Dadi Manka 108 – हर मनोकामना होगी पूरी पढ़ियें श्री राणीसती दादी जी मंगल मनका 108

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Dadi Chalisa: अपने हर कष्ट से मुक्ति पाने के लिये पढ़ियें श्री दादी चालीसा…

Benefits Of Reading Rani Sati Dadi Manka 108
राणीसती दादी मनका 108 के लाभ

श्री दादी मनका 108 (Dadi Manka 108) रानी सती की स्तुति की गई है। दादी मनका 108 (Dadi Manka 108) में 108 पदों में उनकी महिमा का गुणगान किया गया है। दादी मनका 108 (Dadi Manka 108) का नित्य पाठ करने से साधक परेशानियों और दुखों के बंधन से छूट जाता है। उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। रानी सती के आशीर्वाद से उनके जीवन में मंगल ही मंगल होता है।

Rani Sati Dadi Mangal Manka 108 Lyrics
राणीसती दादी मंगल मनका 108

|| श्री राणीसती दादी जी मंगल मनका 108 ||

जय अम्बे जय दुर्गे मात, जय नारायणी जय तनधन दास ।
जय दादी जय शक्ति नाम, पतित पावन दादी नाम ।।

।। मनका ।।

दीन हीन का दुःख हरने को, जन गण में मंगल करने को।
शक्ति प्रकटी झुंझनू धाम, पतित पावन दादी नाम ।। 1।।
यह शक्ति है माँ जगदम्बा, यही भवानी दुर्गे अम्बा ।
नारायणी है इसका नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 2 ।।
पीढ़ी दर पीढ़ी का रिश्ता, तब ही दादी नाम इसका ।
कुलदेवी को करो प्रणाम, पतित पावन दादी नाम ।। 3 ।।
है अमोध दादी की शक्ति, सदियों से करते सब भक्ति ।
पूजते हैं त्रिशूल निशान, पतित पावन दादी नाम ।। 4 ।।
माँ शक्ति का अलख जगाऊँ, दादी माँ की बात बताऊँ ।
है स्वयं शक्ति दुर्गा महान्, पतित पावन दादी नाम ।। 5 ।।
जानत हैं सबही नर नारी, युद्ध हुआ महाभारत भारी ।
था वो धर्म कर्म संग्राम, पतित पावन दादी नाम ।। 6 ।।
कौरव पाण्डव में हुई लड़ाई, लीला प्रभु ने अजब दिखाई।
बने सारथी स्वयं भगवान्, पतित पावन दादी नाम।। 7।।
गीता में उपदेश दिया है, जग को यह संदेश दिया है।
कर्म करो तज फल का ध्यान, पतित पावन दादी नाम ।। 8 ।।
जब जब धरती पर धर्म लुटेगा, और पाप का कर्म बढ़ेगा।
अवतारेंगे श्री भगवान्, पतित पावन दादी नाम ।। 19 ।।
अभिमन्यु अर्जुन का लाल, मण्डराया जब उसका काल ।
कूदा रण में वह बलवान, पतित पावन दादी नाम ।। 110 ।।
चक्रव्यूह की लड़ी लड़ाई, वीर गति अभिमन्यु पाई ।
गया वीर वह तो सुरधाम, पतित पावन दादी नाम ।। 11।।
उत्तरा, अभिमन्यु की नारी, पति धर्म का सत था भारी ।
उस देवी को करो प्रणाम, पतित पावन दादी नाम ।।12।।
देख पति परलोक सिधारे, उत्तरा ने यों वचन उचारे ।
जीवन हुआ आज निष्प्राण, पतित पावन दादी नाम ।। 13 ।।
जाऊँ मैं भी संग पति के खूब चढ़ा यह रंग मती पे।
सत से मैं भी करूँ प्रयाण, पतित पावन दादी नाम ।।14।।
देख नारी का हठ अति भारी, बोले प्रभु से सब नर नारी ।
करो समस्या का समाधान, पतित पावन दादी नाम ।।15।।
प्रभु ने सबको याँ समझाया, छोड़ो सबही मोह और माया ।
