Lakshmi Panchami 2024 – श्री लक्ष्मी पंचमी कब है? लक्ष्मी पंचमी की पूजा की विधि, महत्व और कहानी

Laxmi Panchami Puja Vidhi Vrat Katha Aur Mantra

Sri Lakshmi Panchami
श्री लक्ष्मी पंचमी

चैत्र मास की शुक्लपक्ष की पंचमी को श्री लक्ष्मी पंचमी (Lakshmi Panchami) के नाम से जाना जाता है। इसे श्री पंचमी (Shri Panchmi), लक्ष्मी पंचमी और श्री व्रत (Shri Vrat) भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि की पंचमी के दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदु धर्म में देवी लक्ष्मी को धन-समृद्धि की देवी कहा जाता है। श्री लक्ष्मी पंचमी के दिन माँ लक्ष्मी की उपासना करने और व्रत करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा से साधक को धन-समृद्धि और शुभता की प्राप्ति होती है।

देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये व्यवसायी इस दिन विशेष पूजा करते है। श्री पंचमी का पूजन विशेष रूप से दक्षिण भारत में किया जाता है। भारत के पश्चिमी भाग में कई स्थानों पर विशेष रूप से गोवा और महाराष्ट्र में शुक्लपक्ष की पंचमी को अत्यधिक शुभ माना जाता है।

बसंत पंचमी (माघ माह की शुक्लपक्ष की पंचमी) को भी श्री पंचमी (Shri Panchmi) कहा जाता है। “श्री” शब्द का उपयोग देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती दोनों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

Sri Lakshmi Panchami Kab Hai?
श्री लक्ष्मी पंचमी कब है?

इस वर्ष श्री लक्ष्मी पंचमी (Lakshmi Panchami) का व्रत एवं पूजन 12 अप्रैल, 2024 शुक्रवार के दिन किया जायेगा। उद्यात तिथि मानने के कारण भारत के बहुत से हिस्सो में लक्ष्मी पंचमी का व्रत एवं पूजन 13 अप्रैल, 2024 शनिवार के दिन किया जायेगा।

Sri Lakshmi Panchami Ka Mahatva
श्री लक्ष्मी पंचमी पूजन का महत्व

हिंदु धर्म में देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। माँ लक्ष्मी की कृपा से ही जातक को धन-धान्य आदि की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये साधक अनेकोनेक प्रयास करते है। श्री लक्ष्मी पंचमी (Lakshmi Panchami) के दिन देवी लक्ष्मी की उपासना करने माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है। व्यापारी लोग इस दिन विशेष पूजन करते है। श्री लक्ष्मी पंचमी के शुभ दिन पर माँ लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और साधक को उनकी कृपा प्राप्त होती है। माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से

  • धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  • मान-सम्मान में बढोत्तरी होती है।
  • जीवन में शुभता आती है।
  • सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • परिवार में शान्ति रहती है।
  • पति-पत्नी के सम्बंधों में प्रेम बढता है।
  • संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • जातक सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं का आनंद प्राप्त करता है।

Sri Lakshmi Panchami Puja Vidhi
श्री लक्ष्मी पंचमी पूजन की विधि

श्री लक्ष्मी पंचमी (Sri Lakshmi Panchami) के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा किये जाने का विधान है। चैत्र मास की शुक्लपक्ष के पंचमी अर्थात श्री पंचमी के दिन इस विधि से माँ लक्ष्मी की पूजा करें।

