रोग, भय और शत्रु का नाश करता है बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) का नित्य पाठ

Baglamukhi Chalisa 1; Baglamukhi Chalisa; Mata Baglamukhi; devi Baglamukhi;

बगलामुखी चालीसा का पाठ बहुत ही प्रभावशाली और चमत्कारिक फल प्रदान करता है। माता बगलामुखी को पीताम्बरा भी कहते है। जानियें कौन है माता बगलामुखी ?, क्या महत्व है बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa 1) का पाठ करने का? और कब और कैसे करें इस चालीसा का पाठ…

Who Is Devi Baglamukhi?
कौन है माता बगलामुखी ?

माता बगलामुखी देवी शक्ति के दस महाविद्या स्वरुप है में से एक है। इन्हें ब्रह्मास्त्र और पीताम्बरा के नाम से जाना जाता है। माँ बगलामुखी से पीली आभा निकलती है इसलिये इन्हे पीताम्बरा के नाम से पुकारा जाता है। माता को पीला रंग अधिक प्रिय है इसलिये इनकी पूजा में पीले फूल, पीला वस्त्र, हल्दी और पीली मिठाई जैसी पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग होता है। माता बगलामुखी को स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है।

Significance Of Baglamukhi Chalisa
बगलामुखी चालीसा का महत्व

देवी के बगलामुखी स्वरूप को स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है। पूर्ण श्रद्धा – भक्ति और पवित्रता के साथ माँ की उपासना करने से साधक की समस्त परेशानियों का निवारण हो जाता है। माता बगलामुखी का चालीसा पाठ (Baglamukhi Chalisa 1) करने से

  • कार्य आसानी से सिद्ध होते है।
  • जीवन सुखमय होता है।
  • मनोरथ पूर्ण होता है।
  • शत्रु का नाश होता है।
  • धन – समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • साधक को व्यवसाय और नौकरी हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
  • किसी के द्वारा किये गये तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और अभिचारक प्रयोग का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
  • युद्ध में जीत मिलती है। कानूनी केस एवं अदालती मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  • भूत बाधा – प्रेत बाधा का निवारण होता है।
  • अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
  • आयु में वृद्धि होती है।
  • रोगों का शमन होता है।
  • सभी संकट और दुर्घटनाओं से सुरक्षा होती है।
  • दुख – दरिद्रता का नाश होता है।
  • माँ बगलामुखी की कृपा प्राप्त होती है।

Baglamukhi Chalisa Path Ki Vidhi
बगलामुखी चालीसा का पाठ कैसे करें?

माँ बगलामुखी की पूजा रात्रि में किये जाने का विधान है। इस लिये संध्या:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। माँ बगलामुखी की उपासना के लिये शरीर और मन दोनों स्वच्छ होना आवश्यक है। वैसे तो माता बगलामुखी की उपासना की दीक्षा ली जाती है पर आप बिना दीक्षा के भी बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa 1) का पाठ कर सकते है। दीक्षा उपरांत उपासना करने से उसका फल अतिशीघ्र प्राप्त होता है।

  • सूर्यास्त के बाद रात के समय (9 बजे के आसपास ) पूजास्थान पर पीले वस्त्र धारण करके पीले आसन पर बैठ कर सरसों के तेल का दीपक जलाकर अपने गुरू, भगवान गणेश और भगवान भैरव का ध्यान करके माता बगलामुखी का ध्यान करें।
  • माता को हल्दी, पीले पुष्प, पीले फल और पीली मिठाई का भोग अर्पित करें।
  • बगलामुखी चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ करने के बाद रूद्राक्ष की माला पर 108 बार इस मंत्र का जाप करें। मंत्र – “हौं जूं स: “
  • इसके पश्चात माता बगलामुखी की आरती करें फिर उनसे अपनी गलतियों के लिये क्षमा माँगेंं और अपनी मनोकामना कहें।

Baglamukhi Chalisa Lyrics
बगलामुखी चालीसा

।। श्री गणेशाय नम: ।।

।। अथ श्री बगलामुखी चालीसा ।।

नमो महाविधा बरद , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।।

नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी ।।
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी ।।

अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ।
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।।

स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला ।।

भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ।
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा ।।

तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ।
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी ।।

सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे ।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन ।।

दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता ।
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता ।।

मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी ।
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम जनहित कल्यानी ।।

अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुद्धि नाशकर कीलक तन को ।
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।।

चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे ।
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे ।।

मूठ आदि अभिचारण संकट , राजभीति आपत्ति सन्निकट ।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे ।।

सुमरित राजद्वार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे ।
नाग सर्प बृच्श्रिकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।।

सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी ।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक ।।

तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें ।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता ।।

यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ।
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी ।।

जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई ।
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो ।।

पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी ।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया ।।

जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा ।
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता ।।

सौम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ।
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ।।

नमो महाविधा आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता ।।

रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल ।
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल ।।