Brihaspati Ke 108 Naam: पढ़ियें देवगुरू बृहस्पति के 108 नाम और जानियें इसका लाभ…

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गुरू बृहस्पति (Guru Brihaspati) को देवताओ का गुरू माना जाता है। नवग्रहों में भी गुरू ग्रह बहुत शक्तिशाली माना जाता है। देवगुरू बृहस्पति की कृपा पाने के लिये बृहस्पति के 108 नाम (Brihaspati Ke 108 Naam) का जाप करना बहुत ही आसान तरीका है। पढ़ियें बृहस्पति देव के 108 नाम (Brihaspati Ke 108 Naam) और साथ ही जानियें इनका पाठ करने की विधि और लाभ…

When & How To Recite 108 Names Of Brihaspati?
बृहस्पति के 108 नाम का जाप कब और कैसे करें?

बृहस्पति के 108 नाम (Brihaspati Ke 108 Naam) का जाप प्रतिदिन प्रात:काल में करना चाहिये अन्यथा नियमित रूप से प्रत्येक बृहस्पतिवार के दिन करना चाहिये। बृहस्पति के 108 नाम का पाठ करने की विधि इस प्रकार है:-

  • प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा से पूर्व कुछ भी ना खायें।
  • पूजा स्थान पर बैठकर देवगुरू बृहस्पति की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलायें।
  • भगवान को पीले फूल और फल चढ़ायें। पीले रंग की मिठाई का भोग लगायें।
  • फिर बृहस्पति के 108 नाम (Brihaspati Ke 108 Naam) का शुद्ध उच्चारण के साथ एकाग्रचित्त होकर पाठ करें। बृहस्पति देव की आरती करें।
  • तत्पश्चात् बृहस्पति देव का ध्यान करें और उनसे अपनी त्रुटियों के लिये क्षमा माँगने के बाद अपना मनोरथ निवेदन करें।

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Benefits of Reciting Brihaspati Ke 108 Naam
बृहस्पति के 108 नाम का जाप करने के लाभ

बृहस्पति के 108 नाम (Brihaspati Ke 108 Naam) का नियमपूर्वक विधि-विधान से पाठ करने से

  • साधक को देवगुरू बृहस्पति की का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • गुरू ग्रह की शुभता प्राप्त होती है। उसके नकारात्मक प्रभाव नष्ट होते है।
  • विद्यार्थी को विद्या एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है। परीक्षा में सफलता मिलती है।
  • साधक को जीवन में देवगुरू के द्वारा सही मार्गदर्शन और सही दिशा मिलती है। जिससे वो अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करता है।
  • विवाह में आने वाली परेशानियों का निवारण होता है और शीघ्र विवाह के योग बनते है।
  • भाग्य में वृद्धि होती है और कार्य सफलतापूर्वक सिद्ध होते है।
  • धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • मान – प्रतिष्ठा बढ़ती है।

