पितृ दोष (Pitra Dosh) क्या होता है? पितृ दोष कैसे बनता है कुंडली में? इस दोष से मुक्ति पाने के लिए क्या करना चाहिये? पितृ दोष (Pitru Dosha) के कारण होने वाली समस्यायें? जानियें पितृ दोष से जुड़े अपने हर सवाल का जवाब…
पितृ शांति के लिये करें पितृस्त्रोत (Pitra Stotra) का पाठ …
सनातन धर्म में पितरों का विशेष महत्व है। पितृ की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान आदि किये जाते है। हर माह की अमावस्या तिथि पितृ पूजा (Pitra Puja) के लिये समर्पित है। इसके अतिरिक्त वर्ष में पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को ही समर्पित होते हैं। पितृ पक्ष में पितरों की शांति (Pitra Shanti) और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, दान-पुण्य आदि किया जाता है।
What is Pitra Dosh?
पितृ दोष क्या होता है?
शास्त्रों के अनुसार जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती और विभिन्न 84 लाख योनियों में अतृप्त होकर भटकती रहती है तो यह आत्माएं अपनी मुक्ति के लिये पृथ्वी लोक में रहने वाले अपने वंश के लोगों को कष्ट के रूप में संकेत देती हैं कि वो उनकी शांति और मुक्ति के लिये कुछ उपाय करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में ग्रह नक्षत्रों के विशेष संयोग को पितृदोष (Pitra Dosh) कहा गया है।
ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष (Pitra Dosh) को अत्यंत ही प्रभावी और पीड़ादायक बताया गया है। जिस किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष होता है उस जातक को जीवन में बहुतसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसके जीवन में नित नई समस्याएं उत्पन्न होती रहती है। एक ओर जहाँ पितृ प्रसन्न होते है तो उनके वंश में उत्पन्न जातक को जीवन में सुख-सुविधाएं और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। वहीं दूसरी ओर यदि किसी व्यक्ति के पितृ अतृप्त हो तो उस कुल में जन्मे जातक को जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है।
How is Pitra Dosh formed in the horoscope?
कुंडली में कैसे होता है पितृ दोष का निर्माण?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुण्ड़ली में कुछ ग्रह और नक्षत्रों के विशेष सन्योग से पितृ दोष (Pitra Dosh) का निर्माण होता है। इनमें से कुछ सन्योग इस प्रकार है –
- जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य, मंगल और शनि विराजमान होते हैं, तो इस सन्योग से पितृदोष (Pitradosh) का निर्माण हो जाता है।
- जन्म कुंडली के अष्टम भाव में गुरु और राहु यदि एक साथ बैठे हो तो भी पितृदोष का निर्माण होता है।
- जन्म कुंडली में जब राहु केंद्र में या त्रिकोण में विराजमान हो तो पितृ दोष (Pitra Dosh) का निर्माण होता है।
- जब सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होता है, तो भी जातक की जन्मकुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है।
- अन्य मान्यताओं के अनुसार जब कोई मनुष्य अपने से बड़ों का अनादर करता है, उनका तिरस्कार करता है या फिर उनकी हत्या कर देता है, तो ऐसे जातक को पितृ दोष लगता है। और इस दोष के प्रभाव से उसका जीवन नरक बन जाता है।
नोट: आपकी जन्मकुंडली में पितृ दोष (Pitra Dosh) है या नही इसके विषय में सटीक जानकारी के लिये अपनी जन्मकुंडली को किसी अनुभवी ज्योतिष को दिखायें।
Symptoms of Pitru Dosha
पितृदोष के लक्षण
जिस मनुष्य की जन्मकुंडली में पितृदोष (Pitru Dosha) होता है उसे अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परिवार में अनेक छोटे-बड़े संकट उत्पन्न होते हैं। यह एक प्रकार के संकेत होते है कि जातक पितृ दोष से पीडित है और उसको पितृ दोष की शांति (Pitra Dosh Nivaran) के लिये कुछ उपाय करने चहिये। जिस जातक की जन्म कुण्ड़ली में पितृ दोष होता है –