होगा वही जो विधी विधान, पतित पावन दादी नाम ।।16।।
बोले फिर उत्तरा से जाई, ऐसी घड़ी अभी नहीं आई।
कर तू धर्म कर्म का ध्यान, पतित पावन दादी नाम ।।17 ।।
तू है गर्भवती एक नारी, फिर कैसे यह बात विचारी ।
सोच ले क्या होगा अन्जाम, पतित पावन दादी नाम ।। 18।।
अब तजे जीवन पाप लगेगा, कोख से तेरे निशां मिटेगा।
नहीं है इसमें तेरी शान, पतित पावन दादी नाम ।। 19 ।।
कोख से जो बालक जन्मेगा, नाम परीक्षित उसका होगा।
बनेगा राजा बड़ा महान, पतित पावन दादी नाम ।। 120।।
बजेगी जग में उसकी भेरी, सुन ले बात आज तू मेरी।
होगा तेरा अमर निशान, पतित पावन दादी नाम ।।21।।
बात सुनी उत्तरा चकराई, बोली प्रभु से मन सकुचाई ।
तेरी लीला तेरे नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 22 ।।
बजेगी जग में उसकी भेरी, सुन ले बात आज तू मेरी ।
सुनलो अब तुम अमर ज्ञान, पतित पावन दादी नाम ।। 23 ।।
निराकार ने दे अकार, किया सृष्टि का है श्रृंगार ।
स्वयं रहता है अन्तर्ध्यान, पतित पावन दादी नाम ।। 24 ।।
जो आया है वह जायेगा, नहीं यहाँ पे रूक पायेगा ।
जड़ चेतन सब एक समान, पतित पावन दादी नाम ।।25।।
सत की शक्ति तन मन आई, तब उसने यह व्यथा बताई।
ईच्छा होती बडी बलवान, पतित पावन दादी नाम ।। 126 ।।
जग को सत्य का भान कराऊँ, सत शक्ति पहचान बताऊँ ।
देवो अभिलाषा पर ध्यान, पतित पावन दादी नाम ।। 27 ।।
सत्य ही है सत का आधार, बोले जग के कर्णाधार ।
इस से ही सब का कल्याण, पतित पावन दादी नाम ।। 28 ।।
जो अभिलाषा रही अधूरी, होगी वह कलियुग में पूरी ।
देता तुझे आज वरदान, पतित पावन दादी नाम ।। 29 ।।
अभिमन्यु तनधनदास बनेगा, वैश्य के घर में वह जन्मेगा ।
होगा नारायणी तेरा नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 30 ।।
युद्ध वहाँ पर होगा भारी, जब तू सत दिखलाना नारी ।
कर शत्रु का काम तमाम, पतित पावन दादी नाम ।। 31 ।।
शक्ति रूप वहाँ दिखलाना, जग के सारे कष्ट मिटाना ।
पूजेंगे सब सुबह शाम, पतित पावन दादी नाम ।। 32 ।।
सम्वत् तेरह सौ अड़तीस, प्रगटी शक्ति कलियुग बीच ।
पूरण करने सत अभियान, पतित पावन दादी नाम ।। 33 ।।
कार्तिक शुक्ला अष्टमी बीती, आई नवमी की शुभ तिथि ।
मंगलवार जनमी गुण खान, पतित पावन दादी नाम ।। 34।।
महम डोकवा जिला हिसार, अग्रवाल घर लिया अवतार ।
बतलाने सत की पहचान, पतित पावन दादी नाम ।। 35।।
सेठ गुरसामल था बड़ा नामी, जनमी उसके घर नारायणी ।
माता का सुलोचना नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 36 ।।
बचपन से ही गजब वो ढ़ाए, होनहार के रंग दिखलाए।
जल्दी पढ़ लिये वेद पुराण, पतित पावन दादी नाम ।। 37 ।।
राधा रूकमण कृष्ण मुरारी, त्रिमूर्ति संग बात विचारी ।
आज चलें लेने इम्तिहान, पतित पावन दादी नाम ।। 38 ।।
झट साधू का वेश बनाया, द्वारे आकर अलख जगाया ।
बोले जय जय सियाराम, पतित पावन दादी नाम ।। 39 ।।
