सौभाग्य में वृद्धि हेतु करें सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) का व्रत एवं पूजन। हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व हैं। इस दिन स्नान और पूजन से आरोग्य, धन-समृद्धि, सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। जानिये सोमवती अमावस्या व्रत की विधि, कथा और महत्व ।
Somvati Amavasya
सोमवती अमावस्या
अमावस्या जब सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) कहते हैं। सोमवती अमावस्या को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं। पौराणिक कथा के अनुसार गंगापुत्र भीष्म ने धर्मराज युधिष्ठिर को सोमवती अमावस्या का महत्व बताते हुये कहा था कि सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी, तीर्थस्थानों या पवित्र सरोवर पर स्नान एवं दान करने से जातक को रोगों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का व्रत और पूजन करने से सौभाग्यवती स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान और तीर्थ स्थानों पर स्नान का विशेष महत्व हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन दान का बहुत अधिक महत्व बताया गया हैं।
Somvati Amavasya Kab Hai?
सोमवती अमावस्या कब हैं?
इस वर्ष तीन सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) आयेगी। पहली 8 अप्रैल, 2024 सोमवार के दिन है। इसके पश्चात 2 सितम्बर, 2024 और 30 दिसम्बर, 2024 के दिन सोमवती अमावस्या होगी।
Somvati Amavasya Ki Puja Ki Vidhi
सोमवती अमावस्या के व्रत और पूजन की विधि
1. इस दिन गंगा नदी या तीर्थ स्थानों पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है। परंतु यदि आप गंगा स्नान नही कर सकते तो स्नान के जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर स्नान करें।
2. स्नानादि नित्य कर्मों से निवृत होकर मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
3. भगवान शिव को दूध चढ़ायें, जल चढ़ायें, बेलपत्र एवं पुष्प चढ़ायें। रोली, चावल, मेहंदी से माता पार्वती की पूजा करें। धूप – दीप जलाकर आरती करें।
4. इसके बाद पीपल के वृक्ष की पूजा करें। पीपल के पेड़ पर जल चढ़ायें, रोली चावल से पूजा करके दीपक जलायें और पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करें। ऐसा करने से साधक के सौभाग्य में बढोत्तरी होती हैं।
5. सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) पर तुलसी जी का पूजन भी करें। तुलसी में जल चढ़ायें, रोली, मोली, चावल से पूजा करें और दीपक जलायें। उसके बाद तुलसी जी की 108 परिक्रमा करें। इस दिन तुलसी पूजन करने से घर की गरीबी का नाश होता हैं।
6. फिर भगवान सूर्य को अर्ध्य दें।
7. गायों को चारा खिलायें, गरीबों को अन्न और वस्त्र का दान करें।
8. अपने पितरों की शांति के लिये पितरों को जल दें, और यदि सम्भव हो तो तीर्थ स्थान पर जाकर उनके नाम से पिंड़दान करें। इस दिन ऐसा करने से आपके पितरों को शांति मिलती हैं।
9. सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) और हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) पर वृक्षारोपण करना बहुत शुभ होता है।
विशेष : – विवाह के पहले वर्ष में पहली सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) पर हल्दी, पान, धान, सिंदूर और सुपाड़ी के साथ 108 परिक्रमा दें। उसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को सामर्थ्य अनुसार फल, मिठाई, भोजन सामग्री और सुहाग का सामान साथ में परिक्रमा में चढ़ाया गया सामान दे देवें।