Brihaspati Ke 108 Naam
गुरू बृहस्पतिदेव जी के 108 नाम

अथ श्री बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली

  1. ॐ गुरवे नमः,
  2. ॐ गुणाकराय नमः,
  3. ॐ गोप्त्रे नमः,
  4. ॐ गोचराय नमः,
  5. ॐ गोपतिप्रियाय नमः,
  6. ॐ गुणिने नमः,
  7. ॐ गुणवतां श्रेष्ठाय नमः,
  8. ॐ गुरूणां गुरवे नमः,
  9. ॐ अव्ययाय नमः,
  10. ॐ जेत्रे नमः,
  11. ॐ जयन्ताय नमः,
  12. ॐ जयदाय नमः,
  13. ॐ जीवाय नमः,
  14. ॐ अनन्ताय नमः,
  15. ॐ जयावहाय नमः,
  16. ॐ आङ्गीरसाय नमः,
  17. ॐ अध्वरासक्ताय नमः,
  18. ॐ विविक्ताय नमः,
  19. ॐ अध्वरकृत्पराय नमः,
  20. ॐ वाचस्पतये नमः,
  21. ॐ वशिने नमः,
  22. ॐ वश्याय नमः,
  23. ॐ वरिष्ठाय नमः,
  24. ॐ वागविचक्षणाय नमः,
  25. चित्तशुद्धिकराय नमः,
  26. ॐ श्रीमते नमः,
  27. ॐ चेत्रय नमः,
  28. ॐ चित्रशिखण्डिराजाय नमः,
  29. ॐ बृहद्रथाय नमः,
  30. ॐ बृहद्भानवे नमः,
  31. ॐ बृहस्पतये नमः,
  32. ॐ अभीष्टयाय नमः,
  33. ॐ सुराचार्याय नमः,
  34. ॐ सुराध्यक्षाय नमः,
  35. ॐ सुंरकार्यकृतोद्यमाय नमः,
  36. ॐ गीर्वाणपोषकाय नमः,
  37. ॐ कमण्डलुधराय नमः,
  38. ॐ गीष्पतये नमः,
  39. ॐ गिरिशाय नमः,
  40. ॐ अनघाय नमः,
  41. ॐ धीवराय नमः,
  42. ॐ धिषणाय नमः,
  43. ॐ दिव्यभूषणाय नमः,
  44. ॐ देवपूजिताय नमः,
  45. ॐ धनुर्द्धराय नमः,
  46. ॐ दैत्यहन्त्रे नमः,
  47. ॐ दयासाराय नमः,
  48. ॐ दयाकराय नमः,
  49. ॐ दारिद्यनाशनाय नमः,
  50. ॐ धन्याय नमः,
  51. ॐ दक्षिणायनसंभवाय नमः,
  52. ॐ धनुर्वीराधिपाय नमः,
  53. ॐ देवाय नमः,
  54. ॐ धनुर्बाणधरय नमः,
  55. ॐ हरये नमः,
  56. ॐ आङ्गिः कुलसंभवाय नमः,
  57. ॐ आङ्गिरशाब्दसञजाताय नमः,
  58. ॐ सिन्धुदेशाधिपाय नमः,
  59. ॐ धीमते नमः,
  60. ॐ स्वर्णकायाय नमः,
  61. ॐ चतुर्भुजाय नमः,
  62. ॐ हेमङ्गदाय नमः,
  63. ॐ हेमवपुषे नमः,
  64. ॐ हेमभूषणभूषिताय नमः,
  65. ॐ पुष्यनाथाय नमः,
  66. ॐ सर्ववे दान्तविदुषे नमः,
  67. ॐ पुष्पयरागमणिमण्डनमण्डिताय नमः,
  68. ॐ पुष्पसमानाभाय नमः,
  69. ॐ इन्द्रादिदेवदेवेशाय नमः,
  70. ॐ असमानबलाय नमः,
  71. ॐ सत्वगुणसम्पद्विभावसवे नमः,
  72. ॐ भूसुराभीष्टफलदाय नमः
  73. ॐ भूरियशसे नमः,
  74. ॐ पुण्यविवर्धनाय नमः,
  75. ॐ धर्मरूपाय नमः,
  76. ॐ धनाध्यक्षाय नमः,
  77. ॐ धनदाय नमः,
  78. ॐ धर्मपालनाय नम:,
  79. ॐ सर्वदेवार्थतत्त्वज्ञाय नमः,
  80. ॐ सर्वापद्विनिवारकाय नमः,
  81. ॐ सर्वपापप्रशमनाय नमः,
  82. ॐ स्वमतानुगतामराय नमः
  83. ॐ ऋग्वेदपारगाय नमः,
  84. ॐ ऋक्षराशिमार्गप्रचारवते नमः,
  85. ॐ सदानन्दाय नमः,
  86. ॐ सुराचार्यायनमः,
  87. ॐ सत्यसधाय नमः,
  88. ॐ सर्वागमज्ञायनमः ,
  89. ॐ सर्वज्ञाय नमः,
  90. ॐ ब्रह्मपुत्रय नमः,
  91. ॐ ब्राह्मणेशाय नमः,
  92. ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय नमः,
  93. ॐ समानाधिकनिंर्भुक्ताय नमः,
  94. ॐ सर्वलोक वंशवदाय नमः,
  95. ॐ सुरासुरगन्धर्ववन्दिताय नमः,
  96. ॐ सत्यभाषणाय नमः,
  97. ॐ सुरकार्यहितकराय नमः
  98. ॐ दयावते नमः,
  99. ॐ शुभलक्षणाय नमः,
  100. ॐ लोकत्रयगुरवे नमः ,
  101. ॐ तपोनिधये नमः,
  102. ॐ सर्वगाय नमः,
  103. ॐ सर्वतोविभवे नमः,
  104. ॐ सर्वेशाय नमः,
  105. ॐ सर्वदातुष्टाय नमः,
  106. ॐ सर्वगाय नमः,
  107. ॐ सर्वपूजिताय नमः,
  108. ॐ सत्य संङ्गल्पमानसाय नमः।

। इति श्री बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली ।

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