Diwali 2023: जानियें दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त और किस विधि एवं मंत्रों से करें दिवाली पर देवी लक्ष्मी का पूजन…

Diwali Pujan

माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये करें दीवाली (Diwali) का व्रत एवं पूजन। जानियें इस वर्ष कब मनाई जायेगी दिवाली? और दिवाली का क्या महत्व (Significance Of Diwali) हैं? इसके साथ ही पढ़ियें दिवाली की पूजा (Diwali Puja) का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) एवं पूजा की विधि (Puja Vidhi) और की कहानी (Deepawali Ki Kahani)…

Diwali 2023
दिवाली 2023

कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली (Diwali) का पर्व मनाया जाता हैं। हिंदु धर्म में दिवाली के त्यौहार का विशेष महत्व हैं। इसे हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता हैं। दिवाली का त्यौहार पूरे देश में हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। दिवाली को दीपोत्सव कहा जाता हैं। इसे रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता हैं। दीपावली (Deepawali) पर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, देवी काली और भगवान कुबेर का पूजन किया जाता हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार दीपावली पर धन-समृद्धि की कामना से सभी देवी लक्ष्मी का पूजन (Lakshmi Puja) करते हैं।

Diwali Kab Hai?
दीवाली कब हैं?

इस वर्ष दीवाली (Diwali) का पर्व 12 नवम्बर, 2023 रविवार के दिन मनाया जायेगा।

Diwali Puja Ka Shubh Muhurat: जानियें दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त

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दीपावली से जु‌ड़ी पौराणिक कथायें

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम चौदह वर्षो का वनवास पूरा करके और रावण का वध करके देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ पुन: अयोध्या वापस आये थे। उनके आने की खुशी में सबने दीपक जला कर उनका स्वागत किया था। तभी से श्रीराम के अयोध्या आने की स्मृति में दीपावली का पर्व (Deepawali) मनाया जाता हैं।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन समुद्रमंथन से देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) प्रकट हुयी थी और भगवान विष्णु से उनका मिलन हुआ था। तभी से इसी खुशी में और माँ लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिये इस दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाता हैं।

Significance Of Diwali Puja
दीवाली पूजा का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी भक्तों पर अनुग्रह करने की इच्छा से धरती पर आती हैं। और अपने भक्तों को उनके मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। दिवाली (Diwali) पर देवी लक्ष्मी का पूजन (Lakshmi Puja) करने से जातक को

  • देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती हैं।
  • धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती हैं।
  • परिवार में सुख शांति आती हैं।
  • रोगों का नाश होता है।
  • कष्टो और पीड़ाओं का अंत होता हैं।
  • भौतिक सुखों की प्राप्ति होती हैं।
  • व्यवसाय में सफलता मिलती हैं।
  • मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।

दीपावली (Deepawali) का दिन बहुत ही विशेष माना जाता हैं। इस दिन भगवान श्री राम, देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ चौदह वर्ष के वनवास के बाद पुन: अयोध्या आये थे।

एक अन्य कथा के अनुसार क्षीर सागर के मंथन से आज ही के दिन देवी लक्ष्मी प्रकट हुयी थी। इस लिये इस दिन को बहुत शुभ माना जाता हैं।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण द्वारा नरक चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध किये जाने के बाद सबने अगले दिन यानि दिवाली के दिन दीपक जलाकर खुशियाँ मनायी थी।

Diwali Pujan Ki Vidhi
दिवाली पूजन की विधि

दिवाली (Diwali) पर भगवान ग़णेश, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती और कुबेर की पूजा की जाती हैं। दीपावली की पूजा के लिये कई शुभ मुहूर्त होते है और सब अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार पूजन करते हैं।

  • प्रात:काल शरीर पर तेल लगाकर स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर दीपावली की पूजा (Deepawali Ki Puja)) की तैयारी के लिये सबसे पहले यदि आप स्वयं लक्ष्मी जी का चित्र बनाते हैं तो प्रात:काल ही दीवार को चूने से पोत दें।
  • फिर उस दीवार पर लक्ष्मी जी और गणेश जी का चित्र बनायें। वैसे तो आजकल अधिकतर लोग लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और गणेश जी के बने-बनाये रंगीन चित्र लाकर लगाते हैं।
  • घर पर रंगोली बनायें।
  • दीवाली के पूजन के शुभ मुहूर्त में पूजास्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठने की व्यवस्था करें।
  • पूजास्थान पर एक चौकी लगाकर उसपर लाल वस्त्र बिछायें। उस पर एक जल से भरा कलश स्थापित करे। चौकी के दोनो ओर गन्ने लगायें।
  • चौकी पर देवी महा लक्ष्मी (Maha Laxmi), देवी सरस्वती (Devi Saraswati) और भगवान गणेश (Lord Ganesha) जी की प्रतिमा लगाये या उनका चित्र बनाये या रंगीन चित्र लगाये। उसके बाद एक कलश में जल लेकर निम्न मंत्र का पाठ करते हुये कलश के जल से प्रतिमा या चित्र के ऊपर, स्वयं के ऊपर और सभी सामग्री, आसन आदि पर छींटे लगायें।

