महेश नवमी (Mahesh Navami) के विषय में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की उपासना किये जाने का विधान है। जानियें कब है महेश नवमी?, महेश नवमी की पूजा विधि और महत्व। साथ ही पढ़िये महेश नवमी की कथा…
Mahesh Navami
महेश नवमी
हिन्दू पंचांग है ज्येष्ठ माह की शुक्लपक्ष नवमी तिथि के दिन महेश नवमी (Mahesh Navami) मनाई जाती है। एक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महेश नवमी के दिन भगवान शिव के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। इसलिये इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा किये जाने का विधान है। इस दिन का माहेश्वरी समाज में विशेष महत्व है। इस दिन पर व्रत रखने के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
When Is Mahesh Navami in 2024?
महेश नवमी 2024 में कब है?
इस वर्ष महेश नवमी (Mahesh Navami) का व्रत एवं पूजन 15 जून 2024, शनिवार के दिन किया जायेगा।
Mahesh Navami Puja Vidhi
महेश नवमी पूजा विधि
महेश नवमी (Mahesh Navami) के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। पूजा की विधि इस प्रकार है-
- प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त उठकर नित्यक्रिया से निवृत्त होकर गंगा नदी में स्नान करें। यदि ऐसा सम्भव ना होतो स्नान करने के जल में गंगा जल डालकर स्नान करें।
- स्नान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान सूर्य को जल चढ़ायें। .
- तत्पश्चात् शिवालय में जाकर शिवलिंग के पास बैठ कर भगवान शिव का स्मरण करें।
- फिर भगवान शिव का भांग, धतूरा, दही और दूध से अभिषेक करें। अभिषेक के समय दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। धूप – दीप जलाकर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें। चन्दन से भगवन शिव का तिलक करें। माता पार्वती को रोली-चावल से तिलक करें, हल्दी और मेहन्दी लगाये।
- फल- फूल अर्पित करें। भोग लगाये।
- फिर शिव चालीसा का पाठ करें। और फिर उसके बाद आरती करें।
- व्रत करने वाले इस दिन संध्या के समय फलाहार करें।
Significance of Mahesh Navami
महेश नवमी का महत्व
महेश नवमी (Mahesh Navami) का दिन माहेश्वरी समाज के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन के उपलक्ष्य में वे लोग अनेक धार्मिक आयोजन करते है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से
- पति –पत्नी में प्रेम बढ़ता है। दांपत्य जीवन सुखमय होता है। संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
- परिवार में सुख-शांति आती है। धन –समृद्धि में वृद्धि होती है।
- महेश नवमी की कहानी
- भगवान शिव का ही एक नाम है महेश। इस दिन को महेश जयंती भी कहा जाता है। यह दिन विशेषकर माहेश्वरी समुदाय के लिये बहुत अधिक महत्व रखता है। एक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने माहेश्वरी समुदाय के पूर्वजों की रक्षा की थी। माहेश्वरी समाज एक व्यापारिक समुदाय के रूप में प्रसिद्द है।
Story of Mahesh Navami
महेश नवमी की कहानी
एक किंवदंती के अनुसार बहुत समय पहले राजस्थान राज्य के जयपुर शहर के समीप एक गाँव के लगभग 50 से भी ज्यादा पुरुष शाही दल के साथ शिकार पर गए थे। शिकार का पीछा करते – करते वो लोग गलती से एक आश्रम में घुस गये और उनकी इस हरकत की वजह से उस आश्रम की शांति और मर्यादा भंग जो गई। इससे रूष्ट होकर ऋषि ने उन सभी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया।
जब यह समाचार उनके घरवालों को मिला तो वह शोक में डूब गये। अपने सुहाग की रक्षा के लिये उन सभी की स्त्रियों ने भगवान शिव और देवी पार्वती से प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने उन सभी श्राप मुक्त करके उन्हें बचाने का वचन दिया और साथ ही उन स्त्रियों से कहा कि इसके बाद उनके घर के पुरूष कभी शिकार आदि नही करेंगे। व्यवसाय आदि से अपना जीवनयापन करेंगे। उन सभी स्त्रियों ने इसके लिये हाँ कर दी। भगवान शिव ने ऋषि को दर्शन देकर उन सभी पुरुषों को श्राप मुक्त करने के लिये कहा। ऋषि ने वैसा ही किया। भगवान शिव की कृपा से उन सभी पुरूषों की रक्षा हुई। तभी से उस समुदाय के लोगो ने अपने समुदाय का नाम भगवन शिव के नाम पर माहेश्वरी समाज रखा और शिकार आदि छोडकर जीवनयापन के लिये व्यवसाय करने को चुना।
माहेश्वरी समाज के लोग भगवान शिव और देवी पार्वती के उपासक हैं। महेश नवमी को माहेश्वरी समुदाय के गठन के दिन के रूप में मनाया जाता है।