Mauni Amavasya 2024 – जानियें मौनी अमावस्या कब हैं? और मौनी अमावस्या पर पूजा कैसे करें?

Mauni Amavasya

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर गंगा स्नान और मौन रहने से प्राप्त होता है हजारों वर्षो की तपस्या के समान पुण्य। मौनी अमावस्या कब हैं? मौनी अमावस्या का क्या महत्व हैं? मौनी अमावस्या पर पूजा कैसे करें? पढ़िये मौनी अमावस्या से जुड़ी सभी विशेष बातें।

Mauni Amavasya
मौनी अमावस्या

धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के नाम से पुकारा जाता हैं। मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहते हैं। मौनी अमावस्या को तीर्थ स्थानों पर स्नान करने, दान-पुण्य करने और मौन व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया हैं। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा किये जाने का विधान हैं। माघ माह की अमावस्या के दिन ही स्वयंभू मनु का भी जन्म हुआ था। मनु को धर्म ग्रंथों में प्रथम पुरूष माना गया हैं। मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर मौन व्रत का पालन करने से साधक को मुनि पद (अर्थात वर्षों की तपस्या के बाद प्राप्त होने वाले पुण्य से प्राप्त होने वाली पदवी) की प्राप्ति होती हैं। मौन व्रत रखने से आत्मबल में बढोत्तरी होती हैं।

Mauni Amavasya Kab Hai?
मौनी अमावस्या कब हैं?

इस वर्ष मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का व्रत एवं पूजन 9 फरवरी, 2024 शुक्रवार के दिन किया जायेगा।

Significance Of Mauni Amavasya
मौनी अमावस्या का महत्व

हिंदु धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष महत्व दिया जाता हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन संगम व गंगा तट पर सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिये इस दिन संगम एवं गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व हैं। इसके अतिरिक्त मौनी अमावस्या के दिन तीर्थ स्नान, दान, जप-तप, पितरों का तर्पण करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती हैं।

वर्ष में आने वाली सभी अमावस्याओं का अपना महत्व है, इसमें मौनी अमावस्या को इसलिये विशेष महत्व दिया जाता है क्योकि इस दिन मौन व्रत का पालन करने से जातक को मुनि पद की प्राप्ति होती हैं। इस दिन विधि-विधान से जप-तप करने और मौन व्रत का पालन करने से जातक को हजारों वर्षो के तप के समान पुण्य अर्जित होता हैं।

  • मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर मौन व्रत का पालन करने से साधक के आत्मबल में वृद्धि होती हैं।
  • मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता हैं।
  • इस दिन पितरों के नाम से तर्पण करने व पिण्डदान करने से उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। घर-परिवार में शान्ति रहती है, धन-समृद्धि में वृद्धि होती है और वंश में वृद्धि होती हैं।
  • इस दिन गरीबों को दान देने से धन-धान्य में वृद्धि होती हैं।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि में बढोत्तरी होती हैं।
  • पीपल के वृक्ष की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं।
  • इस दिन पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाकर, दीपल जलाने और मिठाई का भोग लगाने से पितृ-दोष का निवारण होता हैं।
  • विधि-विधान के साथ मौनी अमावस्या की पूजा करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

Mauni Amavasya Par Kya Kare?
मौनी अमावस्या पर क्या करें?

हिन्दु मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के शुभ दिन पर गंगा नदी के तट एवं संगम पर सभी देवी-देवता निवास करते हैं। इसलिये इस दिन गंगा स्नान करना बहुत शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता हैं।

  • मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन प्रात:काल जल्दी गंगा नदी या तीर्थ स्थान या पवित्र नदी या पवित्र सरोवर या कुंड में स्नान करें। यदि ऐसा सम्भव ना हो तो गंगाजल पानी में डाल कर स्नान करें। स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • फिर सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्ध्य दें।
  • धूप-दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हे फल-फूल व तिल चढ़ाये और भोग अर्पित करें।
  • इस दिन मौन व्रत धारण करें। गुड व तिल से बना कुछ मीठा खाकर मौन व्रत समाप्त करें और मौन व्रत खुलवाने वाले को दक्षिणा दें।

मौनी-मौनी मौन खोल, राधे-कृष्णा राधे-कृष्णा बोल॥

  • इस दिन भूखों को भोजन करायें।
  • गरीबों को अन्न-वस्त्र आदि का दान करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन करायें।
  • अपने पितरों की शान्ति के लिय उनके निमित्त तर्पण व पिंडदान करें।
  • मौनी अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को अन्न, गुड़, तिल, आंवला, घी, वस्त्र, कंबल, पलंग, आदि का दान करें। गायों की सेवा करें या उनके निमित्त गौशाला में दान करें।
  • इस दिन यदि कोई गाय, भूमि या स्वर्ण का दान करता है, तो उसे इसका कई गुणा पुण्य प्राप्त होता हैं।
  • इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिये। पीपल के वृक्ष को जल से सींचना चाहिये, दीपक जलाकर, मिठाई अर्पित करनी चाहिये। धार्मिक मान्यता के अनुसार पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा जी, विष्णु जी और भगवान शिव का वास होता है, इसलिये पीपल की पूजा करने से जातक को त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती हैं।
  • इस दिन परनिंदा से बचना चाहिये।

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