It is collection of stotra’s of various hindu God & Goddess. Collection of sampoorn stotra.
स्तोत्र संकलन
सम्पूर्ण स्तोत्र का संग्रह

देवी महात्म्य के तृतीय अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 3) में देवी के द्वारा महिषासुर और उसके सेनापतियों के वध का वर्णन किया गया है। ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचित दुर्गा सप्तशती…

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देवी महात्म्य के द्वितीय अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 2) में देवताओं के तेज से देवी के प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना के वध का वर्णन किया गया है। ऋषि मार्कण्डेय…

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दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय (Devi Mahatmyam Chapter 1) में मधु - कैटभ वध के प्रसंग का वर्णन है। राजा सुरथ और समाधि को मेधा ऋषि ने भगवती की महिमा…

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सप्तशती न्यास (Saptashati Nyasah) नवार्ण विधि के बाद किया जाता है। यह न्यास दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय से पूर्व किया जाने वाला अन्तिम अनुष्ठान है। इस न्यास के अनुष्ठान…

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वनों का महत्व बताया गया है ऋग्वेद के इस अरण्य सूक्तम् (Aranya Suktam) में। यह सूक्तम वन देवता को समर्पित है, इसमें वनों की सुन्दरता और मनुष्यों के जीवन में…

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चण्डी पाठ (दुर्गा सप्तशती) के मूल पाठ से पहले किये जाने वाले छ: स्तोत्रों के पश्चात् नवार्ण विधि का पाठ किया जाता है। नवार्ण विधि (Navarna Vidhi) में विनियोग, न्यास…

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देवी अथर्वशीर्षम् (Devi Atharvashirsh) का पाठ पापों का नाश करने वाला और मुश्किलों से पार लगाने वाला है। चण्डी पाठ (दुर्गा सप्तशती) के मूल पाठ से पहले किये जाने वाले…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) पाठ का क्रम इस प्रकार से है पहले देवी कवच (Devi Kavach), फिर अर्गला स्तोत्रम् (Argala Stotram), उसके बाद कीलकम् स्तोत्र (keelakam stotram), फिर वेदोक्तम् रात्रि…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) पाठ के क्रम में सर्वप्रथम देवी कवच (Devi Kavach), फिर अर्गला स्तोत्रम् (Argala Stotram), उसके बाद कीलकम् स्तोत्र (keelakam stotram) का पाठ किया जाता है। कीलकम्…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के पाठ में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्रम् और उसके पश्चात् कीलकम् (Keelakam Stotram) का पाठ किया जाता है। कीलकम् के पश्चात वेदोक्तम् रात्रि सूक्तम्…

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दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) को देवी महात्म्य और चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है। इसकी रचना ऋषि मार्कंडेय द्वारा की…

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हिन्दू मान्यता के अनुसार वाराही देवी सप्त मातृकाओं में से एक हैं। इन्हे देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। जानियें कैसा है वाराही देवी का स्वरूप? साथ ही पढ़ियें…

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