Angaraka Stotram: कर्ज और दुर्भाग्य से मुक्ति पाने के लिये करें अंगारक स्तोत्रम् का नियमित पाठ

Angaraka Stotram; Image of Angaraka; Image for Angaraka Stotram;

स्कंद पुराण में वर्णित अंगारक स्तोत्रम् (Angaraka Stotram) का विधि अनुसार प्रतिदिन पाठ करने से साधक को कर्ज और दुर्भाग्य मुक्ति मिल जाती है। जीवन में समृद्धि प्रदान करने वाला और दरिद्रता को नष्ट करने वाला यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली है। जानियें कब और कैसे करें अंगारक स्तोत्रम् का पाठ (How to Recite Angaraka Stotram)? और इसके नियमित पाठ के लाभ। पढ़ियें अंगारक स्तोत्रम्…

When And How To Recite Angaraka Stotram?
कब और कैसे करें अंगारक स्तोत्रम् का पाठ?

मंगल ग्रह को अंगारक और भौम नाम से भी जाना जाता है। मंगल को धरती पुत्र भी कहते है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह का विशेष महत्व है। इसकी शुभता से जातक निड़र और साहसी होता है। और यदि जन्मकुण्ड़ली में इसकी स्थिति शुभ ना हो तो जातक को अनेक कष्ट झेलने पड़ते है। अंगारक स्तोत्रम् का नियमित विधि अनुसार पाठ करने से साधक को मंगल ग्रह से होने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय होता है। अंगारक स्तोत्रम् (Angaraka Stotram) का पाठ करने की विधि :

  • प्रात:काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर मंगल ग्रह की प्रतिमा या तस्वीर के सम्मुख बैठकर मंगल ग्रह का ध्यान करें।
  • धूप-दीप जलायें।
  • लाल फल और पुष्प अर्पित करें।
  • रोली-चावल और लाल चन्दन से पूजा करें।
  • फिर अंगारक स्तोत्रम् (Angaraka Stotram) का पाठ करें।
  • मंगलदेव से हाथ जोड़कर अपनी गलतियों के लिये क्षमा माँगें और फिर उनसे अपना मनोरथ निवेदन करें।

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Benefits of Angaraka Stotram
अंगारक स्तोत्रम् के लाभ

स्कन्द पुराण में वर्णित अंगारक स्तोत्रम् (Angaraka Stotram) अत्यंत ही शुभफल प्रदान करने वाला है। पृथ्वी पुत्र मंगल के इस स्तोत्र का पाठ करने से जातक में चुम्बकीय आकर्षण उत्पन्न होता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से

  • दरिद्रता का नाश होता है।
  • ऋण से मुक्ति मिलती है।
  • प्रचुर धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • सुंदर पत्नी मिलती है।
  • पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। वंश की वृद्धि होती है।
  • मंगल ग्रह जनित कष्टों का निवारण होता है। मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
  • दुर्भाग्य समाप्त होता है और भाग्य साथ देता है।
  • शत्रु भयभीत होते है। विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है।
  • दुर्घटनाओं से रक्षा होती है।
  • भाई-बहन और मित्रों का सहयोग प्राप्त होता है।
  • जातक साहसी, ऊर्जावान, आत्मविश्वासी और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला होता है।
  • रक्त संबंधी रोग जैसे रक्तचाप और मांसपेशियों व अस्थि मज्जा से जुड़ी बीमारियाँ दूर होती है।
  • जातक धर्म रक्षक की तरह जीवन में पवित्र मार्ग पर चलता है और अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करता है।

Angaraka Stotram Lyrics
श्री अंगारक स्तोत्रम्

|| अङ्गारकस्तोत्रम् ||

विनियोगः

अस्य श्री अङ्गारकस्तोत्रस्य विरूपाङ्गिरस ऋषिः |
अग्निर्देवता गायत्री छन्दः |
भौमप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः |

अङ्गारकस्तोत्रम्

अङ्गारकः शक्तिधरो लोहिताङ्गो धरासुतः |
कुमारो मङ्गलो भौमो महाकायो धनप्रदः ||१||

ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृद्रोगनाशनः |
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ||२||

सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः |
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ||३||

रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः |
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत्सततं नरः ||४||

ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति |
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ||५||

वंशोद्द्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः |
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः ||६||

सर्वा नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ||७||

|| इति श्रीस्कन्दपुराणे अङ्गारकस्तोत्रं संपूर्णम् ||

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