मंत्र-
ऊँ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतरः शुचिः।।

  • शुद्धि के बाद इस मंत्र का पाठ करते हुये धरती माता को प्रणाम करें। और आसन पर बैठ जायें।

मंत्र –
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पूथिव्ये नमः आधारशक्तये नमः॥

  • तत्पश्चात्‌ गंगाजल हाथ में लेकर इस मंत्रों का जाप करते हुये आचमन करें।

मंत्र –
ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः

  • घी का दीपक प्रज्वलित करें। इसके अतिरिक्त एक बड़ा दीपक जलाये जो कि दीवाली से भाई-दूज तक अखण्ड़ जलेगा।
  • अक्षत, जल, पुष्प और सिक्का हाथ में लेकर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती और धनपति कुबेर की पूजा का संकल्प करें।
  • तत्पश्चत्‌ कुलिया, हटरी में खील-बताशे भरें। मिठाई आदि के भोग के साथ में खील एवं खाण्ड़ भी रखें।
  • फिर इन मंत्रो का उच्चारण करते हुये भगवान गणेश की पूजा (Ganesh Puja) करें। जनेऊ चढ़ाये, रोली चावल से उनका तिलक करें। फल-फूल चढ़ायें। भोग लगायें, पान-सुपारी और दक्षिणा रखें।

मंत्र – श्री गणेशाय नम:। ॐ गं गणपतये नम:।

ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

गजाननं भूतगणाधिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥

  • देवी लक्ष्मी का पंचामृत से अभिषेक करें। कुमकुम और अक्षत से तिलक करें। मोली चढ़ायें, फल-फूल अर्पित करें। दीवाली पर देवी लक्ष्मी को कमल के पुष्प अर्पित करें। माँ लक्ष्मी को श्रृंगार की सामग्री भी अर्पित करें। भोग लगाये साथ में पान-सुपारी और दक्षिणा रखें। देवी लक्ष्मी का पूजन करते हुये इस मंत्र का जाप करें।

मंत्र –
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
विष्णुप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं जगद्धिते। अर्तिहंत्रि नमस्तुभ्यं समृद्धि कुरु में सदा॥

  • इस मंत्र का उच्चारण करते हुये देवी सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) करें। उनको तिलक लगायें, फल-पुष्प अर्पित करें। भोग लगायें और दक्षिणा रखें।

मंत्र –
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

  • इस मंत्र का जाप करते हुये धनपति कुबेर की पूजा (Kuber Puja) करें। उनको तिलक करें, फल-फूल अर्पित करें। भोग लगायें और दक्षिणा रखें।

मंत्र –
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

  • इसके बाद माता लक्ष्मी जी से, भगवान गणेश जी से, देवी सरस्वती जी से और भगवान कुबेर से हाथ जोड़कर अपनी गलतियों के लिये क्षमा मांगे।

क्षमा याचना – हे माँ! मैं ना ही आह्वान करना जानता हूँ, न ही विसर्जन करना। मैं पूजा-कर्म भी नहीं जानता। हे परमेश्वरि! आप मेरी गलतियों को क्षमा करो। मैंने मन्त्रहीन, क्रियाहीन और भक्तिहीनता से जो पूजा की वो पूर्ण हो। उसमें जो कमियाँ रही हैं उन्हे आप पूर्ण करो और गलतिया हुई है उन्हे क्षमा करो। मैंने सामर्थ्य अनुसार जो पूजा की है उसे स्वीकार कीजिये और मुझ पर प्रसन्न होकर मेरी मनोकामना पूर्ण कीजियें।

महालक्ष्मी की पूजन (Maha Laxmi Puja) के बाद अपने व्यवसाय स्थल मशीनों, तिजोरी और बहीखातों आदि की भी पूजन अवश्य करें।

Diwali Ki Kahani / Lakshmi Ji Ki Kahani
दीपावली की कहानी / लक्ष्मी जी की कहानी

प्राचीन समय की बात है एक नगर में एक साहूकर अपने परिवार के साथ रहता था। उसके एक पुत्री थी। साहूकार की पुत्री बहुत धार्मिक विचारों वाली थी। वो प्रतिदिन पीपल को जल चढ़ाया करती।

एक दिन जब वो पीपल पर जल चढ़ा रही थी तब देवी लक्ष्मी जी आई और उससे कहा, क्या तुम मेरी सहेली बनोगी। उस लड़की ने कहा, “मैं तुम्हे कल बताऊंगी।“ ऐसा कहकर वो वहाँ से चली गई। घर पहुँच कर उसने अपने पिता को बताया कि आज मुझे एक स्त्री मिली और वो मुझसे मित्रता करना चाहती हैं। आप बताइये मैं उसे क्या कहूँ? उसके पिता ने कहा, “मित्रता करने में तो कोई बुराई नही हैं। तू हाँ कर दें।