माता ने की है अगवाई, चरणों में गिर धोक लगाई ।
स्वीकारों मेरा प्रणाम, पतित पावन दादी नाम ।। 40 ।।
बड़े भाग्य जो आए सांई, बोली सेठानी मुस्काई ।
देखो बेटी के दिनमान, पतित पावन दादी नाम ।। 41 ।।
बेटी बड़े भाग्य जनमी है, बस इसमें तो एक कमी है।
सूनी होगी जल्दी मांग, पतित पावन दादी नाम ।। 42 ।।
सुनकर माँ को मुर्छा आई, बेटी ने जब नैन मिलाई ।
झट से गई उन्हें पहचान, पतित पावन दादी नाम ।। 43 ।।
करती हूँ प्रणाम मैं सबको, असली रूप दिखाओ मुझको ।
विनती सुनलो दया निधान, पतित पावन दादी नाम ।। 44 ।।
सबने अपना रूप दिखाया, नारायणी ने आशीष पाया।
हो गये फिर वो अन्तर्ध्यान, पतित पावन दादी नाम ।। 45 ।।
अभिमन्यु जो वीर कहाये, कलियुग में तनधन बन आए।
जनमें गाँव हिसार है नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 46 ।।
बाँसल गोत्र में जन्म लिया है, और शक्ति का वरण किया है।
धन्य किया है कुल का नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 47 ।।
माता शारदा बहिना श्यामा, अनुज हैं उनके कमलाराम ।
पिता श्री हैं जालीराम, पतित पावन दादी नाम ।। 48 ।।
मात पिता की सेवा करते, विपदा से वे कभी न डरते।
थे वे वीर धीर गुणवान, पतित पावन दादी नाम ।। 49 ।।
था नवाब हिसार का झडचन्द, आई है जब उसको अड़चन ।
सोचे किसे बनाऊँ दिवान, पतित पावन दादी नाम ।। 50 ।।
मन्त्री गण ने उसे सुझाया जालीरामजी का नाम बताया।
देवो उनको यह सम्मान, पतित पावन दादी नाम ।। 51 ।।
जालीरामजी को झट बुलवाया, प्रेम सहित आदेश सुनाया।
‘आप संभालो पद दीवान, पतित पावन दादी नाम ।। 52 ।।
विवाह योग्य जब हुई है बाई. मात पिता मन चिन्ता छाई।
करदें अब तो कन्यादान, पतित पावन दादी नाम ।। 53 ।।
लगे ढूँढने वर उस लायक, गुणी वीर सुन्दर सुखदायक।
मिला नहीं हो रहे हैरान, पतित पावन दादी नाम ।। 54।।
बाई ने जब ध्यान लगाया, प्रभु ने उसका हृदय जगाया।
हुआ बोध पति तनधन नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 55।।
मात पिता को जब यह बताया धनजी का लगन भिजवाया।
आए पूरण कर सब काम, पतित पावन दादी नाम ।। 56 ।।
सम्वत् तेरह सौ इक्यावन, विवाह घड़ी जब आई पावन।
गूंजा शहनाई पर गान, पतित पावन दादी नाम ।। 57 ।।
मंगसिर बदी नौमी मंगलवार बनी नारायणी तनधन नार।
आर्शीवाद दिया भगवान्, पतित पावन दादी नाम ।। 58।।
मात पिता ने सीख बताई और बेटी को दी विदाई।
रखना हमेशा कुल का मान पतित पावन दादी नाम ।। 59 ।।
बाई जब ससुराल पधारी, देख के बतलाएं नर नारी ।
आई देवी घर दिवान, पतित पावन दादी नाम ।। 60 ।।
झड़चन्द का बेटा शहजादा, तनधन के संग खेलने जाता।
दो शरीर पर एक था प्राण, पतित पावन दादी नाम ।। 61 ।।
घोड़ी सुन्दर थी अति प्यारी, तनधन जिस पर करे सवारी।
वही निर्मित हुई वरदान, पतित पावन दादी नाम ।। 62 ।।
होनी ने जब रंग दिखलाया. घोड़ी चुराऊँ मन भरमाया।
गया रात में वह नादान, पतित पावन दादी नाम ।। 64 ।।
