रूप-सौन्दर्य और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है रम्भा तृतीया व्रत (Rambha Tritiya)

Rambha Tritiya; Rambha Teej; Rambha;

ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की तीज के दिन रम्भा तृतीया (Rambha Tritiya) का व्रत एवं पूजन किया जाता है। विशेषकर उत्तर भारत में इस दिन महिलाएँ अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिये रम्भा तीज का व्रत एवं पूजन करती है। जानियें रम्भा तृतीया व्रत कब है?, इस व्रत की क्या विधि है और इस व्रत को करने से क्या लाभ होता है?

Rambha Tritiya
रंभा तृतीया

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तब उससे 14 रत्न प्राप्त हुये थे। उनमें से एक भी रम्भा। रम्भा अत्यंत ही रूपवती अप्सरा थी। उन्हे देवलोक में स्थान प्राप्त हुआ। ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रम्भा समुद्र मंथन से निकली थी। इसलिये इस दिन रम्भा तीज (Rambha Teej) का व्रत किया जाता है। रम्भा तीज के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती जी की पूजा भी की जाती है। अप्सरा रंभा को स्त्री सौन्दर्य और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत एवं पूजन करने से उत्तम स्वास्थ्य और आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त होता है।

Rambha Teej Kab Hai?
रंभा तीज कब है?

इस वर्ष रंभा तीज (Rambha Teej) 8 एवं 9 जून, 2024 को मनाई जायेगी। देश के कुछ स्थानों पर 8 जून, 2024 शनिवार के दिन रम्भा तीज का व्रत एवं पूजन किया जायेगा और कुछ स्थानों पर 9 जून, 2024 रविवारा के दिन किया जायेगा। इसके पीछे यह कारण है कि तृतीया तिथि 8 तारीख को दोपहर से आरम्भ होकर 9 जून की दोपहर तक रहेगी।

Rambha Tritiya worship method
रंभा तृतीया पूजन विधि

रम्भा तृतीया के दिन रम्भा के अतिरिक्त देवी पार्वती की पूजा का विधान भी है। कुछ स्थानीय मान्यताओं के अनुसार कुछ लोग इस दिन को देवी लक्ष्मी पूजा के साथ भी जोडते है। इस दिन वो देवी लक्ष्मी की पूजा भी करते है। रम्भा तृतीया पर पूजन की विधि इस प्रकार है –

  • रम्भा तृतीया के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सुहागिन स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करें।
  • ताम्बे के कलश में जल भरकर उसमें रोली – चावल और लाल पुष्प डालकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान सूर्य अर्घ्य दें अर्थात उन्हे जल चढ़ायें।
  • पूजास्थान पर आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे। आपके परिवार में जिनकी पूजा की जाती है अप्सरा रम्भा या देवी पार्वती या देवी लक्ष्मी उनकी प्रतिमा या चित्र एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें| अगर आपको कोई संशय हो तो आप उन तीनों की तस्वीर चौकी पर स्थापित करें। चूड़ियों का जोडा रखें। चूड़ियों को रम्भा का स्वरूप माना जाता है। एक कलश में जल भरकर रखें। फिर उनके समक्ष धूप दीप प्रज्वलित करें।
  • देवी लक्ष्मी को गेहूं, अनाज और फूल चढ़ाये। देवी पार्वती और रम्भा को पुष्प अर्पित करें।
  • रोली – चावल व हल्दी चढ़ाकर पूजा करें। सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ायें।
  • मिठाई का भोग लगाएं।
  • रम्भा ध्यान मंत्र का 11, 21, 31 या 108 बार जाप करें। मंत्र – “रं रं रम्भा रं रं देवी”
  • फिर हाथ जोडकर अपनी गलतियों के लिये क्षमा याचना करें और उनसे अपना मनोरथ कहें।
  • फिर ब्राह्मणी को भोजन करायें और यथोचित दक्षिणा देकर संतुष्ट करें। उसे श्रृंगार की सामग्री और वस्त्र दें।
  • इस दिन सुहागिन स्त्रियों को सुहाग सामग्री दान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से माँ पार्वती प्रसन्न होती है और सौभाग्यवती स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं

Benefits of Rambha Teej Vrat
रंभा तृतीया व्रत के लाभ

शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से निकली अप्सरा रंभा अद्वितीय सुंदरी थी। रंभा तृतीया का व्रत करने से देवी पार्वती और देवी की कृपा भी प्राप्त होती है। है। पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ विधि अनुसार इस दिन व्रत एवं पूजन करने से

  • अविवाहित कन्याओं को उनकी इच्छा के अनुरूप मनपसन्द जीवनसाथी प्राप्त होता है।
  • सौभाग्यवती स्त्रियों का सौभाग्य अखण्ड़ रहता है।
  • वैवाहिक जीवन मधुर होता है।
  • बड़े से बड़े रोग से मुक्ति मिलती है।
  • इस व्रत एवं पूजन को करने से रूप और यौवन की प्राप्ति होती है और वो सदा ही अपनी आयु से छोटे दिखते है। स्वास्थ्य उत्तम रहता है
  • रंभा की कृपा से साधक आकर्षक और रूपवान होता हैं। वो बहुत ही आसानी से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।
  • मनोकामना पूर्ण होती है।
  • बुद्धिमान संतान की प्राप्ति होती है। धन – धान्य में वृद्धि होती है। घर परिवार में शांति रहती है। पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है और उनके आपसी संबन्ध मधुर होते है।
  • तांत्रिक सम्मोहन शक्ति प्राप्त करने के लिये रम्भा की उपासना करते है।