उमा चतुर्थी व्रत (Uma Chaturthi) कब और कैसे किया जाता है? जनिये सम्पूर्ण जानकारी

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उमा चतुर्थी व्रत (Uma Chaturthi) ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है। यह व्रत भारत देश के पूर्वी क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय है। यह व्रत महिलायें अपने घर परिवार की सुख-शांति की कामना से करती है। जानिये उमा चतुर्थी व्रत कब किया जायेगा और इस व्रत की क्या विधि है? साथ ही पढ़ियें इस व्रत के लाभ…

Uma Chaturthi
उमा चतुर्थी

भारत के पूर्वी भाग पश्चिम बंगाल, झारखण्ड़, उडीसा में ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी को उमा चतुर्थी (Uma Chaturthi) के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवी पार्वती की पूजा किये जाने का विधान है। यह माँ पार्वती को समर्पित है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती की मृत्यु के पश्चात् उनके वियोग के कारण भगवान शिव में वैराग्य उत्पन्न हो गया था और उन्होने संसार को त्याग दिया था। संसार की भलाई के लिये देवी सती ने देवी पार्वती के रूप में पुन: जन्म लिया और भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। देवी पार्वती के द्वारा भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिये जो कठिन तप किया गया और जिसके फलस्वरूप देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ यह व्रत उसी तप और देवी पार्वती के दृढ़ निश्चय को समर्पित है। यह व्रत विवाहित स्त्रियाँ अपने परिवार की सुख-शांति के लिये करती है।

Uma Chaturthi Kab hai?
उमा चतुर्थी कब है?

इस वर्ष उमा चतुर्थी (Uma Chaturthi) व्रत 10 जून 2024 सोमवार के दिन किया जायेगा।

Uma Chaturti Vrat Ki Vidhi
उमा चतुर्थी व्रत की विधि

उमा चतुर्थी (Uma Chaturthi) व्रत का अनुष्ठान उत्तर भारत में किये जाने वाले प्रसिद्ध हरतालिका व्रत के समान ही है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है –

  • प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर पूर्व की ओर मुख करके देवी उमा (पार्वती) का ध्यान करें। उनकी प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उसके आगे दीपक जलायें। एक जल का कलश रखें।
  • माता पार्वती को रोली,चावल, हल्दी, मेहंदी इत्यादि श्रृंगार की सामगी चढ़ायें। देवी माँ को गुड़, लवण तथा जौ भी समर्पित करें।
  • माता को सफेद पुष्प अधिक प्रिय है इसलिये सफेद रंग के फूल देवी उमा को अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि इससे देवी माँ शीघ्र प्रसन्न होती है और मनोवांछित फल प्रदान करती है।
  • पूजन के बाद माता से अपनी त्रुटियों के लिये क्षमा माँगे। उसके बाद देवी माँ से अपना मनोरथ निवेदन करें।
  • इस दिन व्रत रखें और एक ही समय भोजन करें। व्रत रखने वाली स्त्री को चाहियें की सुहागिन महिलाओं, ब्राह्मणों तथा गाय का सम्मान करें।

Benefits Of Uma Chaturthi Vrat
उमा चतुर्थी व्रत के लाभ

इस व्रत को कुंवारी लड़कियाँ और सुहागिन स्त्रियाँ करती है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ विधि-विधान से करने से

  • सुहागिनों का सुहाग अखण्ड़ रहता है।
  • पारिवारिक जीवन सुखमय होता है।
  • पति-पत्नी के संबन्ध मधुर होते है। रिश्तों में प्यार बढ़ता है।
  • पति की आयु लम्बी होती है।
  • कुंवारी कन्याओं को मनपसन्द जीवनसाथी मिलता है।
  • धन – धान्य में वृद्धि होती है।
  • माता उमा की कृपा प्राप्त होती है।
  • साधक की मनोकामना पूर्ण होती है।
  • सुख – समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।