जाग हुई जब भगा बेचारा, तनधन ने तब भाला मारा।
निकले शहजादे के प्राण, पतित पावन दादी नाम ।। 65 ।।
लाश देख सब ही घबराए, सीमा पार झुन्झनू आए ।
रातों रात चले अविराम, पतित पावन दादी नाम ।। 66 ।।
दुःख हुआ झड़चन्द को भारी, करें विलाप मात और नारी।
सूनी हुई कोख और मांग, पतित पावन दादी नाम ।। 67 ।।
झड़चन्द कहे सुनो दरबारी, करलो बदले की तैयारी।
सभी रखो तनधन का ध्यान, पतित पावन दादी नाम ।। 68 ।।
गौने का जब दिन आया है, तनधन को ससुराल पठाया।
संग भेजा राणा बलवान, पतित पावन दादी नाम ।। 69 ।।
कर गौना जब हुई विदाई, अपशकुनों की बाढ़ सी आई ।
चले बोलते जय जय राम, पतित पावन दादी नाम ।। 70 ।।
गुप्तचरों ने ख़बर सुनाई, झड़चन्द ने फौजें भिजवाई।
करो तनधन का काम तमाम, पतित पावन दादी नाम ।। 71 ।।
जंगल बीच हुई है लड़ाई, तनधन ने वीरता दिखाई।
मारे शत्रु के बहुत जवान, पतित पावन दादी नाम ।। 72 ।।
पीछे से वार किया दुश्मन ने वीर गति पाई तनधन ने ।
हुआ अमर उनका बलिदान, पतित पावन दादी नाम ।। 73 ।।
नारायणी ने जब यह देखा, चढ़ा जोश तब उसे अनोखा ।
कूदी रण में भृकुटी तान, पतित पावन दादी नाम ।। 74 ।।
हाथों में तलवार है चमकी, और साथ में चूड़ियाँ खनकी ।
बोली मिटाऊँ तेरा नामो निशान, पतित पावन दादी नाम ।। 75।।
रण चण्डी जब रूप दिखाया, दुश्मन ने तब होश गंवाया।
देख रूप विकराल महान, पतित पावन दादी नाम ।। 76 ।।
कर दुश्मन का साफ सफाया, राणा को आदेश सुनाया।
अब हम चलते अपने धाम, पतित पावन दादी नाम ।। 77 ।।
वह सम्वत् तेरह सौ बावन, जब यही धरती हुई है पावन ।
लहराया ध्वज सत का आन, पतित पावन दादी नाम ।। 78 ।।
मंगसिर बदी नौमी मंगलवार, सत् चढ़ा है अपरम्पार ।
शक्ति का किया आवाहान, पतित पावन दादी नाम ।। 79 ।।
मुख मण्डल पर तेज है दमके, जैसे नभ में बिजली चमके ।
छाई होठों पर मुस्कान, पतित पावन दादी नाम ।। 80 ।।
अग्नि सत से स्वयं प्रकटाई, शक्ति ने सतकी ज्योति दिखाई।
चमके धरती और आसमान, पतित पावन दादी नाम ।। 81 ।।
पंच तत्व देह हुआ विलीन, शक्ति हुई शक्ति में लीन ।
शेष भस्मी, अवशेष समान, पतित पावन दादी नाम ।। 82 ।।
दृश्य देख राणा चकराया, झट दुर्गा का रूप दिखाया।
कर रहे वर्षा पुष्प विमान, पतित पावन दादी नाम ।। 83 ।।
बायें कर त्रिशूल है चमके दायें में स्वास्तिक भी चमके ।
आमा मुख मण्डल की महान, पतित पावन दादी नाम ।। 84 ।।
धन्य हुआ राणा का जीवन, बोला विनती कर मन ही मन ।
जय भवानी जय दुर्गा नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 85 ।।
राणा ने प्रणाम किया है, माँ ने आर्शीवाद दिया है।
संग मेरे पुजेगा तेरा नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 86 ।।
भस्मी कलश ले झुंझनू आया, घोड़ी रूकी वहीं पे लगाया ।
समाधि मन्दिर है आलीशान, पतित पावन दादी नाम ।। 87 ।।
बरस सात सौ की यह दादी, हो गई दादी की पड़दादी ।
अमर रहेगा इसका नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 88 ।।
