Kartik Snan 2024: जानियें कार्तिक स्नान का महत्व, विधि एवं नियम…

Kartik Maas Kartik Snan

कार्तिक स्नान (Kartik Snan) के महान पुण्य प्रभाव से होगा सभी पापों का नाश। जानियें इस वर्ष कब से कार्तिक स्नान आरम्भ (Kartik Snan Start date) होगा और कब समाप्त? साथ ही पढ़ियें कार्तिक स्नान का महत्व, पूजा एवं उद्यापन विधि और नियम…

Kartik Maas Aur Kartik Snan
कार्तिक मास एवं कार्तिक स्नान

हिंदू धर्म में कार्तिक मास (Kartik Maas) को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता हैं। कार्तिक मास हिंदु पंचांग का आठवाँ महीना हैं। हिंदु पुराणों में कार्तिक माह में धर्म-कर्म, जप-तप, व्रत-पूजा-पाठ, स्नान-ध्यान और दान आदि करने से कई गुणा पुण्य की प्राप्ति होती हैं। कार्तिक माह में पूरे माह तक प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करने को कार्तिक स्नान (Kartik Snan) कहा जाता हैं और इसका हिंदु धर्म में बहुत महत्व बताया गया हैं।

कार्तिक स्नान के अतिरिक्त पूरे कार्तिक माह में व्रत, दान, तुलसी विवाह, दीपदान, गंगा स्नान आदि करने से कई गुणा पुण्य प्राप्त होता हैं। पुरूषोत्त्म माह की ही भांति कार्तिक माह भी भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक स्नान, कार्तिक माह व्रत, तप, दान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

Kab Se Kab Tak Hai Kartik Snan?
कब से कब तक है कार्तिक स्नान?

इस वर्ष कार्तिक स्नान (Kartik Snan) 17 अक्टूबर, 2024 गुरूवार से आरम्भ होकर 15 नवम्बर, 2024 शुक्रवार को पूर्ण होगा।

Kartik Maah Aur Kartik Snan Ka Mahatva
कार्तिक माह एवं कार्तिक स्नान का महत्व

हिंदु पुराणों में कार्तिक माह को बहुत ही शुभ, पवित्र और पुण्यदायी माना गया हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक माह में किये गये स्नान, दान, जप, व्रत, तप आदि शुभ कर्मों का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता हैं। इन शुभ कर्मों के पालन से साधक को समस्त तीर्थ स्थानों की यात्रा के समान पुण्य प्राप्त होता हैं।

  • कार्तिक स्नान (Kartik Snan) का पुण्य सहस्त्र गंगा स्नान और सौ माघ (माह) स्नान के समान हैं। यदि कार्तिक स्नान किसी पवित्र नदी या सरोवर में किया जाये तो इसका पुण्य कुम्भ में प्रयाग स्नान के बराबर होता हैं।
  • इस माह में व्रत और पूजन करने से जातक के सभी पापों का नाश होता हैं।
  • शिव मंदिर, चंड़ी मंदिर, तुलसी पर दीपदान करने और भगवान विष्णु को पुष्प अर्पित करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता हैं।
  • कार्तिक मास में प्रतिदिन प्रात:काल तुलसी को जल देने और संध्या के समय दीपक जलाने से घर-परिवार में सुख-शांति आती हैं।
  • कार्तिक मास में पवित्र नदियों में प्रात:काल स्नान करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
  • कार्तिक स्नान करने से जातक के समस्त पाप नष्ट हो जाते है चाहे जो जानबूझ कर किये गये हो या अंजाने में किये गये हो।
  • कार्तिक माह (Kartik Maas) में जप-तप करने से उसका पुण्य कई गुणा होकर मिलता हैं।
  • कार्तिक माह में मंत्र जाप का प्रभाव कई गुणा बढ़कर प्राप्त होता हैं। इसलिये मंत्र सिद्धि के लिये यह समय सबसे उपयुक्त माना जाता हैं।
  • कार्तिक माह में गायत्री मंत्र का जाप करने से जातक को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती हैं, उसकी जन्मकुण्ड़ली के दोषों का समाधान होता हैं, उसकी बुरी नजर से रक्षा होती है और उसके साहस में वृद्धि होती हैं।
  • कार्तिक माह में भगवान विष्णु का पूजन करने से जातक को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती हैं। प्रतिदिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है और सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती हैं।
  • कार्तिक मास (Kartik Maas) में प्रतिदिन श्री सूक्त का पाठ करने से साधक को माँ लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती हैं।
  • कार्तिक माह से भगवान शिव की आराधना करने और उनका जलाभिषेक करने से साधक दीर्धायु होता है और उसे आरोग्य की प्राप्ति होती हैं।

