Sudarshana Ashtakam – दुखों एवं रोगों को दूर करने वाला और मनोकामना पूर्ण करने वाला है श्री सुदर्शन अष्टकम स्तोत्र

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सुदर्शन अष्टकम (Sudarshana Ashtakam) श्री हरि भगवान विष्णु के पाँच अत्यंत शक्तिशाली अस्त्रों में से एक अस्त्र सुदर्शन चक्र को समर्पित है। इसके आठ छ्न्दों से भगवान सुदर्शन की स्तुति की गई है। यह अत्यंत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ इस शक्तिशाली सुदर्शन अष्टकम का पाठ करने से साधक की समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। आदि-व्याधि- त्वचा संबन्धी रोग दूर होते है। यहाँ पर पढ़ियें सुदर्शन अष्टकम स्तोत्र (Sudarshana Ashtakam) और साथ ही जानियें इसके नियमित जाप से होने वाले लाभों के विषय में…

When and How To Recite Sudarshana Ashtakam?
सुदर्शन अष्टकम का पाठ कब और कैसे करें?

सुदर्शन अष्टकम (Sudarshana Ashtakam) का प्रात:काल या संध्या के समय कभी भी पाठ किया जा सकता है। स्नानादि नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान पर बैठकर भगवान विष्णु को नमस्कार करें। फिर भगवान सुदर्शन का ध्यान करें। पूर्ण श्रद्धा-भक्ति और विश्वास के साथ सुदर्शन अष्टकम स्तोत्र (Sudarshana Ashtakam) का पाठ करें। शब्दों उच्चारण शुद्ध हो इस बात का ध्यान रखें। पाठ के उपरांत जाने-अंजाने हुई अपनी गलतियों के लिये भगवान सुदर्शन से क्षमा माँगें। तत्पश्चात् उनसे अपना मनोरथ निवेदन करें। आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी मन में यह दृढ़ विश्वास रखें।

पढ़ियें रहस्मयी और चमत्कारिक परिणाम देने वाला श्री सुदर्शन सहस्रनाम स्तोत्रम् (Sri Sudarshana Sahasranama Stotram)। साथ ही जानियें इसका पाठ करने से क्या लाभ होता है?

Benefits of Reciting Sudarshana Ashtakam
सुदर्शन अष्टकम का पाठ करने के लाभ

सुदर्शन अष्टकम (Sudarshana Ashtakam) भगवान विष्णु के प्रिय सुदर्शन चक्र को समर्पित है। इसका नियमित पाठ करने से

  • साधक की समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है।
  • रोग-दोष समाप्त होते है।
  • श्राप का प्रभाव कम होता है।
  • पापों का शमन होता है।
  • नकारात्मक और दुष्ट शक्तियों से रक्षा होती है। बुरी नजर का प्रभाव नष्ट होता है।
  • विचारों में सकारात्मकता आती है।
  • कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते है। विघ्न-बाधायें दूर होते है।
  • दुख-दरिद्रता का नाश होता है।
  • त्वचा और एलर्जी संबंधी बिमारियाँ दूर होती है।
  • शत्रु पराजित होते है।

Sudarshana Ashtakam Lyrics
श्री सुदर्शन अष्टकम

प्रतिभटश्रेणि भीषण वरगुणस्तोम भूषण
जनिभयस्थान तारण जगदवस्थान कारण ।
निखिलदुष्कर्म कर्शन निगमसद्धर्म दर्शन
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥

शुभजगद्रूप मण्डन सुरगणत्रास खन्डन
शतमखब्रह्म वन्दित शतपथब्रह्म नन्दित ।
प्रथितविद्वत् सपक्षित भजदहिर्बुध्न्य लक्षित
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥

स्फुटतटिज्जाल पिञ्जर पृथुतरज्वाल पञ्जर
परिगत प्रत्नविग्रह पतुतरप्रज्ञ दुर्ग्रह ।
प्रहरण ग्राम मण्डित परिजन त्राण पण्डित
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥

निजपदप्रीत सद्गण निरुपधिस्फीत षड्गुण
निगम निर्व्यूढ वैभव निजपर व्यूह वैभव ।
हरि हय द्वेषि दारण हर पुर प्लोष कारण
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥

दनुज विस्तार कर्तन जनि तमिस्रा विकर्तन
दनुजविद्या निकर्तन भजदविद्या निवर्तन ।
अमर दृष्ट स्व विक्रम समर जुष्ट भ्रमिक्रम
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥

प्रथिमुखालीढ बन्धुर पृथुमहाहेति दन्तुर
विकटमाय बहिष्कृत विविधमाला परिष्कृत ।
स्थिरमहायन्त्र तन्त्रित दृढ दया तन्त्र यन्त्रित
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ।।

महित सम्पत् सदक्षर विहितसम्पत् षडक्षर
षडरचक्र प्रतिष्ठित सकल तत्त्व प्रतिष्ठित ।
विविध सङ्कल्प कल्पक विबुधसङ्कल्प कल्पक
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥

भुवन नेत्र त्रयीमय सवन तेजस्त्रयीमय
निरवधि स्वादु चिन्मय निखिल शक्ते जगन्मय ॥
अमित विश्वक्रियामय शमित विश्वग्भयामय
जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥

फलश्रुति

द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं पठतां वेङ्कटनायक प्रणीतम् ।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन् न विहन्येत रथाङ्ग धुर्य गुप्तः ॥

॥इति श्री सुदर्शनाष्टकं समाप्तम् ॥

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