Significance Of Somvati Amavasya
सोमवती अमावस्या का पौराणिक महत्व
हिंदु धर्म ग्रंथों में सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया हैं। सोमवती अमावस्या के दिन तीर्थ स्थानों और नदियों में स्नान करना साधक के लिये बहुत हितकारी होता हैं।
1. इस दिन शिप्रा नदी में स्नान करने से जातक की मनोकामना पूर्ण होती हैं।
2. उज्जैन के सोमतीर्थ कुंड में स्नान करने से जातक को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता हैं।
3. इस दिन यदि कोई मौन व्रत रखता है तो उसे सहस्र गोदान के समान पुण्य प्राप्त होता हैं।
4. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके सौभाग्यवती स्त्रियों को अपने अखण्ड़ सौभाग्य के लिये प्रार्थना करनी चाहियें।
5. पत्नी द्वारा इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से उसके पति की आयु लम्बी होती है। ऐसा माना जाता है की पीपल के वृक्ष में भगवान शिव का वास होता हैं।
6. इस दिन तुलसी पूजन करने से घर की दरिद्रता का नाश होता है।
7. साथ ही इस दिन भगवान सूर्य को अर्ध्य देने से भाग्य में वृद्धि होती है। और धन की कोई कमी नही रहती।
8. सोमवती अमावस्या पर गाय को चारा खिलाने से महान पुण्य प्राप्त होता हैंं।
9. इस गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने मनुष्य के सभी पापों का नाश होता हैं।
10. पितरों की शांति के लिये इस दिन उन्हे जल देना चाहिये और पिंड़दान करना चाहिये। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती हैं।
Story Of Somvati Amavasya
सोमवती अमावस्या की कथा
एक समय की बात की है एक गाँव में एक दरिद्र ब्राह्मण अपनी पत्नी और एक बेटी के साथ रहता था। उसकी बेटी बड़ी सुंदर, सुशील और गुणवान थी। ब्राह्मण को ऐसा लगता थी कि उसकी दरिद्रता के कारण उसकी बेटी का विवाह नही हो पा रहा हैं। इससे वो बहुत दुखी रहता था।
सौभाग्यवश एक दिन उस के यहाँ एक साधू आया। उससे ब्राह्मण ने अपनी सारी व्यथा कह सुनायी। उसने उसकी बेटी का हाथ देखा और उसे बताया की उसकी पुत्री के वैधव्य का दोष है। जिसके कारण विवाह वाले दिन ही साँप के काटने से उसके पति की मृत्यु हो जायेगी। यह सुनकर तो उस ब्राह्मण के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी और वो रोता हुआ उस ऋषि के चरणों में गिर पड़ा। रो-रोकर वो उस ऋषि से उस दोष के निदान के लिये कहने लगा।
तब उस ऋषि ने उसे बताया की आपके पास के गाँव में एक सोना नाम की धोबन रहती हैं। वो बहुत ही संस्कारवान, पतिव्रता और धर्मपरायण स्त्री है। वो सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) का व्रत करती है। और यदि वो इसे सुहाग के आशीर्वाद के साथ अपने व्रतों का पुण्यफल दे दें, तो इसके दोष का निवारण हो जायेगा।
फिर उसकी माँ ने ऋषि से पूछा की वो इसे अपने व्रतों का पुण्य क्यों देगी? तब उस ऋषि ने उसे उपाय बताया और कहा कि उसके सात पुत्र और सात पुत्रवधुएँ हैं। परन्तु वो सभी आलसी है और घर के काम न करने के बहाने ढ़ूढ़ती रहती है, और काम के नाम पर आपस मे लड़ाई-झगड़े करती है। तुम अपनी बेटी से कहो कि वो हर दिन प्रात:काल जल्दी उठकर बिना किसी को बतायें उसके घर के सारे काम करके अपने घर आ जायें। उसके बाद उचित समय देखकर उस सोना धोबिन को अपनी सारी परिस्थिति बता देना। ईश्वर सब ठीक करेगा। यह कहकर बाबा वहाँ से चले गये।
