Saubhagya Sundari Vrat 2024: जानियें कब और कैसे करें सौभाग्य सुंदरी व्रत?

Soubhagya Sundari Vrat

अखण्ड़ सौभाग्य और उत्तम संतान पाने के लिये करें सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat)। जानिये सौभाग्य सुंदरी व्रत से जुड़ी विशेष बातें। साथ ही जानिये सौभाग्य सुंदरी व्रत कब है? इसका क्या महत्व है? और सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat) एवं पूजन की विधि क्या हैं?

Soubhagya Sundari Vrat
सौभाग्य सुंदरी व्रत

मार्गशीर्ष माह (अगहन), पौष मास और माघ माह की कृष्णपक्ष की तृतीया तिथि के दिन सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat) एवं पूजन किया जाता हैं। इस दिन सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा किये जाने का विधान हैं। सौभाग्य सुंदरी व्रत का पालन अविवाहित लड़कियाँ और सुहागिन स्त्रियाँ दोनों करती हैं। इस व्रत के द्वारा वो देवी पार्वती से अखण्ड़ सुहाग और योग्य संतान की कामना करती हैं।

Soubhagya Sundari Vrat Kab Hai?
सौभाग्य सुंदरी व्रत कब हैं?

इस बार सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat) एवं पूजन 18 नवम्बर, 2024 सोमवार के दिन किया जायेगा। इसके पश्चात् 18 दिसम्बर, 2024 बुधवार और 16 जनवरी, 2025 गुरूवार के दिन किया जायेगा।

Significance Of Soubhagya Sundari Vrat
सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व

हिंदु मान्यता के अनुसार सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat) एवं पूजन करने से सौभाग्यवती स्त्री को अखण्ड़ सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। इस दिन भगवान गणेश, देवी पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय का पूजन किया जाता हैं। यह व्रत पति और संतान के लिये किया जाता हैं। इस दिन स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती हैं और अपनी पति की लम्बी आयु के लिये देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं।

मनपसंद जीवनसाथी पाने के लिये कुंवारी लड़कियाँ भी सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat) करती हैं। इस व्रत का विधि विधान से पालन करने से –

  • सुहागिन स्त्रियों को अखण्ड़ सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। उनके पति की आयु लम्बी होती हैं।
  • अविवाहित लड़कियों को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता हैं।
  • उत्तम और योग्य संतान की प्राप्ति होती हैं।
  • संतान सुरक्षित रहती हैं।
  • दाम्पत्य सुख में वृद्धि होती हैं।
  • पारिवारिक कलह समाप्त होता हैं।
  • पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है।
  • जन्मपत्री में यदि मांगलिक दोष हो तो इस व्रत के पालन से उसकी शांति होती हैं।
  • धन-समृद्धि में वृद्धि होती हैं।
  • विवाह में आने वाली अड़चने स्वत: ही दूर हो जाती हैं।
  • यदि किसी स्त्री की कुण्डली में विवाह से जुड़ा कोई अशुभ योग हो जैसे – वैवाहिक सुख का अभाव या विवाह विच्छेद या अलगाव, तो उसे इस व्रत का विधि-विधान से पालन करना चाहिये। इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन से जुड़े सभी अशुभ योगों का निवारण हो जाता हैं।

यह बहुत ही दुर्लभ, मंगलकारी और उत्तम व्रत हैं। इसके पालन से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं और माँ पार्वती की कृपा प्राप्त होती हैं।

Soubhagya Sundari Vrat Aur Pujan Ki Vidhi
सौभाग्य सुंदरी व्रत एवं पूजन की विधि

सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat) सुहागिन स्त्री और कुंवारी लड़की दोनों कर सकती हैं।

  • सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat) करने वाली स्त्री प्रात:काल जल्दी उठकर स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • सुहागिन स्त्री इस दिन सोलह श्रृंगार करें।
  • पूजास्थान पर चौकी बिछाकर उसपर भगवान गणेश, देवी पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
  • देवी पार्वती और भगवान शिव प्रतिमा को लाल वस्त्र से लपेट कर ही चौकी पर स्थापित करें।
  • एक जल से भरा कलश स्थापित करें।
  • दूप-दीप जलाकर पूजा आरम्भ करें।
  • सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करें। उनको जल से छींटे लगाये, फिर रोली से तिलक करे, अक्षत लगायें, मोली चढ़ायें, चंदन व सिंदूर लगाये। फिर फूलमाला और फल अर्पित करें।
  • गणेश जी को भोग के साथ सूखे मेवे, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और दक्षिणा भी चढ़ायें।
  • फिर नवग्रह की पूजा करें। भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
  • तत्पश्चात्‌ देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें।
  • देवी पार्वती की प्रतिमा को दूध, दही और जल स्नान करायें। फिर उन्हे वस्त्र पहनाकर रोली चावल से तिलक करें, मौली चढ़ायें।
  • देवी पार्वती की प्रतिमा को हल्दी, सिन्दुर एवं मेहंदी लगाएं। फिर देवी को सोलह श्रृंगार की वस्तुयें अर्पित करें। सोलह श्रृंगार की वस्तुओं से देवी पार्वती का श्रृंगार करें। चूड़ियाँ पहनायें।
  • देवी पार्वती को फल-फूल अर्पित करें। भोग व दक्षिणा के साथ सूखे मेवे, पान, सुपारी, लौंग व इलायची अर्पित करें।
  • देवी पार्वती की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें –

ॐ उमाये नम:।

देवी देइ उमे गौरी त्राहि मांग करुणानिधे माम् अपरार्धा शानतव्य भक्ति मुक्ति प्रदा भव॥

  • भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। बेलपत्र, आंकड़े और धतुरा अर्पित करें। रोली-चावल से तिलक करें। फल- फूल अर्पित करें। भोग लगायें, सूखे मेवे, और दक्षिणा अर्पित करें।
  • भगवान शिव की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें –

ॐ नम: शिवाय।

  • फिर भगवान गणेश, मां पार्वती और भगवान शिव से अपनी गलतियों के लिये क्षमा मांगे। माता पार्वती से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि, “हे माँ मेरे दुखों और पापों का नाश करों। मुझे आरोग्य, सौभाग्य, रिद्धि-सिद्धि और उत्तम संतान प्रदान करों।“
  • पूजा पूर्ण करने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराये और दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।
  • व्रत करने वाली स्त्री इस दिन एक ही समय भोजन करें और एक बार सिर्फ दूध से बनी चीजों का सेवन करें।

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