अगले दिन जब वो पीपल पर जल चढ़ा कर लौटने लगी तो देवी लक्ष्मी उसे फिर मिली और उससे पूछा कि बता तेरा क्या निर्णय हैं। उस लड़की ने हाँ कर दिया। फिर एक दिन लक्ष्मी जी ने उस लड़की को अपने घर भोजन के लिये निमंत्रण दिया। उस लड़की ने अपने पिता से पूछा तो उसके पिता ने कहा, “तेरी मित्र है चली जा, फिर भी अपना ध्यान रखना।“ वो लड़की लक्ष्मी जी के साथ उनके निवास पर चली गई। वहाँ पर देवी लक्ष्मी का वैभव देखकर वो लड़की विस्मित रह गई।

देवी लक्ष्मी ने उसकी बहुत खातिर करी। उसे ओढ़ने के लिये दुशाला दिया, सोने की चौकी पर बिठाकर सोने बर्तनों में 56 भोग खिलाये। जब वो लड़की जाने लगी तब लक्ष्मी जी ने उससे कहा कि मैं भी तेरे घर भोजन पर आऊंगी। उस लडकी ने हाँ कर दिया। जब वो घर पहुँची तो उसने अपने पिता को बताया। साहूकार ने कहा कोई बात नही उनको आने दे। अपने पास जैसा है, अपन उसी से उनका सत्कार करेंगे। परंतु उस लड़की की इच्छा थी कि वो भी उसी प्रकार देवी लक्ष्मी का स्वागत करें जैसे उन्होने उसका किया था।

उस लड़की ने देवी लक्ष्मी के भोजन के लिये लड्डू बनाये। तब सौभाग्य से एक चील कही से किसी का नौलखा हार लेकर आयी और हार वहाँ छोड़कर लड्डू लेकर उड गयी। वो लड़की हार लेकर एक सुनार के पास उसे बेचने गई। उस हार को बेचकर उसने सोने की चौकी, सोने के बर्तन और 56 भोग बनाने का सामान खरीदा।

जब लक्ष्मी जी गणेश जी के साथ उसके घर आयी तो उस लड़की ने भी उसी प्रकार से उनका स्वागत किया जैसे उन्होने किया था। उस लड़की के आदर सत्कार से देवी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुयी और उसको अपार धन-सम्पती का आशीर्वाद दिया। हे माँ लक्ष्मी! जैसे आप साहूकार की बेटी पर प्रसन्न हुई और उसे धन-सम्पत्ति देकर उसकी मनोकामना पूर्ण की वैसे सबकी करना।

Diwali Par Kya Karna Chahiye?
दिवाली पर क्या करना चाहिये?

  1. धनहानि से बचने के लिये दीपावली (Deepawali) के दिन सुबह शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करें।
  2. परिवार के बच्चे और बूढ़े लोगों को अलावा सभी लोगो को दीपावली के दिन व्रत करना चाहिये और रात्रि को पूजन के बाद ही भोजन करना चाहिये।
  3. दिवाली (Diwali) के दिन अपने पूर्वजों की भी पूजा करें और उनके निमित्त भोग निकाले। साथ ही संध्या के समय दीपक जलाकर द्वार पर रखें। ऐसा करने माना जाता है कि पूर्वजों को शांति मिलती हैं।
  4. घर की दरिद्रता दूर करने के लिये दीपावली के दिन भजन-कीर्तन और जागरण करें। दीपावली का उत्सव मनाने से घर में खुशियों का अगमन होता हैं।

विशेष – यदि आप सम्पूर्ण शास्त्रीय विधि से पूजन करना चाहते है तो ऊपर बतायी गयी पूजन विधि के साथ नवग्रह पूजन (Navgrah Puja) और षोड़स मातृका पूजन (Shodash Matrika Pujan) भी करें।

गणेश जी की पूजा के बाद नवग्रहों का पूजन करें। नव ग्रहों का उनके मंत्रों द्वारा आह्वान करे और विधि अनुसार प्रतिष्ठा, अर्ध्य, पाद्य, स्नान, नैवेद्यादि समर्पित कर पूजन करें।

जपा कुसुम संकाशं काश्पेयं महाद्युतिम् । तमोऽरि सब पापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥
दधि शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवत् नमामि शशिनं सोम शम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥
धरणी गर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् । कुमारं शक्ति हस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम् ॥
प्रियंगु कलिका श्याम रुपेणप्रतिमं बुधम् । सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥
देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसन्निभम् । बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तन्नमामि वृहस्पतिम् ॥
हिम कुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् । सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं। छायामार्तण्डसंभूतं तन्नमामिशनैश्चरम् ॥
अर्द्धकार्य महावीरं चन्द्रादित्यविमर्दनम् सिंहिकागर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ॥
पलाश पुष्य संकाशं तारकाग्रह मस्तकम् । रौद्र रौद्रत्मकं घोरं तं केतु प्रणमाम्यहम् ॥

विधि अनुसार नव ग्रहों की पूजा (Navgrah Puja) करें। उसके बाद हाथ जोड़कर नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) का जाप करें –

ब्रह्मा मुरारिः त्रिपुरान्तकारी भानु शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रो शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहाः शान्ति करा भवन्तु ॥

इसके बाद षोड़स मातृका पूजन करें। और उसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन करें। कथा सुने,श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त और कनकधारा स्त्रोत्र का पाठ करें।

॥ जय माँ लक्ष्मी॥