Dhanya Stotram: धन-समृद्धि और वंश वृद्धि के लिये करें दिव्य धान्या स्तोत्रम् का पाठ

Dhanya Stotram; Image for Dhanya Stotram; Dhanya Yogini Dasha;

ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। उन आठ योगिनी महादशाओं में से एक है योगिनी धान्या महादशा (Dhanya Mahadasha)। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है। योगिनी दशायें (Yogini Dasha) भारत के पूर्वी भाग और नेपाल आदि में प्रचलित है। योगिनी धान्या (Yogini Dhanya) गुरू ग्रह की माता है। इनकी उपासना करने गुरू की दशा से उत्पन्न दुख और पीड़ा का निवारण होता है। ‘स्कन्दपुराण’ में इस का उल्लेख मिलता है जिसके अनुसार सनातन मुनि द्वारा राजा मणिग्रीव को कहा गया है। पढ़ियें धान्या स्तोत्रम् (Dhanya Stotram) और जानियें इसके लाभ। साथ ही पढ़ें धान्या मंत्र…

Benefits of Dhanya Stotram
धान्या स्तोत्रम् के लाभ

योगिनी धान्या गुरू ग्रह की माता है। ऐसा माना जाता है यदि किसी पर माता प्रसन्न हो और पुत्र उससे नाराज हो या ना हो पर अपनी माता का मान रखने के लिये वो उसपर कृपा अवश्य करता है। उसी प्रकार योगिनी धान्या की उपासना करने से साधक को गुरू ग्रह की शुभता प्राप्त होती है। नियमित रूप से धान्या स्तोत्रम् (Dhanya Stotram) का पाठ करने से

  • कुण्ड़ली में गुरू ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण होने वाले दुख और पीड़ा का निवारण होता है।
  • पुत्र-पौत्र की प्राप्ति होती है। वंश वृद्धि होती है।
  • उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  • वायु और पित्त के कारण होने वाली समस्याओं का निवारण होता है।
  • दुष्ट और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा होती है।
  • शत्रु पराजित होते है।
  • कष्ट और पीड़ा का नाश होता है।
  • धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  • गुरू ग्रह के दुष्प्रभाव समाप्त होते है।
  • मनोकामनायें पूर्ण होती है।
  • यश और कीर्ति बढ़ती है।
  • जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • इस कलियुग में यह योगिनी स्तोत्र विशेष फल प्रदान करने वाला है।

When And How To Recite Dhanya Stotram?
धान्या स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करें?

धान्या महादशा और अंतर्दशा के समय दिव्य धान्या स्तोत्रम् (Dhanya Stotram) का पूर्ण श्रद्धा –भक्ति के साथ नियमित पाठ करने और धान्या मंत्र का जाप करने से साधक को गुरू ग्रह के प्रभाव से होने वाले कष्टो से मुक्ति मिलती है। साधक पर उनका दुष्प्रभाव नही होता।

  • नियमित रूप से प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ मन से योगिनी धान्या का ध्यान करें।
  • फिर पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ धान्या स्तोत्रम् (Dhanya Stotram) का पाठ करें।
  • अपनी भूल और गलतियों के लिये क्षमा माँगें और फिर उनसे अपना मनोरथ निवेदन करें।

What Is Dhanya Mantra And How Many Times It Should Be Chanted?
धान्या मंत्र क्या है और इसके किंतने जाप करने चाहिये?

मन्त्र इस प्रकार है –

ॐ श्रीं धनदे धान्यै स्वाहा।

इस मंत्र के 19,000 जप करने चाहिये।

Dhanya Stotram Lyrics
धान्या स्तोत्रम्

सनातन मुनि उवाच-

ग्रहाः मातृगणाधीना विज्ञेया विबुधर्षभैः ।
तस्माच्छृणु त्वं वक्ष्यामि धन्या स्तोत्रं धनप्रदम् ॥

स्तोत्र पाठ-

धान्या धनप्रदा धान्यराशिस्तथा धान्यरूपिणी।
धनदा धनरूपा च गुरूर्माता गुणेश्वरी ॥

आचार्याणी कुलेशानी दशाचक्र निवासिनि ।
द्विभुजा धर्मरूपा च वराभयविधारिणी ॥

तप्तकांचनवर्णा च त्र्यक्षा पीताम्बरावृता ।
महाजनैश्चान्जलिपुटैर्मुक्तैजीजैः प्रपूरिता ॥

दशाचक्रगता देवी मोदिनी वीरनायिका ।
वृन्दारकसमूहैश्च वन्दिता भुवनेश्वरी ॥

फलश्रुति-

इति धान्यास्तवं दिव्यं पठेन्नित्यमनन्यधीः ।
तस्य नश्यन्ति गुरूजा पीड़ायोगिनिसम्भवा ॥
पुत्रं पौत्रं धनं धान्यं लभते च न संशयः ।
वात पित्तदिजा पीड़ा नश्यते पाठमात्रतः ॥
ग्रहभूतपिशाचाश्च डाकिनीशाकिनी गणाः ।
ब्रहाराक्षसवैताला नागगन्धर्वमातरः ॥
छायां तस्य न लन्ति का वार्ता ग्रहस्यणतु ॥