श्री कृष्ण स्तोत्रं सरस्वतीकृतम् (Krishna Stotra By Saraswati) के नित्य पाठ करने से बुद्धि, धन और सम्मान की प्राप्ति होगी

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श्री कृष्ण स्तोत्रम् सरस्वतीकृतम् (Krishna stotra by Saraswati) का पाठ करने से साधक को धन, बुद्धि, सम्मान और विद्या की प्राप्ति होती है। इस अत्यंत प्रभावशाली और दुर्लभ स्तोत्र की रचना देवी सरस्वती के द्वारा की गई है। पढ़ियें श्री सरस्वतीकृतम् कृष्ण स्तोत्रं और साथ ही जानिये इसके लाभ और माहात्म्य…

Significance Of Krishna stotra by Saraswati
श्री कृष्ण स्तोत्रं सरस्वतीकृतम् का माहात्म्य

माँ सरस्वती कृत श्री कृष्ण स्तोत्रं बहुत ही सिद्ध और अमोघ स्तोत्र माना जाता है। इस चार श्लोकों के स्तोत्र का माहात्म्य बहुत अधिक है। इसका पाठ करने से श्री कृष्ण भगवान बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होते है और साथ ही साधक को देवी सरस्वती की कृपा भी प्राप्त होती है। इस स्तोत्र के द्वारा देवी सरस्वती ने भगवान श्री कृष्ण की स्तुति की थी। इस स्तोत्रं का नित्य पाठ करके जातक अत्यंत ही सहजता से भगवान श्री कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।

भगवान शिव और देवी पार्वती के संवाद में प्रकाशित बहुत ही दुर्लभ और प्रभावशाली स्तोत्रों में से एक श्री कृष्ण स्तोत्रं के विषय में जानने के लिये यहाँ क्लिक करें।

Benefits Of Reading Krishna stotram by Saraswati
श्री कृष्ण स्तोत्रं सरस्वतीकृतम् के लाभ

शास्त्रों के अनुसार स्तोत्र पाठ ही ईश्वर उपासना का सबसे आसान तरीका है। देवी सरस्वती कृत श्री कृष्ण स्तोत्रं (Krishna stotra by Saraswati) उन भक्तों के लिये श्रेष्ठ है जो बहुत ही लघु प्रयास से श्री कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते है। इस स्तोत्रं का नित्य पाठ करने से साधक आसानी से भगवान कृष्ण की कृपा को पा सकता है। यह बहुत ही प्रभावशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र के पाठ के द्वारा श्री कृष्ण की भक्ति करने से

  • मन प्रसन्नता और संतोष के भाव से भर जाता है।
  • धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • जातक बुद्धिमान होता है।
  • ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • मान – प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  • जातक अपने पापों से मुक्त हो जाता है।
  • ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • रोग–दोष-कष्ट एवं पापों का शमन होता है।
  • दुख और दरिद्रता का नाश होता है।
  • जातक मोह-माया के बन्धनों से मुक्त होकर श्री कृष्ण की अनपायिनी भक्ति को प्राप्त करता है।

When And How To Recite Krishna stotram by Saraswati?
श्री कृष्ण स्तोत्रं सरस्वतीकृत का पाठ कब और कैसे करें?

तन-मन दोनों की शुद्धता के साथ पवित्र भाव से पूर्ण श्रद्धा – भक्ति के साथ इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिये। प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके राधा-कृष्ण का ध्यान करें। फिर सरस्वतीकृत श्री कृष्ण स्तोत्रं (Krishna stotra by Saraswati) का पाठ करें।

Krishna stotra by Saraswati Lyrics

श्री कृष्ण स्तोत्रं सरस्वतीकृतम्

सरस्वत्युवाच ।

रासमण्डलमध्यस्थं रासोल्लाससमुत्सुकम् ।
रत्नसिंहासनस्थं च रत्नभूषणभूषितम् ॥ १॥

रासेश्वरं ऱासकरं वरं ऱासेश्वरीश्वरम् ।
ऱसाधिष्ठातृदेवं च वन्दे ऱासविनोदिनम् ॥ २॥

रासायासपरिश्रान्तं रासरासविहारिणम् ।
रासोत्सुकानां गोपीनां कान्तं शान्तं मनोहरम् ॥ ३॥

प्रणम्य च तमित्युक्त्वा प्रह्यष्टवदना सती ।
उवास सा सकामा च रत्नसिंहासने वरे ॥ ४॥

इति वाणीकृतं स्तोत्रं प्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
बुद्धिमान्धनवान्सोऽपि विद्यावान्पुत्रवान्सदा ॥ ५॥

। इति ब्रह्मावैवर्ते सरस्वतीकृतं श्रीकृष्णस्तोत्रम् ।