Basant Panchami – बसंत पंचमी कब हैं? जानियें बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन कैसे करें?

Basant panchami

ज्ञान और विद्या प्राप्ति के लिए करें बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन सरस्वती पूजन। बसंत पंचमी को ज्ञान पंचमी और श्री पंचमी भी कहा जाता हैं। जानिये बसंत पंचमी कब हैं? बसंत पंचमी का महत्व। बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन की विधि। साथ ही पढ़ें बसंत पंचमी की पौराणिक कथा और पूजा के नियम।

Basant Panchami
बसंत पंचमी

हिंदु धर्म में बसंत पंचमी (Basant Panchami) का विशेष महत्व हैं। हिंदु पंचांग के माघ मास की शुक्लपक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी के नाम से पुकारा जाता हैं। इस दिन को ज्ञान पंचमी और श्री पंचमी भी कहा जाता हैं। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा किये जाने का विधान हैं। देवी सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी कहा जाता हैं। इस दिन विधि-विधान से माँ सरस्वती की पूजा करने से देवी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा से साधक को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती हैं। साथ ही संगीत आदि अन्य कलाओं मे प्रवीणता प्राप्त होती हैं।

बसंत पचमी (Basant Panchami) के दिन कामदेव और रति की पूजा भी की जाती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन कामदेव और रति धरती पर भ्रमण के लिये आते हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती हैं।

Basant Panchami Kab Hai?
बसंत पंचमी कब हैं?

इस वर्ष बसंत पचमी (Basant Panchami) का उत्सव 14 फरवरी, 2024 बुधवार के दिन मनाया जायेगा।

Basant Panchami Ka Mahatva
बसंत पंचमी का महत्व

हिंदु पंचांग में कुछ विशेष शुभ दिनों को अबूझ मुहूर्त के रूप में माना जाता हैं, उनमें से बसंत पंचमी (Basant Panchami) भी एक हैं। बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता हैं। इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है और उसके लिये कोई मुहूर्त देखना नही पडता।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पचमी (Basant Panchami) के दिन ब्रहमा जी के मुख से देवी सरस्वती प्रकट हुयी थी। देवी सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता हैं। इन्ही की कृपा से गायन, वादन, संगीत, ज्ञान-विज्ञान, और विद्या की प्राप्ति होती हैं।

धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन विधि-विधान से पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से माँ सरस्वती प्रसन्न होती है और जातक का मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन को अति शुभ माना जाता हैं। यह दिन शिक्षा आरम्भ करने, कोई नवीन विद्या सीखने, संगीत या अन्य कोई कला सीखने के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं। बसंत पंचमी के दिन का अबूझ मुहूर्त होता है, इसलिये इस दिन नूतन गृह-प्रवेश आदि कई प्रकार के शुभ कार्य भी किये जाते हैं। इस दिन छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान कराना उनकी शिक्षा के लिये उत्तम माना जाता हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रेम और अनुराग के देवता कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ इस दिन धरती पर आते हैं। इस दिन से सम्पूर्ण प्रकृति में हम बदलाव का अनुभव करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कामदेव पृथ्वी पर प्रेम का संचार करते हैं। इस दिन कामदेव और रति की पूजा करने से मनुष्य के वैवाहिक जीवन में समस्याएँ उत्पन्न नही होती और उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता हैं।

इस दिन माँ सरस्वती की उपासना से जातक की समस्याओं का निवारण होता हैं। बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिये कुछ उपाय करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं।

Basant Panchami Ki Puja Vidhi
बसंत पंचमी की पूजा विधि

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन देवी सरस्वती की पूजा किये जाने का विधान हैं। इस दिन देवी सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करने से जातक को देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त होती हैं। ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा करने से देवी शीघ्र प्रसन्न होकर जातक को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।

  • बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन श्वेत या पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता हैं।
  • पूजा स्थान पर एक चौकी बिछाकर उसपर पीला वस्त्र बिछायें और उसपर कलश स्थापित करके देवी सरस्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके साथ ही चौकी पर संगीत वाद्य यंत्र और पुस्तक भी रखें और उनकी भी पूजा करें।
  • पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जायें।
  • धूप-दीप जलाकर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। फिर नवग्रह की पूजा करके देवी सरस्वती का पूजन करें।
  • गणेश जी को जल के छींटें लगाकर, रोली-चावल से तिलक करें, जनेऊ चढायें, मौली चढ़ाये। गणेश जी को फल-फूल, पान-सुपारी और दूर्वा अर्पित करें। लड्डुओं का भोग लगायें।
  • फिर नवग्रह का ध्यान करके नवग्रह की पूजा करें।
  • देवी सरस्वती की प्रतिमा को जल से आचमन और स्नान करायें।
  • देवी को सफेद वस्त्र चढ़ायें। सफेद चंदन लगायें। रोली – चावल व हल्दी से तिलक करें। मौली चढ़ायें। पीले फूल व पीले फल अर्पित करें। देवी को साथ ही सफेद पुष्प भी चढ़ायें। पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  • माँ सरस्वती को श्रृन्गार की सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि अर्पित करें।
  • देवी सरस्वती को केसर युक्त खीर, मिश्री मावा, पीली बेसन की मिठाई, पीला हलवा, आदि भोग लगायें।
  • फिर श्री सरस्वती कवचम् का पाठ करें और हल्दी की माला पर देवी सरस्वती के मूल मंत्र का जाप करें।
मंत्र :- ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।
  • देवी सरस्वती की आरती करें। किताबों और संगीत वाद्य यंत्रों का भी पूजन करें।
  • पूजन के बाद गरीबों को भोजन करायें। फिर उसके बाद स्वयं भोजन करें।

Basant Panchami Ki Puranik Katha
बसंत पंचमी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार परमपिता ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो उन्होने पेड़-पौधे, वनस्पति, पशु-पक्षी, जीव-जंतु, ऋषि, मनुष्य, आदि सबकुछ बनाया। सम्पूर्ण सृष्टि की रचना करने बाद भी जब वो उससे संतुष्ट नही हुये तो जनमानस की चेतना और ज्ञान के लिये उनके मुख से देवी सरस्वती उत्पन्न हुई। जिस दिन देवी सरस्वती उत्पन्न हुयी उस दिन बसंत पंचमी थी। इसलिये बसंत पचमी (Basant Panchami) के दिन देवी सरस्वती की पूजा किये जाने का विधान हैं।

देवी सरस्वती का स्वरूप अत्यंत ही सुन्दर और मोहक हैं। यह देवी का चतुर्भुज रूप है, उनके चार हाथ हैं। उन्होने एक हाथ में वीणा, दूसरे में वेद, तीसरे में माला और चौथे हाथ से वर मुद्रा धारण की हुयी हैं। देवी सरस्वती का मुख शांत और रूप सुंदर हैं। वो कमल के फूल पर विराजमान होती हैं। उनका वर्ण श्वेत हैं। उन्होने सिर पर मुकुट धारण किया हुआ हैं। जब देवी सरस्वती प्रकट हुयी तो उन्होने अपनी वीणा के स्वर से समस्त सृष्टि की नीरसता को दूर करके उसको संगीत के स्वर प्रदान किये। देवी सरस्वती ने वेदों का ज्ञान प्रदान किया। तभी से त्रिलोक में ज्ञान और स्वर की देवी सरस्वती की उपासना की जाती हैं।

Devi Saraswati Ki Puja Ke Niyam
सरस्वती पूजन के नियम

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन देवी सरस्वती की पूजा किये जाने का विधान है। इस दिन होने वाली सरस्वती पूजन में इन बातों का ध्यान रखें।

  • बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नींद का त्याग कर देना चाहिये। और सूर्योदय से पूर्व ही स्नानदि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिये।
  • पूजास्थान की सफाई करें।
  • देवी सरस्वती को पीला रंग अतिप्रिय है, इसलिये उनको पूजा में पीली वस्तुएं अर्पित करें।
  • देवी सरस्वती की पूजा में उनकी प्रतिमा या चित्र के साथ में कलम, पुस्तक, वाद्य यंत्र आदि की पूजा भी करनी चाहियें।
  • इस दिन सात्विक भोजन करें। प्याज-लहसुन का सेवन करने से बचें।
  • इस दिन परनिंदा, लड़ाई-झगड़े आदि से दूर रहें और किसी को अपशब्द ना बोलें।
  • मांसाहार और मदिरा का सेवन ना करें। सभी व्यसनों से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • पीले वस्त्र धारण करें। बिना स्नान करें भोजन ना करें।
  • पेड़-पौधे को नुकसान ना पहुँचायें।