जनम मरण और परण दादी का वार मंगल और नौमी तिथि का ।
संगम और संयोग महान, पतित पावन दादी नाम ।। 89 ।।
नौ का अंक पूरण कहलाता, मंगल भी मंगल का दाता ।
दादी पूरण शक्ति निधान, पतित पावन दादी नाम ।। 90 ।।
हुई नारायणी जग में विख्यात, बनकर दादी राणी शक्ति महान ।
पूजें माँ को सारा जहाँन, पतित पावन दादी नाम ।। 91 ।।
माँ दुर्गा की है अवतार, कोई न पावे इसका पारवाली ।
युग युग में अवतारी नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 92 ।।
लक्ष्मी शारदा उमा काली, वैष्णवी कली में झुन्झनू ।
सब पर्यायवाची इसके नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 93 ।।
शक्ति की जो बात मूल, वही दादी निशान त्रिशूल ।
है इसका स्पष्ट प्रमाण, पतित पावन दादी नाम ।। 94 ।।
देख शक्ति का धाम निराला, सब देवों ने डेरा डाला ।
सुर संगम है दादी धाम, पतित पावन दादी नाम ।। 95 ।।
पितर देव सब यहाँ बिराजे, बैठे सब दरबार लगाके ।
हनुमान कन्धे लक्ष्मण राम, पतित पावन दादी नाम ।। 96 ।।
शोड़ष शक्ति नव दुर्गाये, त्रिमूर्ति नवग्रह मुस्काए ।
सब दिगपाल सम्भाले काम, पतित पावन दादी नाम ।। 97 ।।
कुल देवी दादी महाराणी, नहीं है इसका कोई सानी ।
करती कलि में माँ कल्यान, पतित पावन दादी नाम ।। 98 ।।
दादी की जग में है ख्याति संग में बहिनो को पुजवाती ।
तनधन पीतर शक्तिमान, पतित पावन दादी नाम ।। 99 ।।
जो भी मन से पूजे इसको, दादी दर्शन देती उसको ।
जात पात का नहीं है काम, पतित पावन दादी नाम ।। 100 ।।
रोली, मोली, मेहन्दी, चावल, धूप, पुष्प, दीपक और श्रीफल ।
पूजा का इनसे ही विधान, पतित पावन दादी नाम ।। 101 ।।
चूड़ा चूनड़ भेंट चढ़ावे, बहिन बेटी के काम वो आवे ।
रखती दादी सबका मान, पतित पावन दादी नाम ।। 102 ।।
माँ दादी सब शक्ति के रूप, नारी स्वयं भी शक्ति स्वरूप ।
शक्ति पूजा नारी सम्मान, पतित पावन दादी नाम ।। 103 ।।
जितनी भी शक्तियाँ है कलि में, राणी सती सिरमोर सभी में।
इस शक्ति को करो प्रणाम, पतित पावन दादी नाम ।। 104 ।।
महिमा दादी की अति भारी, मंगल भवन अमंगल हारी ।
गुण गावें सब वेद पुराण, पतित पावन दादी नाम ।। 105 ।।
यह मंगल मनका पुष्पोहार, करदे तुझको भव से पार ।
कर अर्पण दादी के नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 106।।
पाठ करे जो मंगल मनका, कष्ट हरे माँ उसके तन का ।
पूरे हों उसके अरमान, पतित पावन दादी नाम ।। 107 ।।
‘श्रीकृष्ण’ ने लीला गाई, ‘दयाकर’ सुन ले मेरी माई ।
भूलूँ नहीं मैं तेरा नाम, पतित पावन दादी नाम ।। 108 ।।

मंगल माला पूरी हुई, मनका एक सौ आठ ।
मनोकामना पूर्ण हो, नित्य करे जो पाठ ।।

दादी मनका 108 (Dadi Manka 108) बहुत ही प्रभावशाली है। इस दुर्लभ दादी मनका 108 (Dadi Manka 108) के द्वारा रानी सती का स्तुति गान करना अत्यंत ही शुभ फल देने वाला है।

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