- उसे विवाह संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे उसके विवाह में देरी होती है, विवाह संबंध होत होते टूट जाते है, विवाह के उपरांत वैवाहिक जीवन में तनाव रहता है और तलाक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- महिलाओं को संतान संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है जैसे गर्भधारण में परेशानियाँ आती हैं, संतान को स्वास्थ्य संबंधित समस्यायें होती है और उनकी अकाल मृत्यु भी हो सकती है।
- आर्थिक स्थिति भी खराब होती जाती है। धन का ज्यादातर व्यय निरर्थक कार्यो में होता है। कर्ज का भार बढ़ता है। धन की हानि होती है।
- नौकरी और कारोबार में समस्यायें आती है। रोजगार में बाधा आती है। योग्यता के अनुरूप नौकरी नहीं मिल पाती और व्यापार में घाटे का सामना करना पड़ता है।
- घर-परिवार में दुर्घटना एवं अकाल मृत्यु जैसी विपत्तियाँ हो सकती है। घर-परिवार के वृद्धजनों का स्वास्थ्य सदैव खराब रहता है। या कोई सदस्य लंबी बीमारी से पीड़ित रहता है।
- ऐसे जातक बुरी संगत और व्यसनों में भी लित्प हो सकते है।
- मानसिक तनाव का सामना करना पडता है। भाग्य साथ नही देता, हर काम में बाधायें आती है।
- वंश की वृद्धि रूक जाती है।
- घर-परिवार में कलह का वातावरण रहता है। परिवारजनों की विचारधाराओं में असमानतायें बनी रहती हैं, जिसके कारण टकराव उत्पन्न होते हैं। घर की शान्ति नष्ट हो जाती है।
- समाज में अपमान का सामना करना पड़ता है।
Pitra Dosh Remedies
पितृ-शान्ति के उपाय
जिस जातक की जन्म कुण्ड़ली में पितृ दोष (Pitra Dosh) हो और वो उपरोक्त कष्टों से परेशान हो तो उसे इन उपायों का पालन करना चाहिये इनसे निश्चित ही उसे उत्तम परिणाम प्राप्त होंगे।
- नियम पूर्वक हर पूर्णिमा को घर में श्रीसत्यनारायण भगवान का पूजन एवं कथा करें। यथाशक्ति भोग अर्पित करें और आरती करें। इसके साथ हवन करें और उसमें कम से कम 108 आहुतियाँ अवश्य देंवें। पूजन के उपरांत योग्य ब्राह्मण को भोजन करायें और उसे अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दें।
- गुरुवार के दिन सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को जलेबी अथवा इमरती खिलायें तथा दूध पिलायें।
- काक ग्रास निकाले और जहाँ कौवें हो वहाँ वो भोजन उनको अर्पित करें। इससे पित्तर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।
- नित्य प्रतिदिन नियम से प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पूजास्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष घी का दीप प्रज्ज्वलित करके गीता के एक अध्याय का पाठ करें। पाठ पूर्ण करके किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को चाहें यथाशक्ति दान अवश्य दें।
- हर रात्रि में जब शयन से पूर्व अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुये इस मंत्र को 11 बार बोलें और फिर उसके बाद सोयें।
मंत्र: ॐ आर्यमायैः नमः
- नित्य प्रतिदिन घर में लगी अपने पूर्वजों की तस्वीर के समक्ष घी का दीपक जलायें और उनसे परिवार के समस्तजनों के कल्याण की कामना करें। यदि आपके पास पितरों की तस्वीरें नहीं हों तो घर में किसी भी एक पवित्र स्थान को निश्चित करके स्वच्छ करके गाय के गोबर से लीप दें या गंगाजल से स्थान को शुद्ध करके वहाँ पर प्रतिदिन पितरों के नाम से घी का दीपक जलाये।
- पितृपक्ष (Pitra Paksha) अर्थात श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksh) में नियम से विधि अनुसार अपने पितरों का श्राद्ध करें। श्राद्ध के दिन पितरों को अगियार (अग्नि-आहार) करें फिर किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करायें और उसे यथाशक्ति दक्षिणा प्रदान करें। ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही परिवारजन भोजन करें।
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