उसकों उतनी सफलता प्राप्त होती है।

Navratri Saal Mein Kitni Baar Aati Hai?
नवरात्रि साल में कितनी बार आती है ?

नवरात्रि साल में चार बार आती है। एक वर्ष में मां भगवती की पूजा के लिए चार बार नवरात्रि आती है। जिनमें से दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि और दो नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहा जाता हैं।

हिंदु पंचांग (कैलेंडर) के चैत्र माह और अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि को उदय नवरात्रि, प्रकट नवरात्रि और बड़ी नवरात्रि कहा जाता है।

हिंदु पंचांग (कैलेंडर) के आषाढ़ मास और माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) और छोटी नवरात्रि कहा जाता हैं।

Gupt Navratri Kyun Manate Hai?
क्यों मनाते हैं गुप्त नवरात्रि?

तंत्र साधना के लिये गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) अति महत्वपूर्ण मानी जाती है। हिंदु मान्यता के अनुसार जिस समयावधि में विष्णु भगवान का शयनकाल होता है उस समयावधि में देवताओं की शक्तियां कमजोर होने लगती हैं और पृथ्वी पर यम, वरुण आदि का प्रकोप बढ़ने लग जाता है। तब पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों की विपदाओं और विपत्तियों से रक्षा के लिये गुप्त नवरात्रि में आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से बड़ा पुण्य प्राप्त होता है।

कुछ साधक विशेष गुप्त सिद्धियाँ और शक्ति को पाने के लिए गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना करते है। वो देवी माँ को प्रसन्न करने के लिये समस्त प्रकार से प्रयास करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा सहस्त्रनाम और दुर्गा चालीसा का पाठ शुभ फलदायी होता है। गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान संतान प्राप्ति और शत्रु पर विजय दिलाने वाला है।

गुप्त नवरात्रि में किन देवियों की पूजा की जाती हैं?

पुराणों के अनुसार गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में भगवान शिव और माँ काली की पूजा करने का विधान है। गुप्त नवरात्रि में 10 देवियों की पूजा की जाती है। जिन देवियों की पूजा की जाती है उनके नाम है –

माँ काली
• भुवनेश्वरी माता
• त्रिपुर सुंदरी
• छिन्न माता
बगलामुखी देवी
• कमला देवी
• त्रिपुर भैरवी माता
• तारा देवी
• धूमावती माँ
• मातंगी

Significance Of Gupt Navratri
गुप्त नवरात्रि का क्या महत्व है?

श्रीमदभागवत पुराण में ऐसा उल्लेख है कि वर्ष के दोनों गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में विशेषकर तांत्रिक क्रिया, शक्ति साधना और महाकाल की उपासना का विशेष महत्व है। भक्त दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिये गुप्त नवरात्रि में माँ भगवती के व्रत के कठिन नियमों का पालन करते हैं।

Gupt Navratri Mein Puja Kaise Kare?
गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा कैसे करें?

प्रकट नवरात्रि की ही भांति गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में भी व्रत-पूजन किया जाता है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक उपवास रखकर सुबह-शाम माँ भगवती की पूजा की जाती है।

• गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के प्रथम दिन पूजा स्थान में कलश स्थापित करें। फिर प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर, स्वच्छ कपड़े धारण करें। फिर उसके पश्चात देवी माँ की पूजा करें। संध्या के समय भी स्नान करके, स्वच्छ कपड़े पहन कर माँ की पूजा करें।

• माता को पुष्प चढ़ाये, फल चढ़ाये, धुप-दीप जलायें और माँ को भोग लगायें। विधि-विधान से माँ की पूजा-अर्चना करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि माँ दुर्गा की पूजा में लाल फूल का ही प्रयोग करें।

• गलती से भी देवी मां को तुलसी, आक, मदार व दूब अर्पित न करें।

• माँ दुर्गा की उपासना करते समय माँ दुर्गा के मंत्र का जाप करें, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सहस्त्रनाम या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ऐसा करना श्रेष्ठ फलदायी होता है।

