बृहस्पति देव को देवताओं के गुरू की उपाधि प्राप्त है। इन्हे ज्ञान और विद्या का दाता माना जाता है। इनकी कृपा से साधक को ज्ञान के साथ धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवगुरू बृहस्पति का आशीर्वाद और बृहस्पति ग्रह की शुभता पाने के लिये करें बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa) का पाठ करें। जानियें कब और कैसे करें बृहस्पति चालीसा का पाठ? पढ़ियें बृहस्पति चालीसा और उसके पाठ का महत्व (Significance of Reading Brihaspati Chalisa)…
When To Recite Brihaspati Chalisa?
बृहस्पति चालीसा का पाठ कब करें?
बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa) का पाठ नियम पूर्वक हर बृहस्पतिवार के दिन किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त किसी शुभ कार्य पर जाने से पहले, महत्वपूर्ण परीक्षा या साक्षात्कार पर जाते समय और विशेष कार्य सिद्धि के लिये इस चालीसा का पाठ करें। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है और साधक को सफलता प्राप्त होती है।
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How To Recite Brihaspati Chalisa?
बृहस्पति चालीसा का पाठ कैसे करें?
बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa) का पाठ करने की विधि इस प्रकार है:-
- बृहस्पतिवार दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा से पूर्व कुछ भी ना खायें।
- पूजा स्थान पर बैठकर देवगुरू बृहस्पति की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलायें।
- भगवान को पीले फूल और फल चढ़ायें। पीले रंग की मिठाई का भोग लगायें।
- फिर बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa) का शुद्ध उच्चारण के साथ एकाग्रचित्त होकर पाठ करें। बृहस्पति देव की आरती करें।
- तत्पश्चात् बृहस्पति देव का ध्यान करें और उनसे अपनी त्रुटियों के लिये क्षमा माँगने के बाद अपना मनोरथ निवेदन करें।
Benefits of Reciting Brihaspati Chalisa
बृहस्पति चालीसा पाठ के लाभ
बृहस्पति चालीसा का नियमपूर्वक विधि-विधान से पाठ करने से
- साधक को देवगुरू बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है। उसपर बृहस्पति देव प्रसन्न होते है।
- गुरू ग्रह की शुभता प्राप्त होती है। उसके नकारात्मक प्रभाव नष्ट होते है।
- विद्यार्थी को विद्या एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है। परीक्षा में सफलता मिलती है।
- साधक को जीवन में देवगुरू के द्वारा सही मार्गदर्शन और सही दिशा मिलती है। जिससे वो अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करता है।
- भाग्य में वृद्धि होती है और कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते है।
- धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- मान – प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
Brihaspati Chalisa Lyrics In Hindi
श्री बृहस्पति चालीसा
॥ दोहा ॥
प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान ।
श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन ॥
अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान ।
दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान ॥
॥ चौपाई ॥
जय नारायण जय निखिलेशवर ।
विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर ॥
यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता ।
भारत भू के प्रेम प्रेनता ॥
जब जब हुई धरम की हानि ।
सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी ॥
सच्चिदानंद गुरु के प्यारे ।
सिद्धाश्रम से आप पधारे ॥
उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा ।
ओय करन धरम की रक्षा ॥
अबकी बार आपकी बारी ।
त्राहि त्राहि है धरा पुकारी ॥
मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा ।
मुल्तानचंद पिता कर नामा ॥
शेषशायी सपने में आये ।
माता को दर्शन दिखलाये ॥
रुपादेवि मातु अति धार्मिक ।
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख ॥
जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की ।
पूजा करते आराधक की ॥
जन्म वृतन्त सुनाये नवीना ।
मंत्र नारायण नाम करि दीना ॥
नाम नारायण भव भय हारी ।
सिद्ध योगी मानव तन धारी ॥
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित ।
आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित ॥
एक बार संग सखा भवन में ।
करि स्नान लगे चिन्तन में ॥
चिन्तन करत समाधि लागी ।
सुध-बुध हीन भये अनुरागी ॥
पूर्ण करि संसार की रीती ।
शंकर जैसे बने गृहस्थी ॥
अदभुत संगम प्रभु माया का ।
अवलोकन है विधि छाया का ॥
युग-युग से भव बंधन रीती ।
जंहा नारायण वाही भगवती ॥
सांसारिक मन हुए अति ग्लानी ।
तब हिमगिरी गमन की ठानी ॥
अठारह वर्ष हिमालय घूमे ।
सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें ॥
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन ।
करम भूमि आये नारायण ॥
धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी ।
जय गुरुदेव साधना पूंजी ॥
सर्व धर्महित शिविर पुरोधा ।
कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा ॥
ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा ।
भारत का भौतिक उजियारा ॥
एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता ।
सीधी साधक विश्व विजेता ॥
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता ।
भुत-भविष्य के आप विधाता ॥
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर ।
षोडश कला युक्त परमेश्वर ॥
रतन पारखी विघन हरंता ।
सन्यासी अनन्यतम संता ॥
अदभुत चमत्कार दिखलाया ।
पारद का शिवलिंग बनाया ॥
वेद पुराण शास्त्र सब गाते ।
पारेश्वर दुर्लभ कहलाते ॥
पूजा कर नित ध्यान लगावे ।
वो नर सिद्धाश्रम में जावे ॥
चारो वेद कंठ में धारे ।
पूजनीय जन-जन के प्यारे ॥
चिन्तन करत मंत्र जब गायें ।
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलायें ॥
मंत्र नमो नारायण सांचा ।
ध्यानत भागत भुत-पिशाचा ॥
प्रातः कल करहि निखिलायन ।
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन ॥
निर्मल मन से जो भी ध्यावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे ॥
पथ करही नित जो चालीसा ।
शांति प्रदान करहि योगिसा ॥
अष्टोत्तर शत पाठ करत जो ।
सर्व सिद्धिया पावत जन सो ॥
श्री गुरु चरण की धारा ।
सिद्धाश्रम साधक परिवारा ॥
जय-जय-जय आनंद के स्वामी ।
बारम्बार नमामी नमामी ॥
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