पढ़ियें दुर्गा सप्तशती कीलकम् स्तोत्रम् (Keelakam Stotram) और जानियें इसके लाभ

Devi Durga; Goddess Durga; Durga saptashati; keelakam stotram; keelakam;

दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के पाठ में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्रम् और उसके पश्चात् कीलकम् (Keelakam Stotram) का पाठ किया जाता है। कीलकम् के पश्चात वेदोक्तम् रात्रि सूक्तम् का पाठ किया जाता है। दुर्गा सप्तशती के पाठ में कीलकम् एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तोत्रम् है। आगे पढ़ियेंं कीलकम् स्तोत्र संस्कृत में…

Keelakam Stotram Benefits
कीलकम् स्तोत्रम् के लाभ

दुर्गा सप्तशती के पाठ में कीलकम् स्तोत्रम् को कीलक की संज्ञा दी गई है। दुर्गा महात्मय में कीलकम् का बहुत महत्व है। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को

  • धन की प्राप्ति होती है।
  • कार्य आसानी से पूर्ण हो जाता है।
  • सौभाग्य जागृत होता है।
  • भाग्योदय होता है।
  • स्वास्थ्य उत्तम होता है।
  • शत्रु का नाश होता है।
  • मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Keelakam Lyrics
कीलकम् स्तोत्रम्

॥ अथ कीलकम् ॥

ॐ अस्य श्रीकीलकमन्त्रस्य शिव ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः,
श्रीमहासरस्वती देवता,श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थं सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः।

ॐ नमश्‍चण्डिकायै॥

मार्कण्डेय उवाच

ॐ विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे।
श्रेयःप्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमार्धधारिणे॥1॥

सर्वमेतद्विजानीयान्मन्त्राणामभिकीलकम्।
सोऽपि क्षेममवाप्नोति सततं जाप्यतत्परः॥2॥

सिद्ध्यन्त्युच्चाटनादीनि वस्तूनि सकलान्यपि।
एतेन स्तुवतां देवी स्तोत्रमात्रेण सिद्ध्यति॥3॥

न मन्त्रो नौषधं तत्र न किञ्चिदपि विद्यते।
विना जाप्येन सिद्ध्येत सर्वमुच्चाटनादिकम्॥4॥

समग्राण्यपि सिद्ध्यन्ति लोकशङ्कामिमां हरः।
कृत्वा निमन्त्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम्॥5॥

स्तोत्रं वै चण्डिकायास्तु तच्च गुप्तं चकार सः।
समाप्तिर्न च पुण्यस्य तां यथावन्नियन्त्रणाम्॥6॥

सोऽपि क्षेममवाप्नोति सर्वमेवं न संशयः।
कृष्णायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा समाहितः॥7॥

ददाति प्रतिगृह्णाति नान्यथैषा प्रसीदति।
इत्थंरुपेण कीलेन महादेवेन कीलितम्॥8॥

यो निष्कीलां विधायैनां नित्यं जपति संस्फुटम्।
स सिद्धः स गणः सोऽपि गन्धर्वो जायते नरः॥9॥

न चैवाप्यटतस्तस्य भयं क्वापीह जायते।
नापमृत्युवशं याति मृतो मोक्षमवाप्नुयात्॥10॥

ज्ञात्वा प्रारभ्य कुर्वीत न कुर्वाणो विनश्यति।
ततो ज्ञात्वैव सम्पन्नमिदं प्रारभ्यते बुधैः॥11॥

सौभाग्यादि च यत्किञ्चिद् दृश्यते ललनाजने।
तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जाप्यमिदं शुभम्॥12॥

शनैस्तु जप्यमानेऽस्मिन् स्तोत्रे सम्पत्तिरुच्चकैः।
भवत्येव समग्रापि ततः प्रारभ्यमेव तत्॥13॥

ऐश्‍वर्यं यत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः।
शत्रुहानिःपरो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः॥14॥

॥ इति देव्याः कीलकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

नोट : कीलकम् के पश्चात् वेदोक्तम् रात्रि सूक्तम् और उसके बाद तन्त्रोक्तं रात्रि सूक्तम् का पाठ किया जाता है।