माँ दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिये करें चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना। जानियें चैत्र नवरात्रि कब से आरम्भ होकर कब समाप्त होंगे? साथ में पढ़ियें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, विधि, नियम और महत्व…
Chaitra Navratri
चैत्र नवरात्रि
चैत्र माह हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का प्रथम मास है। इसी महीने से हिंदू नववर्ष प्रारम्भ होता है। चैत्र मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का आरम्भ होता है। वर्ष में दो बार प्रकट नवरात्रि आते है और दो बार गुप्त नवरात्रि आते है। चैत्र नवरात्रि और आश्विन माह में आने वाले शारदीय नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहा जाता हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। श्रद्धा-भक्ति के साथ माँ दुर्गा की उपासना करने से साधक को धन-समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है।
Chaitra Navratri Kab Se Shuru honge?
चैत्र नवरात्रि कब से कब तक हैं?
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) इस वर्ष 9 अप्रैल, 2024 मंगलवार से आरम्भ होकर 18 अप्रैल, 2024 गुरूवार को समाप्त होंगे।
Ghatasthapana Ka Shubh Muhurta
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) में घटस्थापना (Ghatasthapana) का शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल, 2024 मंगलवार को सुबह 06:09 बजे से 10:22 मिनट तक होगा ।
इसके पश्चात् अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना (Ghatasthapana) के लिये शुभ मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से 12:54 बजे तक होगा । (जयपुर)
Chaitra Navratri Ka Mahatva (Significance)
चैत्र नवरात्रि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार हिंदु नववर्ष का आरम्भ चैत्र मास से होता है। चैत्र मास को बहुत शुभ माना जाता है। चैत्र मास की शुक्लपक्ष की नवमी तिथि के दिन त्रेता युग में श्रीराम ने महारज दशरथ के पुत्र के रूप में अवतार लिया था। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक रामायण का पाठ करने का भी विशेष महत्व होता है।
हिंदु नव वर्ष के आरम्भ में चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) में शक्ति उपासना करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में घटस्थापना (Ghatasthapana) करने और माँ दुर्गा की उपासना करने से साधक को
- मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
- उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।
- धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- परिवार में सुख-शांति आती है।
- सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।
- शक्ति और सामर्थ्य में वृद्धि होती है।
- शत्रु का नाश होता है।
- भय से मुक्ति मिलती है।
- सभी चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
Ghatasthapana (Kalash Sthapana) Ki Vidhi
घटस्थापना (कलश स्थापना) की विधि
- प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घटस्थापना से पूर्व पूजास्थान जहाँ पर घटस्थापना करनी है उस स्थान को अच्छे से साफ करें और गंगा जल से शुद्ध कर लें।
- घटस्थापना (Ghatasthapana) के शुभ मुहूर्त के अनुसार घटस्थापना करें।
- एक लकड़ी के पाटे पर कोरा लाल वस्त्र का बिछाकर उसपर देवी की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
- मिट्टी के कूण्डे पर हल्दी से नौ बिंदियाँ लगाये और मौली बाँधें।
- उसमें एक सिक्का रखकर उसपर मिट्टी और जौ डालें।
- एक कलश पर स्वास्तिक बनाये और उस पर मौली बाँधें। इस बात का ध्या न रखें कि कलश किसी अशुद्ध धातु का नहीं होना चाहिए कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल का ही होना चाहिए।
- कलश में अक्षत, सुपाड़ी और सिक्का डालें।
- कलश के ऊपर अशोक के पत्ते या आम के पत्ते रखें।
- एक सूखा नारियल ले और उसपर मौली बाँधे और लाल चुनरी लपेटे।
- हल्दी और चावल के पिसे मिश्रण से पूजास्थान की दीवार पर हाथ से नौ थापे लगाये, चक्र, त्रिशूल और स्वास्तिक बनायें।
- फिर दीप जलाकर जल चढ़ायें। रोली-मौली-चावल से देवी जी की पूजा करें।
- कूण्डे में जल चढ़ाये।
- फल और पुष्प चढ़ायें। भोग एव दक्षिणा अर्पित करें। पान-सुपारी चढ़ायें।
- फिर मां दुर्गा के सभी स्वरूपों का ध्यान करें। दुर्गा चालीसा और श्री दुर्गा सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ करें।
- माँ दुर्गा की आरती करें।
- फिर कन्या पूजन करें। जल से कन्या के पैर धोकर, उनके हाथ पर मौली बाँधे और माथे पर रोली-चावल से तिलक करें।
- उन्हे भोग लगा प्रसाद और दक्षिणा देंकर उनके पैर छूयें।
- संध्या के समय दीपक जलाकर देवी की आरती करें और भोग लगाये।
- इस प्रकार नौ दिनों तक देवी की पूजा-अर्चना करें।
- दुर्गाष्टमी और महानवमी के दिन विधि-विधान से देवी का पूजन करें।
- यदि सम्भव हो तो नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत करें अन्यया पहला और आखिरी नवरात्रि का व्रत भी कर सकते है।
Chaitra Navratri Schedule
चैत्र नवरात्रि कार्यक्रम
नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | माँ शैलपुत्री पूजा | 22 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा | 23 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | माँ चंद्रघंटा पूजा | 24 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 4 | चतुर्थी | माँ कुष्मांडा पूजा | 25 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 5 | पंचमी | माँ स्कंदमाता पूजा | 26 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 6 | षष्ठी | माँ कात्यायनी पूजा | 27 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 7 | सप्तमी | माँ कालरात्रि पूजा | 28 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 8 | अष्टमी | माँ महागौरी दुर्गा दुर्गा महाअष्टमी पूजा | 29 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 9 | नवमी | माँ सिद्धिदात्री, महानवमी पूजा, रामनवमी | 30 मार्च, 2023 |
नवरात्रि दिन 10 | दशमी | नवरात्रौत्थापन | 31 मार्च, 2023 |
Navratri Vrat ke Niyam
नवरात्रि व्रत के नियम
नवरात्रि के व्रत में इन नियमों का पालन अवश्य करें।
- संयमित आचरण करें।
- बुरे विचारों से दूर रहें।
- सात्विक भोजन करें। अण्डा-मांस-मछली और प्याज-लहसुन इत्यादि का सेवन न करें।
- ढ़ाढ़ी और बाल ना कटायें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- शराब इत्यादि मादक पदार्थों का सेवन ना करें।
- परनिंदा से बचें।
Chaitra Navratri Mein Ramayan Path Ka Mahatva
चैत्र नवरात्रि में रामायण पाठ का महत्व
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की नवमी तिथि के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। इसलिये इस दिन को रामनवमी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में रामायण का पाठ करने अथवा श्रवण करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। नौ दिनो तक प्रतिदिन रामायण की पूजा करें।
- प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजास्थान पर रामायण की पूजा करें।
- धूप एवं दीपक जलाकर, जल, मौली, रोली – चावल, पुष्प चढ़ायें।
- भोग, दक्षिणा, पान-सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें।
- रामायण पाठ करने के बाद कपूर से रामायण की आरती करें।
- रामनवमी के दिन रामायण पाठ पूर्ण होने पर श्रीराम जी का अभिषेक करें, उनका पूजन करें,फल-फूल चढ़ायें। भोग लगाकर सभी को प्रसाद बाँटे।
- ब्राह्मण को भोजन करायें और दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।