• माँ की पूजा करने के बाद माता की आरती करें।

• सुबह और शाम दोनों समय देवी मां को भोग लगायें। यदि कोई विशेष चीज भोग के लिये ना होतो माँ को लौंग और बताशे का भोग लगा सकते हैंं।

• देवी के सामने घी की अखण्ड़ ज्योत करें।

विशेष: गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के दौरान सुबह और शाम देवी माँ के इस मंत्र का 108 बार जप करने से साधक की इच्छा पूर्ण होती है।

मंत्र: ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे

इस बार का अवश्य ध्यान रखें की गुप्त नवरात्रि नौ दिनों तक साधक अपना आहार और आचार सात्विक रखें।

गुप्त नवरात्रि और प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में क्या अंतर है?

प्रकट (सामान्य) नवरात्रि को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है पर गुप्त नवरात्रि को गुप्त रूप से मनाया जाता है। साधक अपनी साधना को गुप्त रखता है।

प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में अधिकांश रूप से सिद्धि प्राप्ति के लिये तांत्रिक पूजा की जाती है।

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में साधक अपनी साधना को गुप्त रखता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में साधक को अपनी पूजा और मनोकामना को गुप्त रखने से सफलता प्राप्त होती है।

Gupt Navratri Ki Katha
गुप्त नवरात्रि की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय श्रृंगी ऋषि के पास उनके भक्त अपनी समस्याएँ और पीड़ायें लेकर आये और श्रृंगी ऋषि उनसे मिल कर उनके कष्ट सुन रहे थे। उसी समय एक औरत भीड़ से निकल कर सामने आकर रोने लगी। श्रृंगी ऋषि ने उस महिला से उसके दुख का कारण पूछा तो उसने कहा – हे ऋषिवर! मेरा पति दुर्व्यसनों में लिप्त है। वो मांसाहार करता है, जुआ खेलता है, कभी पूजा-पाठ नहीं करता और ना ही मुझे करने देता है। परंतु मैं माँ दुर्गा की भक्त हूँ और मैं उनकी भक्ति करना चाहती हूँ जिससे मेरे और मेरे परिवार के जीवन में ख़ुशियाँ आयें।

उस औरत के भक्तियुक्त वचन सुनकर श्रृंगी ऋषि अत्यंत प्रभावित हुए और उससे बोले – हे देवी! मैं तुम्हारे दुखों को दूर करने का उपाय बताता हूँ, तुम ध्यान से सुनो। एक वर्ष में चार नवरात्रि आती है। उसमें दो प्रकट (सामान्य) नवरात्रि होती है, चैत्र और शारदीय नवरात्रि जिसके विषय में सब जानते हैं। परंतु इसके अतिरिक्त वर्ष मे दो और नवरात्रि आती है उन्हे ‘गुप्त नवरात्रि’ कहते हैं। ये नवरात्रि आषाढ़ मास और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आती है।

प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में देवी माँ के नौ रूपों की पूजा-साधना होती है, परन्तु गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। जो भी कोई मनुष्य भक्तियुक्त चित्त से गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की उपासना करता है माँ दुर्गा उसके जीवन के सभी दुखों को नष्ट कर देती है और उसके जीवन को सफल कर देती है। अगर कोई लोभी, मांसाहारी और पाठ-पूजा न करने वाला मनुष्य भी गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की उपासना करें तो माँ उसके जीवन को खुशियों से भर देती है और उसे मनोवांछित फल प्रदान करती है।

श्रृंगी ऋषि बोले परंतु इस बात का अवश्य ध्यान रखना कि गुप्त नवरात्रि की पूजा का प्रचार प्रसार न करें। श्रृंगी ऋषि से ऐसी बातें सुन वो स्त्री अतिप्रसन्न हुई। और उसने श्रृंगी ऋषि के कथनानुसार पूर्ण भक्ति-भाव से गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की उपासना करी। जिससे उसके जीवन के सभी दुखों का नाश हो गया और वो अपने पति के साथ सुख से जीवन बिताने लगी।

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