Madhurashtakam: पढ़ियें श्रीवल्लभाचार्य कृत अत्यंत ही मधुर मधुराष्टकम्: – धरं मधुरं वदनं मधुरं

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भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा रचित मधुराष्टकं (Madhurashtakam) बहुत प्रसिद्ध स्तोत्र है। मधुराष्टकं में भगवान श्रीकृष्ण के मोहक बालरूप का बहुत ही सुन्दर और मोहक वर्णन किया गया है। पढ़ियें मधुराष्टकं स्तोत्र (Madhurashtakam Stotram) और पायें भगवान श्री कृष्ण की अनुपायनी भक्ति…

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Benefits of Reciting Madhurashtakam
मधुराष्टकं स्तोत्र पाठ के लाभ

मधुराष्टकं (Madhurashtakam) में भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप का वर्णन मिलता है। इस स्तोत्र में उनके रूप और लीलाओं का बहुत ही मधुरता के साथ चित्रण किया गया है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से साधक को भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी भक्ति का परम आनन्द प्राप्त कर लेने के पश्चात् साधक को किसी ओर चीज का मोह नही रहता। अपने जीवन को सुखों और खुशियों से भरने के लिये मधुराष्टकं का नित्य पाठ करें।

  • मधुराष्टकं (Madhurashtakam) का पाठ प्रात:काल या संध्या के समय कभी भी किया जा सकता है।
  • प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर पूजा स्थान पर बैठकर भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करके मधुराष्टकं (Madhurashtakam) का पाठ करें।

Madhurashtakam Lyrics
मधुराष्टकं

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥७॥

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥८॥

॥ इति श्रीमद् श्रीवल्लभाचार्य कृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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