Labh Pancham 2023: जानियें कब और कैसे करें लाभ पंचमी की पूजा?

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सुखमय जीवन, धन–समृद्धि एवं सौभाग्य में वृद्धि करने वाला है लाभ पंचम (Labh Pancham) का पूजन। लाभ पंचम (Labh Panchami) को लाखनी पंचम (Lakhani Pancham), ज्ञान पंचमी (Gyan Panchmi) और सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) के नाम से जाना जाता है। लाभ पंचमी के दिन कोई नया काम या नया व्यवसाय आरम्भ करना बहुत ही शुभ होता है। जानियें कब है लाभ पंचम? कैसे की जाती है इसकी पूजा? साथ में पढ़ें ज्ञान पंचमी का महत्व…

Labh Pancham 2023
लाभ पंचम 2023

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को लाभ पंचम (Labh Pancham) का पर्व मनाया जाता है। लाभ पंचम को लाभ पंचमी (Labh Panchami), लाखनी पंचमी (Lakhani Pancham), ज्ञान पंचमी (Gyan Panchami) और सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) के नाम से भी पुकारा जाता है। आमतौर पर लाभ पंचम दिवाली के पांच दिन बाद मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लाभ पंचम (Labh Pancham) का विधि-विधान से पूजन करने से जीवन में खुशहाली आती है, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, व्यवसाय में उन्नति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विघ्न-बाधाओं का नाश होता और लाभ के अवसर प्रस्तुत होते है। सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) के दिन भगवान शंकर और भगवान गणेश की पूजा किये जाने का विधान है। कुछ लोग इस दिन गणेश जी के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा भी करते है।

Labh Pancham Kab Hai?
लाभ पंचम कब है?

इस वर्ष लाभ पंचम (Labh Pancham) की पूजा 18 नवम्बर, 2023 शनिवार के दिन की जायेगी।
लाभ पंचम शुभ मुहूर्त : प्रात: 06:16 AM से 10:10 AM

लाभ पंचम की पूजा शुभ, लाभ और अमृत के चौघड़िया में करना उचित होगा।

लाभ पंचमी (18 नवम्बर, 2023 शनिवार) दिन के लिए चौघड़िया
सूर्योदय : सुबह 06:43 AM बजे
शुभ: सुबह 08:08 AM से 09:33 AM तक
लाभ: दोपहर 01:48 PM से 03:13 PM तक
अमृत: 03:13 PM बजे से 04:37 PM तक

लाभ पंचमी (Labh Panchami) रात के लिए चौघड़िया
सूर्यास्त : 06:04 PM बजे
लाभ: शाम 06:04 PM से रात 07:39 PM बजे तक
शुभ: रात्रि 09:13 PM से 10:48 PM तक
अमृत: रात्रि 10:48 PM से 12:23 AM बजे तक

Significance Of Labh Panchami
लाभ पंचमी का महत्व

धार्मिक मान्यताओ के अनुसार सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) का विधि विधान से पूजन करने से जातक के सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने से कार्य सिद्धि में आने वाली सभी बाधायें स्वत: ही दूर हो जाती है। इस दिन की पूजा विशेष फलदायिनी है। जातक को इसके नामों के अनुसार ही इसका फल प्राप्त होता है जैसे लाभ पंचमी (Labh Panchami) यानि व्यवसाय में उन्नति और लाभ, सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) यानि सौभाग्य में वृद्धि और ज्ञान पंचमी (Gyan Panchami ) यानि ज्ञान की प्राप्ति। इस दिन विधि-विधान से पूजन करने से

  • मनुष्य की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं
  • घर-परिवार में सुख-शांति रहती है।
  • कार्य सिद्धि में आने वाले समस्त विघ्नों का नाश होता है और कार्य सुगमता से पूर्ण होते है।
  • व्यापार में उन्नति होती है।
  • विचारों में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  • धन-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।
  • सौभाग्य में वृद्धि होती है और भाग्य साथ देता है।
  • ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • मनोकामना पूर्ण होती है।
  • लाभ पंचम के दिन को नया व्यवसाय के आरम्भ के लिये बहुत शुभ माना जाता है। गुजरात में इस त्यौहार का बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। व्यवसायी से जुड़े लोग इस दिन नया बहीखाता लिखना आरम्भ करते है। इसे दीपावली के अंतिम पर्व के रूप में मनाया जाता है।

