बृहस्पति कवचम् (Brihaspati Kavacham) बृहस्पति देव का बहुत ही प्रभावशाली कवच स्तोत्र है। देवताओं के गुरू बृहस्पति देव की उपासना करके साधक ज्ञान, धन, यश, कीर्ति सब कुछ प्राप्त कर सकता है। बृहस्पति देव सदा ही अपने भक्तों पर कृपा का भाव रखते है। जीवन में सफलता पाने के लिये गुरू का आशीर्वाद और मार्गदर्शन बहुत ही आवश्यक होता है। बृहस्पति देव की उपासना करने से साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त हो जाता है। देव गुरू बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिये बृहस्पति कवचम् का पाठ करें। पढ़ियें बृहस्पति कवचम् (Brihaspati Kavacham) और साथ ही जानियें इनका पाठ करने की विधि और लाभ…
When & How To Recite Brihaspati Kavacham?
बृहस्पति कवचम् का पाठ कब और कैसे करें?
बृहस्पति कवचम् (Brihaspati Kavacham) का पाठ प्रत्येक गुरूवार को पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ करना चाहिये। यदि साधक चाहे तो प्रतिदिन प्रात:काल में इस कवच का पाठ कर सकता है। ऐसा करने से बृहस्पति देव शीघ्र प्रसन्न होते है और साधक को मनोवांछित फल प्रदान करते है। बृहस्पति कवचम् (Brihaspati Kavacham) का पाठ करने की विधि इस प्रकार है:-
- प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा से पूर्व कुछ भी ना खायें।
- पूजा स्थान पर बैठकर देवगुरू बृहस्पति की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलायें।
- भगवान को पीले फूल और फल चढ़ायें। पीले रंग की मिठाई का भोग लगायें।
- फिर पूर्ण श्रद्धा – भक्ति के साथ बृहस्पति कवचम् (Brihaspati Kavacham) का एकाग्रचित्त होकर पाठ करें।
- कवच पाठ का उच्चारण स्पष्ठ और शुद्ध हो इस बात का ख्याल रखें। उच्चारण में अशुद्धि ना हो।
- बृहस्पति देव की आरती करें।
- तत्पश्चात् बृहस्पति देव का ध्यान करें और उनसे अपनी त्रुटियों के लिये क्षमा माँगने के बाद अपना मनोरथ निवेदन करें।
Benefits of Reciting Brihaspati Kavacham
बृहस्पति कवचम् का पाठ करने के लाभ
बृहस्पति कवचम् (Brihaspati Kavacham) का नियमपूर्वक विधि-विधान से पाठ करने से
- साधक को देवगुरू बृहस्पति और भगवान विष्णु दोनो का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- गुरू ग्रह की शुभता प्राप्त होती है। उसके नकारात्मक प्रभाव नष्ट होते है।
- विद्यार्थी को विद्या एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है। परीक्षा में सफलता मिलती है।
- साधक को जीवन में देवगुरू के द्वारा सही मार्गदर्शन और सही दिशा मिलती है। जिससे वो अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करता है।
- सभी प्रकार की विपत्तियों से सुरक्षा होती है। कोई भी उसका अहित नही कर पाता।
- हर स्थान पर विजय प्राप्त होती है।
- विवाह में आने वाली अड़चनें दोर होती है और शीघ्र विवाह के योग बनते है।
- सौभाग्य में वृद्धि होती है और कार्य सफलतापूर्वक सिद्ध होते है।
- धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- मान – सम्मान बढ़ता है।
- समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
Brihaspati Kavacham Lyrics
।। अथ बृहस्पति कवचम् ।।
अस्य श्रीबृहस्पतिकवचस्त्रोत्र मंत्रस्य
ईश्वर ऋषिः अनुष्टुप छन्दः ।
गुरुर्देवता । गं बीजं । श्री शक्तिः ।
क्लीं कीलकम् गुरू प्रीत्यर्थ जपे विनियोगः ॥
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुरपूजितम् ।
अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥1 ॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णो सुरगुरुः पातु नेत्रे मेSभीषृदायकः ॥2 ॥
जिहवां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठ मे देवतागुरूः ॥ 3 ॥
भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ में पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥ 4 ॥
नाभिं देवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगद्वद्यं ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥ 5 ॥
जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरू ॥ 6 ॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ 7 ॥
॥ श्रीब्रह्मयामलोक्तं बृहस्पतिकवचं संपूर्णम् ॥
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