  • प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजास्थान पर बैठकर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें। उसपर एक मुठ्ठी चावल रखकर उन चावलों पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश पर मौली बांधें।
  • चौकी पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। यदि प्रतिमा ना हो तो तस्वीर भी रख सकते है। अगर आपके पास श्री यंत्र हो तो उसे भी पूजा में रखें।
  • गाय के घी का पांच बत्ती का दीपक प्रज्वलित करें।
  • सर्वप्रथम भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हे जल के छींटे लगाकर, लाल चंदन, रोली-अक्षत से तिलक करें, मौली चढ़ायें। गणेश जी को फल-फूल और दूर्वा अर्पित करें। पान-सुपारी, भोग और दक्षिणा चढ़ायें।
  • श्री यंत्र और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा का पंचामृत (शहद, घी, दही, चीनी और दूध) से अभिषेक करें। फिर जल चढ़ाकर स्वच्छ करें। यदि प्रतिमा ना हो तो पूजा में देवी लक्ष्मी की तस्वीर के समक्ष पंचामृत रखें।
  • लाल-वस्त्र अर्पित करें। लाल चंदन, रोली-अक्षत से तिलक करें। मौली चढ़ायें। देवी लक्ष्मी को सफेद पुष्प, कमल पुष्प और लाल गुलाब अर्पित करें। पान एवं सुपारी चढ़ायें।
  • पांच फल, पांच प्रकार के अनाज, पांच धातु और पांच रंग (गुलाल) माँ लक्ष्मी को अर्पित करें।
  • श्री पंचमी के दिन माँ लक्ष्मी को सफेद रंग की दूध से बनी मिठाई का भोग लगाये।
  • लक्ष्मी सहस्रनाम और श्री सूक्त का पाठ करें।
  • माँ लक्ष्मी की आरती करें।
  • लक्ष्मी पंचमी के दिन माँ लक्ष्मी के मंदिर जाकर दर्शन करें। जरूरतमंदो को भोजन, कपड़े और विद्यार्थियों को किताबें दान करे। ऐसा करना बहुत पुण्यफलदायी होता है।
  • श्री लक्ष्मी पंचमी के व्रत में अन्न ग्रहण नही किया जाता इसलिये इस दिन दूध से बनी वस्तुएँ और फलाहार का ही सेवन करें।

Maa Laxmi Ke Vishesh Mantra
माँ लक्ष्मी जी के विशेष मंत्र

मंत्र : ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।

श्री लक्ष्मी मंत्र :
ॐ आं ह्रीं क्रौं श्री श्रिये नम: ममा लक्ष्मी
नाश्य-नाश्य मामृणोत्तीर्ण कुरु-कुरु
सम्पदं वर्धय-वर्धय स्वाहा:।

मंत्र :
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।।

मंत्र :
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

मंत्र :
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,
धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

Lakshmi Panchami Vrat Katha
लक्ष्मी पंचमी व्रत कथा

शास्त्रों में वर्णित एक पौराणिक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी देवताओं से रूष्ट होकर क्षीर सागर में चली गई। देवी लक्ष्मी के क्षीर सागर में चले जाने से देवताओं के वैभव का नाश हो गया और वो श्री विहीन हो गए। वो निस्तेज हो गये और स्वर्ग भी उनके हाथ से चला गया। तब देवराज इंद्र ने देवगुरू बृहस्पति से इसका उपाय पूछा तो उन्होने बताया कि – “हे देवेन्द्र! माँ लक्ष्मी आपसे रूष्ट हो गई है और इसी कारण आप निस्तेज व श्री विहीन हो गये हो। अपना वैभव पुन पाने के लिये आप देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करें।“

देवगुरू की बात मानकर देवराज इंद्र ने देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये कठोर तप करना आरम्भ कर दिया। देवराज इंद्र से प्रेरणा लेकर अन्य देवी-देवताओं ने भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या और विशेष विधि विधान के साथ उपवास रखना आरम्भ कर दिया। देवताओं कठोर तप और भक्ति से देवी लक्ष्मी प्रसन्न हुई और समुद्र मंथन द्वारा पुन: प्रकट हुई। फिर उनका विवाह भगवान विष्णु से हुआ। देवी लक्ष्मी के पुन: लौटने से देवता फिर से समर्थ हो गये और माँ लक्ष्मी की कृपा से धन्य हो गये।

Maa Lakshmi Ko Kaise Prasann kare?
माँ लक्ष्मी की प्रसन्नता पाने के लिये क्या करें?

माँ लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है इसका अर्थ यह है कि यह स्थिर होकर एक स्थान पर नही रहती। माँ लक्ष्मी की कृपा पाने और उन्हे अपने पास स्थिर रखने के लिये इन बातों का ध्यान रखना चाहिये।

  • अपने घर और आस-पास में साफ-सफाई रखें।
  • लगातार गृह-कलह और लडाई झगडों से माँ लक्ष्मी अप्रसन्न होती है और ऐसा करने वालों के पास लक्ष्मी निवास नही करती।
  • अचला लक्ष्मी पाने के लिये पूजन बिना शोर-शराबे के शान्ति से करना चाहिये।