श्री कृष्णाष्टकम् (Shri Krishnashtakam) के पाठ से मिलेगी जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति

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भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करने के लिये विभिन्न स्तोत्रों, स्तुतियों और अष्टकम् पाठों की रचना की गई है। विभिन्न शास्त्रों में उनका उल्लेख मिलता है। अष्टकम् स्तोत्र आठ पद या श्लोक या खण्ड़ होते है। श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिये कृष्णाष्टकम् (Krishnashtakam) का नित्य पाठ बहुत ही शुभ माना जाता है। श्री कृष्ण के भक्तों की सुविधा के लिये हमने यहाँ तीन प्रसिद्ध कृष्णाष्टकम् का संकलन किया है। पढ़ियें शंकराचार्य द्वारा रचित श्री कृष्णाष्टकम् – भजे व्रजैक मण्डनम्, श्री कृष्णाष्टकम् – वासुदेव सुतम देवम और श्री विष्णुतीर्थविरचितं श्रीकृष्णाष्टकम् साथ ही जानिये इनके पाठ की विधि, लाभ और महत्व

Significance Of Krishnashtakam
श्री कृष्णाष्टकम् का माहात्म्य

श्री कृष्णाष्टकम् (Krishnashtakam) बहुत ही सिद्ध और लोकप्रिय स्तोत्र है। इस आठ श्लोकों के स्तोत्र का माहात्म्य बहुत अधिक है। इसका पाठ करने से श्री कृष्ण भगवान प्रसन्न होते है और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। हर रचियता ने श्री कृष्ण की भक्ति में श्री कृष्णाष्टकम् की रचना की। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के रूप, गुण और लीलाओं का चित्रण किया गया है। इन स्तोत्रों के द्वारा भगवान श्री कृष्ण की स्तुति करके साधक बहुत ही सरलता से भगवान श्री कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकता है।

Benefits Of Reading Shri Krishnashtakam
श्री कृष्णाष्टकम् के लाभ

शास्त्रों में स्तोत्र, मंत्र, स्तुति के पाठ के द्वारा ईश्वर उपासना को सबसे सरल तरीका माना गया है। श्री कृष्णाष्टकम् के नित्य पाठ उन सभी भक्तजनों के लिये श्रेष्ठ है जो बहुत ही कम प्रयास से ही श्री कृष्ण को प्रसन्न करके उनकी कृपा पाना चाहते है। इस स्तोत्रं का नित्य पाठ करने से साधक बहुत सरलता से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद पा सकता है। यहाँ पर दिये तीनों ही श्री कृष्णाष्टकम् बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। इनमें से किसी एक का भी नित्य पाठ करने से

  • मन में संतुष्टि की भावना आती है।
  • धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जातक पने जन्म – जन्मांतर अर्थात करोड़ों जन्मों के पापो से मुक्त हो जाता है।
  • बुद्धि तीव्र होती है। साधक ज्ञानवान होता है।
  • संतान सुरक्षित होती है।
  • मान – प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी होती है। ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • रोग–दोष-कष्ट का निवारण होता है।
  • दुख और दरिद्रता का नाश होता है।
  • मोह-माया के बन्धनों से मुक्ति मिलती है और श्री कृष्ण की अनपायिनी भक्ति को प्राप्त करता है।

When And How To Recite Shri Krishna Ashtakam?
श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ कब और कैसे करें?

मन-कर्म और वचन से शुद्ध होकर पवित्र भाव से पूर्ण श्रद्धा – भक्ति के साथ श्री कृष्णाष्टकम् (Krishnashtakam) का पाठ करना चाहिये। प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके राधा-कृष्ण का ध्यान करें। फिर श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ करें।

पढ़ियें शंकराचार्य द्वारा रचित श्री कृष्णाष्टकम् – भजे व्रजैक मण्डनम्, श्री कृष्णाष्टकम् – वासुदेव सुतम देवम और श्री विष्णुतीर्थविरचितं श्रीकृष्णाष्टकम्…