ऋषि के कथनानुसार वो ब्राह्मण की बेटी प्रतिदिन प्रात:काल उठकर उस सोना धोबिन के यहाँ सारा काम करके बिना किसी को बताये अपने घर चली जाती। जब कुछ दिनों तक सुबह सोना ने देखा कि सारा घर व्यवस्थित है और घर के सभी काम शांति से हो रहे हैं तो उसे बहुत प्रसन्नता हुई। उसने अपनी बहुओं से पूछा की कौन हर दिन सुबह सुबह ही सभी कार्य पूरे कर रहा है? बहुओं ने झूठ कह दिया की उनसब ने मिलकर वो कार्य किये है। सोना को उनकी बातों पर विश्वास नही हुआ और उसने स्वयं देखने का निर्णय किया कि कौन प्रात:काल ही घर के सारे काम कर देता हैं।
सोना रात को ही छुपकर एक कोने में बैठ गई और इंतजार करने लगी। तब उसने देखा कि वो ब्राह्मण की पुत्री उसके घर के काम कर रही है। तब उसने उससे पूछा कि तुम कौन हो? और बिना बतायें मेरे घर के काम क्यों कर रही हो? तब उस लड़की ने उसे कहा कि मैं आपको सब बताऊँगी परंतु आपको मेरी बात मानने का वचन देना होगा। उसने उसे वचन दे दिया। तब उस लड़की ने उसे सारी कथा सुना दी और उससे कहा कि आप ही मुझे सुहाग दे सकती है। आप ही मेरे वैधव्य के दोष को नष्ट कर सकती है। कृपया आप मेरी सहायता करों और मुझे आपके सोमवती अमावस्या के व्रत का पुण्यफल प्रदान करों।
सोना उसको पहले ही वचन दे चुकी थी। इसीलिये उसने हाँ कर दी। सौभाग्यवश जल्द ही उस कन्या के लिये उत्त्म वर मिल गया। उस विवाह में ब्राह्मण दम्पति ने उस सोना धोबिन को बुलाया। सोना ने अपने बेटे और बहुओं को बुलाकर कहा कि मैं पास के गाँव मे एक शादी में जा रही हूँ। मेरे पीछे से तुम अपने पिता का ध्यान रखना और यदि तुम्हारे पिता को कुछ हो जाये तो तुम मेरे आने का इंतजार करना। यह कहकर सोना वहाँ से निकल गयी।
सोना के आने के बाद ही वो ब्राह्मण दम्पति अपनी पुत्री के विवाह की तैयारिया आरम्भ करते है। और जब विवाह का दिन आता है तो सोना धोबिन उनसे कच्चा करवा, दूध तथा तार लाने को कहती है। विवाह के समय सोना धोबिन दूल्हा-दुल्हन के पास बैठ गई और जब दूल्हे की मृत्यु बनकर एक साँप उसे काटने आया तो सोना धोबिन उसे मार दिया। और फिर उस लड़की को संकल्प के द्वारा अपने किये सभी सोमवती अमावस्याओं का पुण्यफल दे दिया और कहा, कि मैंने आजतक जितनी भी अमावस्याओं के व्रत से पुण्य अर्जित किया है वो मैं इस ब्राह्मण की पुत्री को देती हूँ और अबसे जो मैं अमावस्याओं के व्रत करूँ उनका पुण्यफल मेरे पति और पुत्रों को प्राप्त हो।
वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने सोना धोबिन का जयगोष किया और साथ ही सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के व्रत के प्रति उनके मन में श्रद्दा उत्पन्न हुई। वो सभी सोमवती अमावस्या का गुणगान करने लगे।
इसके बाद वो सोना धोबिन अपने घर के लिये चल दी उस दिन सोमवती अमावस्या थी। उसने हर बार की तरह उस दिन भी व्रत किया और मार्ग में पीपल के वृक्ष की पूजा की और उसके नीचे बैठकर कहानी कही और फिर पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करी।
उधर ब्राह्मण की बेटी को सुहाग देने से उसके स्वयं के पति की मृत्यु हो जाती है। उसके घर के सभी लोग उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे, जिससे वो उसका क्रियाकर्म कर सकें। परन्तु उस सोना धोबिन के सोमवती अमावस्या के व्रत के पुण्य के प्रताप से उसके घर पहुँचते ही उसका पति पुनर्जिवित हो उठा। और वहाँ उपस्थित सब लोग विस्मित हो गये। तब सोना धोबिन ने उनको सोमवती अमावस्या के पुण्यदायी व्रत के विषय में बताया।
उसके बाद तो सारे नगर में सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के व्रत का महात्म्य फैल गया। और सब इस महान पुण्य देने वाले व्रत को करने लगे। हे ईश्वर! जैसे आपने ब्राह्मण की पुत्री और सोना धोबिन के सुहाग की रक्षा करी वैसे सबके सुहाग की रक्षा करना।