Puja Vidhi : जानियें कैसे करें प्रभु का पूजन व ध्यान ? पढ़ें षोडशोपचार पूजा विधि

Puja Vidhi; Shodashopachara Puja Vidhi; Correct Order And Method Of Worshiping God;

प्रभु की भक्ति प्रभु को पाने का मार्ग है। सनातन धर्म में ईश्वर पूजा का बहुत महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पूजा की विशेष विधि (Puja Vidhi) होती है और पूजा शुरू करने का एक सही क्रम होता है। बहुत से लोग इससे अंजान होने के कारण गलतियाँ करते है। लोगों के मन में पूजा विधि (Puja Vidhi) से जुड़े कई प्रश्न होते है। षोडशोपचार पूजा विधि (Shodashopachara Puja Vidhi) से जुड़े प्रश्न जैसे पूजा करने का सही तरीका, पूजा शुरू करने सही क्रम, पूजा के समय क्या करें? कौन से मंत्र बोले? इत्यादि के विषय में जानने के लिये पढ़ियें…

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Shodashopachara Puja Vidhi
षोडशोपचार पूजा विधि

प्रभु भक्ति (Prabhu Bhakti) के लिये श्रद्धा और विश्वास सबसे आवश्यक होता है। इसके साथ ही धर्म शास्त्रों में प्रभु भक्ति में पूजा – अर्चना (Puja-Archana) का विशेष महत्व बताया गया है। आधुनिक समय में बहुत से लोग पूजा करने का सही तरीका अर्थात पूजा विधि (Puja Vidhi) नही जानते और जाने-अनजाने में कई प्रकार की गलतियां कर देते हैं। पूजा पद्दति (Puja Vidhi) के नियमों का पालन ना करके गलत विधि से पूजा करने से साधक को उसका फल नहीं मिलता बल्कि इसका दोष भी लगता और यह दुर्भाग्य का कारण बन जाता है।

व्रत-त्योहार (Vrat-Tyohar) या गृह-शांति या किसी भी शुभ कार्य से पहले हम ईश्वर का आशीर्वाद और उनकी कृपा पाने के लिये पूजा-पाठ (Puja Path) करते है। हम यह मानते है की ऐसा करने से हम पर उनकी कृपा बनी रहती है और हमारे कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण होते हैं। सही विधि से ईश्वर की पूजा (Bhagwan ki Puja) करने से मन को शांति मिलती है, घर-परिवार में शांति का वातावरण बना रहता है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता ऊर्जा आती है। शास्त्रों में वर्णित षोड़श पूजा विधि (Puja Vidhi) और नियमों के अनुसार पूजा करने से श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।

Correct Order And Method Of Worshipping God (Puja Vidhi)
भगवान की पूजा करने का सही क्रम और विधि

  1. प्रथम – अपने हाथ में फूल लेकर प्रभु का ध्यान करें। पुष्प के माध्यम से भक्त अपने पवित्र मन के भाव अर्पण करते हैं। ईश्वर का ध्यान करने के उपरांत हाथ में फूल लेकर आवाहन करें और फूल का आसन प्रदान करें।
  2. द्वितीय – तत्पश्चात् वैदिक परम्परा के अनुसार नीचे लिखें मंत्र का उच्चारण करते हुये तीन बार जल छोड़ें –

मंत्र: पाद्योः पाद्यं, हस्तयोऽर्घ्यं मुखे आचमनीयम्, सवाङ्गे स्नानं समर्पयामि।

(अ) प्रथम – पाद प्रक्षालन करें।
(ब) द्वितीय – भगवान का हस्तप्रक्षालन करें।
(स) तृतीय – प्रभु के दिव्य स्वरूप और सुन्दर मुखारविन्द का ध्यान करते हुये आचमन करायें।

  1. तृतीय – भगवान को पच्चामृत एवं शुद्धजल से स्नान करायें।
  2. चतुर्थ – भगवान को तैल स्वरूप इत्र का छिड़काव करें।
  3. पञ्चम् – नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करते हुये प्रभु को वस्त्र व उपवस्त्र अर्पण करें।

मंत्र: वस्त्रोऽपवस्त्रान्ते यज्ञोपवीतम्।

  1. षष्ठम् – भगवान को सुन्दर केशर कपूर युक्त चन्दन अर्पण करें और चन्दन के ऊपर अक्षत लगायें।
  2. सप्तम् – सुगन्धित फूल माला एवं तुलसी- विल्वपत्रादि से अलंकृत करें।
  3. अष्टम् – नानापरिमल द्रव्य अबीर, गुलाल, अभ्रक एवं सिन्दूराभरण और इत्र फब्बारों से सुशोभित करें।
  4. नवम् – प्रभु को धूप एवं प्रत्यक्ष दीप प्रदर्शित कर हस्त प्रक्षालन करें। फिर नैवेद्य अर्पण करें और हाथ जोड़कर भगवान से विनती करें। इस मंत्र का उच्चारण करें –

त्वदीयं वस्तु गोविन्द, तुभ्यमेव समर्पयेत् ।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।

  1. दशम् – नैवेद्य अर्पण करने के बाद पांच बार जल अर्पण करें और यह बोलें : “प्राणाय स्वाहा, अपानाय स्वाहा, व्यानाय स्वाहा ।“
  2. एकादश – भगवान को ऋतुफल और अखण्ड फल अर्पण करें।
  3. द्वादश – ऐलङ्गादि ताम्बूल पूंगीफल भगवान को अर्पित करें। मंत्र: प्राणाय स्वाहा, अपानाय स्वाहा, व्यानाय स्वाहा।
  4. त्रयोदश – प्रभु को अपने दोनों हाथों की अनामिका अंगुली से श्रीखण्ड चन्दन अर्पण करें।
  5. चतुर्दश – भगवान को द्रव्य दक्षिणा अर्पण करें।

दक्षिणा अर्पण करने का मंत्र: कृतयाः पूजयाः षोड्गुल्याणार्थे द्रव्य दक्षिणां समर्पयामि ।

  1. पञ्चदश् – भगवान की आरती करें।
  2. षोडष – आरती के बाद हाथ में पुष्प लेकर हाथ को अंजली सदृश कर लें और भगवान से प्रार्थना करें-

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥

प्रार्थना कर भगवान के श्री चरणों पुष्प अर्पण कर दें और भगवान को साष्टाङ्ग प्रणाम करें-

पाहि नाथ कहि पाहि गुसाई। भूतल परेउ लकुट की नाई ।

नोट: उपरोक्त षोडशोपचार पूजा विधि (Shodashopachara Puja Vidhi) में भगवान विष्णु को चढ़ने वाली वस्तुओं के साथ पूजा विधि (Puja Vidhi) बताई गयी है। हर देवता को कुछ वस्तुयें विशेष प्रिय होती है हो उन्हे निवेदन की जाती है और कुछ वस्तुयें विषिद्ध होती है जो उनकी पूजा में प्रयोग नही की जाती। इसलिये इस बात का ध्यान रखें।

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