Kartik Snan Ki Puja Ki Vidhi
कार्तिक स्नान की पूजा की विधि

प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व स्नान करें। हिंदु मान्यता के अनुसार कार्तिक स्नान (Kartik Snan) के लिये वाराणसी, प्रयाग, अयोध्या, मथुरा, कुरूक्षेत्र, काशी, पुष्कर आदि पवित्र नदियों और तीर्थस्थानों को शुभ माना जाता हैं। किंतु जो इन स्थानों पर नही जा सकते वो रातभर मिट्टी या ताम्बे के बर्तन में रखें जल से स्नान करें और स्नान के समय सात नदियों का स्मरण करते हुये इस श्लोक का जाप करें।

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु।।

स्नान करते समय इन श्लोकों का जाप करें

आपस्त्वमसि देवेश ज्योतिषां पतिरेव च।
पापं नाशाय मे देव वामन: कर्मभि: कृतम।

फिर इस श्लोक को का पाठ करते हुये भगवान की स्तुति करें।

दु:खदरिद्रयनाषाय श्रीविश्णोस्तोशणाय च।
प्रात:स्नान करोम्यद्य माघे पापविनाषनम॥

स्नान समाप्ति पर सूर्य देव को जल अर्पित करके इस श्लोक का पाठ करें।

सवित्रे प्रसवित्रे च परं धाम जले मम।
त्वत्तेजसा परिभ्रश्टं पापं यातु सहस्त्रधा।।

  • मंदिर में जाकर श्री राधागोविंद के दर्शन व पूजन करें। तुलसी जी को जल चढ़ायें, पीपल पर जल चढ़ायें और उनकी परिक्रमा करें।
  • कार्तिक माह के महात्म्य का पाठ करें।
  • संध्या के समय भगवान विष्णु की पूजा करें, दीपक जलायें साथ में तुलसी जी पर दीपक जलायें और उनकी पूजा करें।
  • कार्तिक मास का व्रत करने वाले को पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिये और शाम के समय तारे निकलने के बाद उनको अर्ध्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिये।
  • ब्राह्मणों को भोजन करायें उन्हे दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।
  • कार्तिक मास में दान करने से उसका पुण्य सह्स्त्रों गुणा अधिक हो जाता हैं।
  • कार्तिक मास के अंतिम व्रत वाले दिन व्रत का उद्यापन करें।

Kartik Maas Ke Vrat Ke Udyapan Ki Vidhi
कार्तिक मास के व्रत के उद्यापन की विधि

  • पूरे कार्तिक मास के व्रत करने के पश्चात्‌ व्रत के अन्तिम दिन उद्यापन किया जाने का विधान हैं।
  • उद्यापन में किसी योग्य ब्राह्मण को पांच सीधे, पांच सुराही दान करें।
  • अपनी सासु माँ को साड़ी-ब्लाउज पर दक्षिणा रखकर दें और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

Kartik Maas Ke Vrat Ke Niyam
कार्तिक मास के व्रत के नियम

  • पूरे कार्तिक माह का व्रत करने वाले साधक को किसी दूसरे के घर का या किसी दूसरे का दिया भोजन नही करना चाहियें।
  • दिनभर निराहार रहकर व्रत करें और संध्या के समय तारों को अर्ध्य देकर एक ही समय भोजन करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • मन, कर्म और वचन से शुद्ध आचरण करें।
  • सात्विक जीवन जीयें।
  • रात्रि को भूमि पर ही निन्द्रा लें।
  • तला, मसालेदार, मांसाहारी, प्याज, लहसून, लौकी, गाजर, नाशपाती, उड़द दाल, मूंग दाल, चना दाल, मटर का सेवन ना करें।
  • मदिरापान ना करें।
  • परनिंदा, चोरी, असत्य, क्रोध आदि से बचें।
  • भोजन में गेहूं, जौ, मूंग, दूध-दही और घी कर सेवन करे ऐसा करने से जातक के सभी पापों का नाश हो जाता हैं।

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