Labh Panchami Puja Vidhi
लाभ पंचमी पूजा विधि

लाभ पंचमी (Labh Panchami) के दिन भगवान शिव और भगवान गणेश की पूजा किये जाने का विधान है। इसके अतिरिक्त कुछ लोग इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा भी करते है। सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) की पूजा पूरी श्रद्धा-भक्ति और विधि-विधान से करने से साधक की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है।

लाभ पंचम (Labh Pancham) के दिन भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने की विधि इस प्रकार है:

  • लाभ पंचम (Labh Pancham) के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें अर्थात जल चढ़ायें।
  • शुभ चौघड़िया मुहूर्त में पूजा स्थान पर चौकी बिछाकर उसपर भगवान गणेश और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • पूर्व की ओर मुख कर के आसन पर बैठ जायें।
  • एक सुपारी लेकर उसको चारों ओर पवित्र मौली (पवित्र धागा) लपेटें। इसके बाद उसे चावल के अष्टदल पर अर्थात चावल की गोल ढेरी विराजित करें। भगवान गणेश की प्रतिमा को भी उसपर ही विराजित करें।
  • एक जल का कलश रखें। धूप – दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान गणेश को सिंदूर, चंदन, फल, फूल और दूर्वा अर्पित करें।
  • भगवान शिव को भस्म, बिल्व पत्र, धतूरे के फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करें।
  • भगवान गणेश को मोदक का भोग लगायें और भगवान शिव को दूध से बना प्रसाद भोग लगायें।
  • तत्पश्चात् निम्नलिखित लाभ पंचम मंत्रों से भगवान गणेश और भगवान शिव का ध्यान एवं जाप करें –
  • भगवान गणेश के लिए लाभ पंचम मंत्र:

लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्।
आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।

  • भगवान शिव के लिए लाभ पंचम मंत्र :

त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे।
त्रिशूलधारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।।

  • मंत्र जाप के बाद भगवान शिव और भगवान गणेश की आरती करें।
  • फिर भगवान के समक्ष हाथ जोड़कर अपनी गलतियों के लिये क्षमा प्रार्थना करें। तत्पश्चात् उनसे अपना मनोरथ निवेदन करें।
  • उसके बाद अपने द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें। फिर भगवान को अर्पित किया हुआ प्रसाद समस्त लोगों में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

लाभ पंचम (Labh Pancham) के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने की विधि इस प्रकार है:

लाभ पंचम (Labh Pancham) के दिन बहुत से भक्त विशेष रूप से भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। साधक को जीवन में ज्ञान और समृद्धि की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी गणेश यंत्र के द्वारा भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन कई भक्त ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा भी करते हैं। सौभाग्य पंचमी के दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी जी का पूजन एवं स्मरण बहुत शुभफलदायी होता है।

  • सौभाग्य पंचमी (Saubhagya Panchami) के दिन प्रात: काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान सूर्य को अर्ध्य दें अर्थात जल चढ़ायें।
  • शुभ चौघड़िया मुहूर्त में पूजा स्थान पर चौकी बिछाकर उसपर भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • धूप – दीप प्रज्वलित करें और एक जल का कलश रखें।
  • श्री गणेश जी को सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर विराजित किया जाता है।
  • फिर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी को सिंदूर, चंदन, अक्षत, फल-फूल और दूर्वा चढ़ायें।
  • भगवान गणेश को मोदक और देवी लक्ष्मी को दूध से बना सफेद मिठाई का भोग निवेदन करें।
  • श्री गणेश जी महाराज का ध्यान एवं जाप इस मंत्र से करें।

गणेश मंत्र –
लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्।
आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।

  • माँ लक्ष्मी जी का ध्यान एवं जाप इस मंत्र के द्वारा करें।
  • माँ लक्ष्मी जी मंत्र – लक्ष्मी नारायण नम:।।
  • तत्पश्चात भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी जी की धूप, दीप से आरती करें।
  • उसके बाद अपने द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें। फिर भगवान को अर्पित किया हुआ प्रसाद समस्त लोगों में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

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