जय पार्वती माता, जय पार्वती माता ।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभफल की दाता ॥ जय पार्वती माता
अरिकुलपद्म विनासनी, जय सेवक त्राता ।
जगजीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता ॥ जय पार्वती माता
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा ।
देवबंधु जस गावत, नृत्य करत ताथा ॥ जय पार्वती माता
सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता ।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता ॥ जय पार्वती माता
शम्भ निशम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता ।
सहस्त्र भुज तनु, धरि के, चक्र लियो हाथा ॥ जय पार्वती माता
सृष्टिरूप तुही है जननी, शिवसंग रंगराता ।
नन्दी भृंगी बीन लही, सारा जग मदमाता॥ जय पार्वती माता
देवन अरज करत, तव चित को लाता ।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता ॥ जय पार्वती माता
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता ।
सदा सुखी नित रहता, सुख सम्पत्ति पाता॥ जय पार्वती माता